Home Politics रामचरितमानस पर भरोसा नहीं…. तुलसीदास को ‘अनुवादक’ बता पल्लवी पटेल ने शुरू कर दिया नया विवाद?

रामचरितमानस पर भरोसा नहीं…. तुलसीदास को ‘अनुवादक’ बता पल्लवी पटेल ने शुरू कर दिया नया विवाद?

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रामचरितमानस पर भरोसा नहीं…. तुलसीदास को ‘अनुवादक’ बता पल्लवी पटेल ने शुरू कर दिया नया विवाद?

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस की विवादित पंक्ति को लेकर बहस-मुबाहिसा जारी है। अब सपा विधायक पल्लवी पटेल ने तुलसीदास को संत नहीं बल्कि एक अनुवादक बताया है और कहा है कि वह रामचरितमानस में भरोसा नहीं करतीं। पल्लवी पटेल का कहना है कि तुलसीदास ने कई रामायणों को मिलाकर और उनमें अपनी विचारधारा जोड़कर एक नई पुस्तक तैयार की है। उन्होंने यह भी कहा कि मानस में प्रयोग किए गए विवादित शब्दों को लोगों के मन से हटाने के लिए एक बड़ा आंदोलन करना होगा।

रामचरितमानस पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर विवाद मचा हुआ है। अब इस पर सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य को हराने वाली सपा नेता पल्लवी पटेल ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि रामायण के बहुत से खंड हैं और उसे बहुत से लेखकों ने लिखा है। तुलसीदास ने उन्हीं का अनुवाद किया है। उन्होंने उन सभी रामायण से अंश लेकर, अनुवाद कर और उसमें अपने विचार जोड़ते हुए रामचरितमानस लिखा है।

पटेल ने कहा कि अब रामचरितमानस की जिन चौपाइयों की बात हो रही है, देखें तो वैसे भी कुरआन में भी लिखा है कि बुतपरस्ती हराम है। इतिहासकार ने कहा है कि बुतपरस्तकी में जो लोग हैं, काफिर हैं। मैं ऐसा नहीं मानती और न विश्वास करती हूं। हमारे लिए मूर्तिपूजन साकार ब्रह्म है। जिसको मैं मानती नहीं, उस पर बात नहीं करती। उन्होंने आगे कहा कि किसी पंक्ति को हटाना या शब्द को हटाना अहम नहीं है। महत्वपूर्ण है कि वो शब्द लोगों के अंतररात्मा में दिमाग में छपा है। अगर हमें हटाना है और विरोध करना है तो हमें अपने आंदोलन को इतना बड़ा करना होगा कि वो शब्द हमारे दिमाग से हटे और आत्मा से हटे।

पल्लवी पटेल ने कहा कि रामचरितमानस की चौपाई में गलत ये है कि उसमें शूद्र बोला जाता है और लोगों के दिमाग में शू्द्रों के लिए जो हमेशा से रहा है, जिस प्रकार से दमन किया गया है, जिस प्रकार से शोषण हुआ है, वो हटना चाहिए। पटेल ने साफतौर पर कहा कि मैं रामचरितमानस में विश्वास नहीं करती और तुलसीदास को अनुवादक मानती हूं। संत न मानते हुए मैंने ये माना कि वो ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सभी रामायणों को पढ़ते हुए एक नई पुस्तक लिखी। इन शब्दों को लोगों के मानस से हटाने के लिए एक आंदोलन होना चाहिए।

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