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IAS Success Story:माता-पिता खेतों में करते हैं काम, बेटा निवृत्ति पांचवे प्रयास में बना IAS

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IAS Success Story:माता-पिता खेतों में करते हैं काम, बेटा निवृत्ति पांचवे प्रयास में बना IAS

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IAS Success Story: निवृत्ति सोमनाथ ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की, जिससे वह सेल्स अधिकारी बन गए। वहीं, बाद में वह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में तीन बार असफल होने के बाद चौथी बार में आईआरएस और पांचवी बार में आईएएस अधिकारी बन गए।

IAS Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में शुमार है। परीक्षा कठिन होने की वजह से कुछ युवा इस परीक्षा को कई प्रयासों में पास कर पाते हैं। वहीं, कुछ युवा बीच में ही हार मान जाते हैं। आज हम आपको महाराष्ट्र के रहने वाले निवृत्ति सोमनाथ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग की और फिर लोक सेवा आयोग के माध्यम से सेल्स अधिकारी बन गए। हालांकि, उनका सपना आईएएस बनने का था। ऐसे में उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी की और पांचवे प्रयास में आईएएस अधिकारी बन गए। तो, आइये जानते हैं निवृत्ति की सफलता की कहानी।

निवृत्ति का परिचय

निवृत्ति सोमनाथ मूलरूप से महाराष्ट्र के नासिक जिले के गुवांच गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा निमगांव जिला परिषद के स्कूल से पूरी की। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा के लिए बड़ागांव पिंपरी माध्यमिक विद्यालय में दाखिला लिया। यहां से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिंहगढ़ कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उनके माता-पिता खेतों में काम करते हैं।

पढ़ाई के बाद तीन साल नौकरी

पढ़ाई पूरी करने के बाद निवृत्ति ने तीन साल नौकरी की, लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लगा। ऐसे में उन्होंने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैायरी करना शुरू किया।

परीक्षा पास कर बने सेल्स अधिकारी

निवृत्ति ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर सेल्स अधिकारी बनकर सरकारी नौकरी को हासिल किया। हालांकि, इस दौरान उन्होंने आईएएस बनने का निर्णय लिया और इसकी तैयारी शुरू कर दी।

तीन बार हुए फेल

निवृत्ति ने जब तैयारी कर यूपीएससी में अपना पहला प्रयास किया, तो वह पहली बार में असफल हो गए। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरा प्रयास किया। लेकिन, वह इस बार भी फेल हो गए। निवृत्ति ने हार न मानते हुए फिर प्रयास किया और वह तीसरे प्रयास में भी फेल साबित हुए।

चौथी बार में बने आईआरएस

निवृत्ति ने अपना चौथा प्रयास किया और इस बार वह प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू में जगह बनाते हुए परीक्षा को पास करने में सफल रहे। हालांकि, उन्हें आईआरएस का पद मिला, जबकि उनके मन में आईएएस बनने का सपना था।

पांचवे प्रयास में बने आईएएस

निवृत्ति ने हार न मानते हुए नौकरी के साथ पांचवा प्रयास किया और इस बार भी उन्होंने परीक्षा को पास किया। इस बार न उन्होंने परीक्षा पास की, बल्कि 166वीं रैंक के साथ वह साल 2020 में आईएएस अधिकारी बन गए।

निवृत्ति सोमनाथ की कहानी हमें बताती है कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। यदि बार-बार असफल हो रहे हैं, तो इसका यह मतलब नहीं कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी। हमें सफलता के लिए प्रयास करना होगा, तभी मेहनत के साथ सफलता को प्राप्त किया जा सकता है।

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