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पार्टी में नई जान फूंकने की कोशिश कर रही बसपा ने विधान सभा चुनाव के बाद से ही निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए 2007 के बाद वृहद सदस्यता अभियान चलाया। हर विधान सभा में 20-25 हजार सदस्य बनाए। इसके बाद पार्टी संगठन में बदलाव किए गए।
आरक्षण घोषित होने से पहले ही हर सीट पर तीन-पांच दावेदारों का पैनल भी तैयार करवाया ताकि नाम जल्द घोषित कर दिए जाएं और प्रत्याशियों को प्रचार का पूरा मौका मिल सके। आरक्षण घोषित होने के बाद से पार्टी प्रमुख लगातार पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर रही हैं।
पार्षद टिकट के इंटरव्यू शुरू
मायावती ने पार्षद, सभासद और पंचायत सदस्यों के नामों का ऐलान करने के लिए जिला और मंडल इकाइयों को निर्देश दिए हैं। जिला स्तर से तय पैनल के मंडलीय पदाधकारी दावेदारों के इंटरव्यू ले रहे हैं। जल्द ही नामों का ऐलान कर दिया जाएगा। वहीं महापौर के नाम का ऐलान पार्टी सुप्रीमों खुद करेंगी। इसके लिए उन्होंने दावेदारों को इंतजार करने को कहा है। हालांकि मेयर के लिए भी हर जिले में कई दावेदार हैं।
लखनऊ में ही पिछला विधान सभा चुनाव लड़ चुके दो मुस्लिम दावेदार टिकट मांग रहे हैं। इसके अलावा दो कायस्थ दावेदार भी हैं। वहीं वैश्य समाज से एक पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री ने भी दावेदारी की है। सूत्रों का कहना है कि मेयर का प्रत्याशी फाइनल करने में वक्त लग सकता है।
इसकी वजह है कि पार्टी को और मजबूत प्रत्याशी की तलाश है। खासकर दूसरे दलों पर नजर रखी जा रही है ताकि जातीय समीकरण साधा जा सके। वहीं दूसरी पार्टी से टिकट नहीं पाने वाले मजबूत प्रत्याशी पर भी बसपा दांव लगा सकती है।
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