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Bihar Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि महागठबंधन अब बगैर पतवार की नाव है, इसका मांझी बीच मंझधार में ही साथ छोड़ गया है। ऐसे में जब महागठबंधन अपने सहयोगी साथियों को रोकने में सक्षम नहीं है, फिर वह मोदी को सत्ता में आने से कैसे रोकेंगे।
गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल के ध्वस्त होने से बिहार की बदनामी
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जहां पुल गिरने पर निर्माणकर्ता एजेंसी पर आरोप तय कर कार्रवाई होनी चाहिए थी, वहां महागठबंधन सत्ता की राजनीति कर रही है। इस मामले की लीपापोती की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि एक और नरेंद्र मोदी 900 करोड़ की लागत से संसद भवन का निर्माण करा कर चर्चा में है, दूसरी ओर 17 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल ढ़ह जाने से बिहार की बदनामी हो रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा बिहार में निवेश के लिए औद्योगिक घराना इच्छुक है लेकिन इसके लिए पहले विधि व्यवस्था दुरूस्त करनी होगी। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में अभी उद्योग फल फूल ही रहा था कि सरकार बदल गई, नतीजतन सरकार बदलते ही उद्योग विभाग की सोच बदली। हल्दीराम और पेप्सी समेत कई कंपनियां मुंह मोड़ गई। इसके बावजूद भी टेक्सटाइल क्षेत्र में उद्योगपति बिहार में निवेश को इच्छुक है।
टेक्सटाइल नीति को 1 साल का विस्तार दिया जाए
शाहनवाज हुसैन ने बिहार सरकार से मांग की कि अहम पालने की जगह उनकी आरे से बनाई गई टेक्सटाइल नीति को 1 साल का विस्तार दिया जाए। निश्चय ही इससे बिहार का भला होगा। शहनवाज हुसैन ने कहा कि भले ही उनके बीच वैचारिक मतभेद हो लेकिन विकास के मुद्दे पर बीजेपी कभी भी राजनीति करना पसंद नहीं करती है। भागलपुर का जर्दालू आम इस बार बिहार सरकार की ओर से प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति समेत अन्य विभागों को नहीं भेजे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब बिहार सरकार ही दे सकेगी। लेकिन सच यह है कि इस परंपरा को कायम रखने से भागलपुर के आम व्यवसाय को प्रचार प्रसार के साथ बढ़ावा मिलता था। रेल दुर्घटना के कारण आम नहीं भेजा जाना सही कारण प्रतीत नहीं होता है।
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