Home Bihar बिहार में पहला बुक रीडिंग मैराथन, किताबों में रुचि बढ़ाने के लिए अनोखा कार्यक्रम, एक साथ 721 लोगों ने पढ़ी किताबें

बिहार में पहला बुक रीडिंग मैराथन, किताबों में रुचि बढ़ाने के लिए अनोखा कार्यक्रम, एक साथ 721 लोगों ने पढ़ी किताबें

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बिहार में पहला बुक रीडिंग मैराथन, किताबों में रुचि बढ़ाने के लिए अनोखा कार्यक्रम, एक साथ 721 लोगों ने पढ़ी किताबें

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हाइलाइट्स

721 प्रतिभागियों ने एक साथ लगातार 2 घंटे तक पढीं किताबें
किताबों में रुचि बढ़ाने के लिए बुक रीडिंग मैराथन का आयोजन
डीएम बोले- बदलती पुस्तक संस्कृति के लिए संजीवनी बनेगा रीडिंग मैराथन

रिपोर्टर- गोविंद कुमार

गोपालगंज. बिहार के गोपालगंज में पहला बुक रीडिंग मैराथन प्रतियोगिता (Reading Marathon Competition) का आयोजन किया गया. पंचदेवरी के जमुनहां इंटर कॉलेज में आयोजित बुक रीडिंग मैराथन ने किताब पढ़ने की खत्म होती जा रही परंपरा को संजोने का पैगाम पूरे देश को दिया. यहां एक साथ 721 प्रतिभागियों ने लगातार 2 घंटे तक किताबें पढीं. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी (DM Nawal Kishor Choudhary) ने बुक रीडिंग मैराथन को एक अद्भुत कार्यक्रम बताया. उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया व मोबाइल के दौर में किताबों से दूर होते जा रहे समाज के लिए यह रीडिंग मैराथन संजीवनी साबित होगा. यह मिसाल पूरे देश में मसाल बनकर जलेगा.

आपके शहर से (गोपालगंज)

डीएम ने प्रतिदिन पुस्तक पढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि किसी न किसी पुस्तक को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा अवश्य पढ़ना चाहिए. पुस्तक पढ़ने से ऊर्जा मिलती है. डीएम ने कहा कि यदि आपने 60 वर्ष उम्र के किसी लेखक की किताब पढ़ ली, तो अपने अनुभव को 60 वर्ष बढ़ा दिया. यदि आपने इस तरह की 20 किताबें पढ़ लीं, तो 12 सौ वर्ष जीवन जी लिया. किताबों का अध्ययन करने तथा उसे अपने जीवन में उतारने के लिए डीएम ने सबको प्रेरित किया. इस अनूठे कार्यक्रम के आयोजन के लिए डीएम ने बीडीओ मनीष कुमार श्रीवास्तव, जमुनहां इंटर कॉलेज के प्राचार्य डॉ दुर्गाचरण पांडेय व रीडिंग मैराथन क्लब के सभी सदस्यों को प्रोत्साहित किया.

रामचरित मानस के बल पर बचाई सभ्यता-संस्कृति

गोपालगंज के युवा साहित्यकार सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ ने कहा कि व्यक्ति की समझ केवल और केवल पुस्तकों से ही बनती है. भारत से अफ्रीका गये गिरमिटिया मजदूर अपने साथ केवल रामचरित मानस की पोथी लेकर गये थे और एक उसी पुस्तक के बल पर अपनी सभ्यता, संस्कृति व संस्कार सबको बचाये हुए हैं. उन्होंने कहा कि जो ऊर्जा पुस्तकों से मिलती है, वह कहीं संभव नहीं है. लेखक व मोटिवेशनल स्पीकर आचार्य अमरेश झा ने कहा कि किताबों के बिना जीवन में सफलता नहीं मिल सकती.

ये किताबें ही हमें लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती हैं. अमरेश झा ने भी रीडिंग मैराथन को अनूठा कार्यक्रम बताया. जिला पर्षद के पूर्व चेयरमैन मुकेश पांडेय ने कहा कि मैंने पहली बार इस तरह का मैराथन देखा है, जिसमें एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोग किताब पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं. यह कार्यक्रम निश्चित ही पूरे देश में मिसाल कायम करेगा.

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‘पिता व माता जैसे शब्द गूगल से नहीं, किताबों से ही सीखा’

भोजपुरी फिल्म अभिनेता व गायक राकेश मिश्रा ने रीडिंग मैराथन कार्यक्रम की काफी सराहना की. उन्होंने कहा कि मोबाइल व सोशल मीडिया के इस दौर में इस तरह के अद्भुत कार्यक्रम का आयोजन कर गोपालगंज के पंचदेवरी ने पूरे देश को आइना दिखाया है. किताबों से जुड़ने के लिए लोगों को जागरूक किया है. उन्होंने कहा कि जीवन में किताबों से जो मिलता है, वह सोशल मीडिया कभी नहीं दे सकता. हमने माता व पिता शब्द किताबों से ही सीखा है, गूगल से नहीं. ये किताबें ही हमें कठिन से कठिन लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग  प्रशस्त करती हैं. इस डिजिटल युग में किताबों से जुड़ने का संदेश देनेवाला यह रीडिंग मैराथन कार्यक्रम अपने आप में अद्भुत है.

डीएम ने पुस्तकालय का भी किया उदघाटन

डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने जमुनहां इंटर कॉलेज परिसर में नवनिर्मित पुस्तकालय का उदघाटन किया. डीएम की प्रेरणा से यहां प्रखंड स्तरीय पुस्तकालय का निर्माण कराया गया था. रीडिंग मैराथन के मौके पर डीएम ने पुस्तकालय को भी नया आयाम दे दिया. रीडिंग मैराथन में शामिल सभी प्रतिभागियों ने पढ़ने के बाद इस पुस्तकालय में किताबें दान कर दीं.

सोशल मीडिया पर भी छाया रहा रीडिंग मैराथन कार्यक्रम

रीडिंग मैराथन कार्यक्रम सोशल मीडिया पर भी छाया रहा. सभी प्रतिभागियों ने एक साथ अपना फीडबैक सोशल मीडिया पर शेयर किया. सोशल मीडिया पर काफी संख्या में लोगों ने इस कार्यक्रम की सराहना की. कई नेताओं, साहित्यकारों व शिक्षाविदों ने इस कार्यक्रम को समाज की जरूरत बताया.

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