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IAS Success Story: कोचिंग के बजाय घर में रहकर की तैयारी और पहले प्रयास में IAS बनी वंदना सिंह चौहान

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IAS Success Story: कोचिंग के बजाय घर में रहकर की तैयारी और पहले प्रयास में  IAS बनी वंदना सिंह चौहान

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IAS Success Story: हरियाणा की रहने वाली वंदना सिंह चौहान गांव की पृष्ठभूमि से आती हैं। उन्होंने घर से बाहर निकलने के बजाय घर में ही रहकर तैयारी की और अपने पहले प्रयास में ही 8वीं रैंक लाकर IAS अधिकारी बन गई।

आईएएस वंदना सिंह चौहान

आईएएस वंदना सिंह चौहान

IAS Success Story: देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा के लिए हर साल लाखों युवा संघ लोक सेवा सेवा आयोग(UPSC) की परीक्षा देते हैं। लेकिन, इसमें सफलता सभी के हाथ नहीं लगती है। क्योंकि, परीक्षा कठिन होने की वजह से इसे पास करना आसान नहीं होता है। ऐसे में युवा महंगी कोचिंग में पहुंच दाखिला लेते हैं और तैयारी करते हैं। हालांकि, इसके बाद भी सफलता की कोई गारंटी नहीं होती है। आज हम आपको हरियाणा की रहने वाली वंदना सिंह चौहान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने घर से बाहर निकलने के बजाय घर में ही रहकर सिविल सेवा की तैयारी की और 8वीं रैंक लाकर IAS अधिकारी बन गई।

वंदना का परिचय

वंदना मूलरूप से हरियाणा के नसरूल्लागढ़ की रहने वाली हैं। उनका जन्म संयुक्त परिवार में हुआ था। वहीं, आसपास की पृष्ठभूमि की वजह से परिवार को बेटी के अधिक पढ़ने पर भी शिकायत थी। लेकिन, उनके पिता महिपाल सिंह चौहान ने उन्हें मुरादाबाद स्थित गुरूकुल में भेज दिया, जहां से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।

LLB में लिया दाखिला

वंदना सिंह चौहान ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद आगरा के डॉ. बी आर अंबेडकर विश्वविद्यालय में LLB में दाखिला लिया। हालांकि, परिवार के अधिक सहयोग नहीं करने पर उन्होंने घर में ही रहकर पढ़ना शुरू किया। वह किताबों को ऑनलाइन ऑर्डर किया करती थी या फिर अपने भाई को किताबें लाने के लिए भेजती थी। इस तरह से उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा को पूरा किया।

घर में 10 घंटे से अधिक की पढ़ाई

वंदना ने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद सिविल सेवाओं में जाने का मन बनाया और इसकी तैयारी शुरू की। हालांकि, इस बार भी उन्होंने बाहर नहीं निकलने का निर्णय लिया और घर में ही रहकर तैयारी करना शुरू की। वंदना दिन में 10 से 12 घंटे अपनी पढ़ाई को दिया करती थी। तैयारी के दौरान भी परिवार का अधिक साथ नहीं मिला, लेकिन उनके भाई ने उनका पूरा सहयोग किया।

2012 में 8वीं रैंक के साथ बनी IAS

वंदना ने अपनी पूरी तैयारी होने के बाद साल 2012 में पहला प्रयास किया और वह प्रीलिम्स की परीक्षा को पास कर गई। इसके बाद उन्होंने मेंस का और अच्छे से रिविजन किया और उन्होंने मेंस की परीक्षा में भी सफलता पाई। साथ ही इंटरव्यू में भी उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करते हुए आठवीं रैंक प्राप्त की और IAS अधिकारी बन गई।

अभ्यर्थियों को यह सलाह

वंदना के मुताबिक, उन्होंने प्रीलिम्स की परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग को नजरअंदाज किया था। हालांकि, वह परीक्षा को पास कर गई। वह सलाह देती हैं कि तैयारी के दौरान प्रीलिम्स की भी अच्छे से तैयारी करें और मेंस पर भी फोकस रखें।

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