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Muzaffarpur News : लीची तोड़ने के 48 घंटे पहले कर यह छिड़काव बढ़ जाएगी लाइफ

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Muzaffarpur News : लीची तोड़ने के 48 घंटे पहले कर यह छिड़काव बढ़ जाएगी लाइफ

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अभिषेक रंजन/मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर की मशहूर शाही लीची अब लोगों की जुबान पर छाने लगी है. पिछले तीन-चार माह से जो लोग इसके पकने के इंतजार कर रहे थे, उन्हें अब यह खाने को मिलने लगा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लीची के साथ सबसे बड़ी समस्या इसे तोड़ने के बाद ज्यादा दिन तक रखने की होती है. ऐसे में मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के पादप रोग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार ने न्यूज 18 लोकल से बातचीत में कई महत्वपूर्ण बातें बताई है.

ट्रायल के लिए दे रहे माइक्रोबियल फॉरमेशन
डॉ. विनोद बताते हैं कि शाही लीची अब ज्यादा से ज्यादा 5 जून तक तोड़ी जाएगी और चाइना लीची अधिक से अधिक 14 जून तक चलेगी. ऐसे में मुजफ्फरपुर के लीची की सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में एक माइक्रोबियल फॉरमेशन तैयार किया है.

प्रधान वैज्ञानिक विनोद कुमार बताते हैं कि यह माइक्रोबियल फॉरमेशन राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा किसानों को ट्रायल के लिए मुफ्त में दिया जा रहा है. इसके प्रयोग से किसान लीची की सेल्फ लाइफ बढ़ा सकते हैं. डॉ. विनोद कुमार बताते हैं कि लीची तोड़ने के 48 घंटे पहले अगर इस माइक्रोबियल फॉरमेशन का छिड़काव किया जाए, तो लीची को अधिक से अधिक दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इस प्रकार से टूटने के बाद लीची के छिलके का रंग जल्दी भूरा नहीं होता है.

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इस मात्रा में करें छिड़काव
वैज्ञानिक डॉ. विनोद की माने तो राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा तैयार किया गया माइक्रोबियल फॉरमेशनका चाइना लीची में प्रयोग करने के लिए अभी उपयुक्त समय है. इस फॉर्मेशन का 5ml एक लीटर पानी में घोलकर लीची के पेड़ पर छिड़काव करने से लीची का सेल्फ लाइफ बढ़ता है. इसका छिड़काव लीची तोड़ने के 48 घंटे पहले करना है. इस फॉर्मेशन के छिड़काव के बाद तोड़े जाने वाली लीची का पैकिंग ठीक वैसे ही करना है, जैसे अन्य पैकिंग होती है. यह छिड़का उन लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, जो व्यापारी यहां की लीची को दूर भेजना चाहते हैं.

7 लेयर का बॉक्स उपयुक्त
डॉ. विनोद कुमार कहते हैं कि आजकल लीची पैकिंग के लिए मिलने वाला 7 लेयर बॉक्स सबसे उपयुक्त है. लीची अनुसंधान केंद्र में भी इसी बॉक्स के माध्यम से पैकिंग की जाती है. उन्होंने बताया कि जिन लोगों को यह माइक्रोवियल फॉरमेशन चाहिए वह 2 दिन पहले राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र को सूचित कर इसे पा सकते हैं.

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