Home Muzaffarpur Muzaffarpur News: गर्मी के साथ बढ़ा चमकी बुखार का खतरा, जान लीजिए मुजफ्फरपुर का हाल

Muzaffarpur News: गर्मी के साथ बढ़ा चमकी बुखार का खतरा, जान लीजिए मुजफ्फरपुर का हाल

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Muzaffarpur News: गर्मी के साथ बढ़ा चमकी बुखार का खतरा, जान लीजिए मुजफ्फरपुर का हाल

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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में जैसे-जैसे गर्मी जानलेवा होती जा रही है, चमकी बुखार का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। गुरुवार तक प्रशासनिक आंकड़े के मुताबिक 30 बच्चे चमकी बुखार से बीमार होकर एसकेएमसीएच में भर्ती हुए हैं। इनमें से 28 बच्चों को उपचार के पश्चात रिलीज किया जा चुका है। हालांकि यह आंकड़े किसी एक प्रखंड या पंचायत या जिला की नहीं है बल्कि उत्तर बिहार के विभिन्न जिले की है। विभिन्न जिलों से चमकी बुखार से संक्रमित 30 बच्चों को अब तक एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया है। अच्छी खबर यह है कि उपचार के बाद बीमार बच्चों में से 28 बच्चे स्वस्थ हो घर जा चुके हैं।बता दें कि 2 वर्ष पूर्व चमकी बुखार के प्रकोप के कारण 111 से अधिक बच्चों को अकारण जान से हाथ गंवाना पड़ा था। तब न सिर्फ बिहार बल्कि केंद्रीय स्तर पर चमकी बुखार से हुई मौतों पर बवाल मचा था। आनन-फानन में एसकेएमसीएच में चमकी बुखार की जांच और उपचार के लिए विशेष वार्ड और बिल्डिंग बनाए गए थे।

बिहार में चकमी बुखार की चपेट में पड़ने लगे बच्चे

हीटवेव को लेकर अलर्ट

मौसम विभाग के द्वारा जारी 5 दिनों तक चलने वाली हीटवेव को लेकर और बढ़ती गर्मी के साथ हर रोज दो बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती हो रहे हैं। प्रभारी डीएम आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि बढ़ती गर्मी को लेकर स्वास्थ्य विभाग चमकी बुखार के इलाज और इससे बचाव को लेकर अलर्ट है। इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी। ऐतहातन कदम उठाते हुए सभी सरकारी विद्यालय मे कक्षा 5 तक की छुट्टी 10 बजे तक करने का आदेश जारी कर दिया गया है। वहीं डीडीसी ने अपील करते हुए कहा कि छोटे बच्चों को खाली पेट ना सुलाएं। रात को उन्हें कुछ मीठा या गुड़ जरूर खिला कर सुलाएं।

बिहार में बच्‍चों पर कहर बनकर टूट रही चमकी बुखार

एईएस या चमकी बुखार की बीमारी बीते कुछ सालों से बिहार में बच्‍चों पर कहर बनकर टूट रही है। गर्मी बढ़ने के साथ इसका खतरा बढ़ जाता है। बीते 12 साल के दौरान बिहार में 20 हजार से अधिक बच्‍चे इसकी चपेट में आ चुके हैं। बीमारी के केंद्र मुजफ्फरपुर जिले में ही बीते 12 सालों के दौरान करीब पांच सौ मौतें हुईं हैं। साल 2019 में 111 बच्चों की मौत से तो पूरे देश में हड़कंप मच गया था।

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