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दरभंगा. सिख भाइयों के लिए बैसाखी का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. माना जाता है कि इस पर्व को सिख भाई काफी धूमधाम से और खुशियों के साथ मनाते हैं. इस दिन कई जगह पर केक भी काटे जाते हैं. इसके दो कारण हैं एक तो अच्छी फसल की पैदावार को लेकर भी सिख भाई इस दिन भांगड़ा डांस करते हैं. दूसरा इस दिन ही दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह के द्वारा खालसाजी की स्थापना की गई थी. इस बार बैसाखी के पर्व में दरभंगा जिले के मिर्जापुर चौक स्थित गुरुद्वारा में लंगर की व्यवस्था की गई है.
12 तारीख को श्रीअखंड पाठ होगा प्रारंभ
दरभंगा गुरुद्वारा के ग्रंथी (ज्ञानी) तरविंदर सिंह हैप्पी ने बताया कि बैसाखी तो इंटरनेशनल प्रोग्राम है. यह बहुत धूमधाम से पूरी दुनिया मनाती है. नई फसल में गेहूं वगैरह काटते हैं, तो उन लोगों द्वारा खुशी का त्यौहार मनाया जाता है, जो हमारे सिख समाज के हैं. वह दस्तार बांधते हैं. खालसाजी की स्थापना भी इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जो 10वें गुरु थे, उनके द्वारा की गई.
सबसे पहले 12 तारीख को श्रीअखंड पाठ प्रारंभ किया जाता है, जो वैशाखी से 2 दिन पूर्व होता है. 14 अप्रैल को बैसाखी के दिन कीर्तन समागम, कथा विचार, अरदास और फिर समाप्ति के बाद यहां पर बहुत बड़े लंगर की व्यवस्था की जाती है. इस लंगर में कोई भी भेदभाव नहीं होता है. हर समाज के लोग इस में आ सकते हैं, क्योंकि गुरु साहब खुद कहते हैं, ना कोई वेरी ना ही बेगाना शगन संग हमको परी आई अर्थात मेरा कोई दुश्मन नहीं कोई बेगाना नहीं सब हमारे लिए एक समान हैं.
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पहले प्रकाशित : 10 अप्रैल, 2023, 11:16 पूर्वाह्न IST
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