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Muzaffarpur News : मुजफ्फरपुर अंखफोड़वा कांड पर सख्त हुआ पटना हाईकोर्ट, बिहार सरकार से मांगा जवाब

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Muzaffarpur News : मुजफ्फरपुर अंखफोड़वा कांड पर सख्त हुआ पटना हाईकोर्ट, बिहार सरकार से मांगा जवाब

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मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल में मोतियाबिंद की असफल सर्जरी के दौरान कम से कम 20 लोगों की आंख की रोशनी चले जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। ये सुनवाई एक जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों पर हुई। इस दौरान कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए गुरुवार को राज्य सरकार से इस मामले में तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।

मुजफ्फरपुर अंखफोड़वा कांड पर जनहित याचिका

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने मुजफ्फरपुर के तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से दायर जनहित याचिका पर वर्चुअल सुनवाई करते हुए इसे एक गंभीर मामला बताते हुए संज्ञान लिया और सभी सरकारी प्रतिवादियों को नोटिस तत्काल जारी करने का निर्देश दिया।

सरकार ने हाईकोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब

मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान मौजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय कुमार रस्तोगी ने मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य), निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं), आयुक्त तिरहुत, मुजफ्फरपुर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और सिविल सर्जन सहित राज्य के सभी उत्तरदाताओं की ओर से नोटिस स्वीकार किए। अदालत ने इससे संबंधित नवीनतम कानूनी जानकारी प्रदान करने में सहायता करने के लिए वकील आशीष गिरी को एमिकस क्यूरी (अदालत के मित्र) के रूप में नियुक्त किया है।

तीन लोगों ने दायक की है जनहित याचिका

यह जनहित याचिका मुकेश कुमार, संत कुमार और आचार्य चंद्र किशोर पाराशर ने अपने अधिवक्ता विजय कुमार सिंह के माध्यम से दायर की है। इसमें मुजफ्फरपुर में 22 से 27 नवंबर के बीच हुई घटना की उच्च स्तरीय जांच के लिए प्रार्थना की गई है। जनहित याचिका के अनुसार, अस्पताल में 300 से अधिक लोगों की मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप उनकी आंखों में बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल गया था। जिसका नतीजा ये हुआ कि 20 से अधिक लोगों की आंख ही निकालनी पड़ गई।

मुआवजे से लेकर कार्रवाई तक की मांग

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया कि जांच समिति को प्रत्येक व्यक्ति पर आपराधिक दायित्व डालने के लिए कहा जाए, जिसमें न केवल नेत्र अस्पताल का प्रबंधन शामिल है, बल्कि दोषी चिकित्सा अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्हें स्वास्थ्य के नियमित निरीक्षण का काम सौंपा गया था। याचिकाकर्ताओं ने पीड़ितों के लिए मुआवजे और सभी सरकारी अस्पतालों में नेत्र रोगियों के लिए उचित व्यवस्था की भी मांग की है। इस मामले पर अब 17 फरवरी को कोर्ट में सुनवाई होगी।

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