Home Politics सपा में महिलाओं की जाति देखकर अपशब्द बोलने का ट्रेंड… कहने वाली डॉ ऋचा को जूही सिंह क्या समझाना चाह रहीं, पढ़िए ट्वीट

सपा में महिलाओं की जाति देखकर अपशब्द बोलने का ट्रेंड… कहने वाली डॉ ऋचा को जूही सिंह क्या समझाना चाह रहीं, पढ़िए ट्वीट

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सपा में महिलाओं की जाति देखकर अपशब्द बोलने का ट्रेंड… कहने वाली डॉ ऋचा को जूही सिंह क्या समझाना चाह रहीं, पढ़िए ट्वीट

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लखनऊः रामचरितमानस को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद अब समाजवादियों में ही आपस में टकराव होने लगा है। जूही सिंह और राजीव राय के बाद अब डॉ. ऋचा सिंह ने भी बागी तेवर अपना लिए हैं। ऋचा ने ट्वीट कर समाजवादी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सपा में महिलाओं की जाति देखकर गाली देने का ट्रेंड चल पड़ा है, जिसे समाजवाद नहीं कहा जा सकता। उनके इस ट्वीट के बाद जूही सिंह ने उन्हें समझाने की कोशिश की, जिसके बाद दोनों में काफी सवाल-जवाब हुए।

ऋचा सिंह ने क्या कहा
दरअसल, सपा नेता डॉ. ऋचा सिंह ने एक ट्वीट कर कहा, ‘समाजवाद के ध्वजवाहक डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि महिलाओं की कोई जाति नहीं होती। महिलाएं वंचित समाज से सरोकार रखती हैं। परंतु वर्तमान में समाजवादी पार्टी में महिलाओं की जाति देखकर उन पर अपशब्द बोलने का ट्रेंड लोहिया जी का समाजवाद तो नहीं हो सकता।’ सपा पर यह गंभीर आरोप लगाने वाली ऋचा सिंह को अपने बयान के लिए सपाइयों का विरोध भी झेलना पड़ रहा है। सपा समर्थक उन्हें कुछ लोगों के अनुभव को पूरी पार्टी से जोड़ने पर लताड़ भी रहे हैं। कई लोगों ने उन्हें सपा छोड़ बीजेपी में शामिल हो जाने की सलाह भी दे डाली है।

समभाव से स्वीकार करें आलोचना-प्रशंसा
इन विरोधों के बीच पार्टी में ऋचा सिंह की साथी और रामचरितमानस विवाद में स्वामी प्रसाद मौर्य का विरोध करने वाली जूही सिंह ने उन्हें समझाने की कोशिश की है। उन्होंने ऋचा सिंह को याद दिलाया कि कैसे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन पर भरोसा जताकर उन्हें दो बार पार्टी का प्रत्याशी बनाया। उन्होंने ऋचा को आलोचना और प्रशंसा को सकारात्मकता के साथ स्वीकार करने की सलाह भी दी।

जूही सिंह ने क्या समझाया
जूही सिंह ने ऋचा सिंह के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा, ‘मित्र, आप विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष पद की उम्मीदवार रही हैं। आलोचना, प्रशंसा, इर्रेशनलिटी को समान सकारात्मकता के साथ स्वीकार कीजिए। सभी महिलाओं का सशक्तीकरण हमारा संकल्प है। अखिलेश यादव ने हमें काम करने के लिए अवसर और पहचान दी है, जिसका सपना लोहिया जी और बाबा साहेब अंबेडकर ने देखा था।’ जूही सिंह की इस सलाह पर ऋचा सिंह ने तल्खी भरा जवाब भी दिया।

ऋचा सिंह का जवाब
ऋचा सिंह ने कहा, ‘डियर मैम, चूंकि मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136 साल के इतिहास में छात्र संघ की पहली और अकेली निर्वाचित महिला अध्यक्ष रही हूं, इसलिए मुझे पता है कि वास्तव में महिला सशक्तीकरण का मतलब क्या होता है और पूरा समाज इसका कैसे विरोध करता है।’ इस जवाब के साथ उन्होंने मैनपुरी सांसद डिंपल यादव को भी टैग किया है। जूही सिंह ने इसका जवाब देते हुए कहा, ‘हां, मैंने कुमुदनी पति, रामजी राय, चितरंजन और कई समकालीन साथियों को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की राजनीति में चुनौतियों का सामना करते देखा है। कुमुदनी हमेशा मेरी बहुत कम क्रांतिकारी गतिविधियों को लेकर मुखर रही थी लेकिन वह आपके समय से बहुत पहले की बात है।’

जूही सिंह ने यह भी कहा, ‘मैं ऋचा से सहमत हूं। मैं भी उम्मीदवार रही हूं और मुझे इस रास्ते में आने वाली कठिनाइयों और चुनौतियों के बारे में पता है लेकिन यह किसी महिला या जाति तक सीमित नहीं है। मेरी दोस्त, आप एक सक्षम सशक्त व्यक्ति हैं और एक महिला भी।’

सपा के बागियों पर चर्चा तेज
रामचरितमानस विवाद के बाद सपा के सवर्ण नेताओं में काफी दिनों से खलबली मची है। इस बीच अखिलेश ने भी रामचरितमानस का विरोध न करते हुए ‘ढोल-गंवार-शूद्र-पसु-नारी’ वाली पंक्ति को गलत बता दिया है। इसके बाद से पार्टी के भीतर विरोध करने वाले कई नेताओं के भी सुर बदले हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य का विरोध करने वाले राजीव राय, ऋचा सिंह और जूही सिंह के बागी तेवरों को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा का बजार गर्म हो गया है।

ऐसे ही कयास पर जवाब देते हुए जूही सिंह ने इसे पार्टी का भीतरी लोकतंत्र बता दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने अखिलेश यादव पर गर्व करने जैसी बात भी कही है। जूही सिंह ने कहा कि अपने विषय में कह सकती हूं कि हम अपने विचार अनुशासित मजबूती से रखते हैं। अपने नेता अखिलेश यादव पर गर्व है। आलोचना, प्रशंसा, तर्क-कुतर्क को समभाव से लेना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ‘सौ में पावें पिछड़े साठ’ लोहिया के विचार थे और हमारे भी हैं।

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