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रिपोर्ट-अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड में मां चामुंडा का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर के संदर्भ में मान्यता है कि मंदिर में विराजमान मां चामुंडा रामायण काल में माता सीता के पिता राजा जनक की कुलदेवी थीं. मंदिर के पुजारी रमेश झा बताते हैं कि मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड में स्थित यह मंदिर बेहद ही प्राचीन मंदिर है.
पुजारी श्री आगे बताते हैं कि इस मंदिर में पीपल के वृक्ष के नीचे मां चामुंडा स्वयं प्रकट हुई थी. यह मंदिर कटरा में बेहद ऊंचे स्थान पर त्रेता युग से ही मौजूद है. राजा जनक की कुलदेवी मां चामुंडा का पिंडी स्वरूप आज भी मंदिर में विराजमान है. मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान मां चामुंडा सभी दुखों को हरने वाली है. साथ ही सभी मनोकामना को पूर्ण करती है.
नेपाल से हर साल बड़ी संख्या में आते हैं श्रद्धालु
पंडित रमेश झा बताते हैं कि यह मां चामुंडा का मंदिर ठीक वैसा ही है, जैसा मां चामुंडा का मंदिर जम्मू के कटरा में स्थित है. वे बताते हैं कि महाराज जनक का घर नेपाल भी यहां से बहुत दूर नहीं है. इसलिए पूरे नेपाल से खासकर जनकपुर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. वे बताते हैं कि नेपाल से आने वाले श्रद्धालु की संख्या नवरात्र के दिन में बड़े पैमाने पर होती है. रमेश झा कहते हैं कि नेपाल के अलावा बंगाल और उत्तरप्रदेश से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में मुजफ्फरपुर के कटरा में स्थित मां चामुंडा के दर्शन के लिए आते हैं.
निःसंतान दंपति की पूरी होती है मनोकामना
पंडित रमेश झा ने आगे बताया कि मां चामुंडा सभी मनोकामनाओं को पूरी करने वाली हैं. सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को मंदिर में माता का विशेष दरबार लगता है. यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोनोकामना पूरी होती है. पंडित झा की माने तो माता चामुंडा के मंदिर में अगर निःसंतान दंपति संतान मांगते हैं, तो मां अवश्य वर देती हैं. मुजफ्फरपुर के मां चामुंडा की प्रसिद्धि चारों ओर है. मां के मंदिर में नव वर्ष और नवरात्र के समय लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं.
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पहले प्रकाशित : अप्रैल 29, 2023, 3:52 अपराह्न IST
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