[ad_1]
मुजफ्फरपुर किडनी कांड केस के मुख्य आरोपी सह नर्सिंग होम का संचालक पवन कुमार आठ साल तक भूटान में रह चुका है। वहां की फल मंडी में वह फल बेचता था। इसी दौरान कोराेना काल शुरू हो गया। लॉकडाउन में पवन अपने घर आ गया।
इसके बाद दोबारा नहीं जा पाया। फिर उसने सकरा में एक दवा दुकान में काम करना शुरू किया। इसी दौरान किसी तरीके से उसकी पहचान इस केस के दूसरे आरोपी और सुनीता का ऑपरेशन करने वाले डॉ. आरके सिंह से हुई।
वो लोग सकरा और इसके आसपास क्लिनिक खोलना चाह रहे थे। पवन ने कहा कि उसका घर खाली है। फिर क्या था, आनन फानन में एक बोर्ड लटका दिया गया। पवन ने अपने नाम के आगे भी डॉ. लगाना शुरू कर दिया।
मैट्रिक तक पढ़ा है पवन
पुलिस पूछताछ में उक्त बातें सामने आई है। उसने बताया कि वह मैट्रिक तक ही पढ़ा है। लेकिन, डॉक्टर आरके सिंह के बहकावे और रुपए कमाने के लालच में आकर उसने नाम के आगे डॉक्टर शब्द जोड़ लिया।
प्रतिदिन डॉक्टर आरके सिंह अपने असिस्टेंट पवन के साथ आते थे। ढाई साल में उन सभी ने मिलकर 20 से अधिक मरीजों का ऑपरेशन किया था। यूट्रस के अलावा हार्निया, एपेंडिक्स का भी ऑपरेशन करता था।
एक मरीज की हो चुकी मौत
पुलिस पूछताछ में पवन ने बताया कि शुरुआती दिनों में ही यूट्रस के ऑपरेशन के दौरान एक महिला मरीज की मौत हो गई थी। लेकिन, सब ने मिलकर उसके परिजन को रुपए पैसे देकर उसका मुंह बंद करा दिया था।
मामला पुलिस तक भी नहीं पहुंचा था। बरियारपुर और इसके आसपास के गांव में उसने अच्छी पकड़ बना ली थी। उसके यहां नॉर्मल बीमारी वाले मरीज भी आते थे, जिन्हें आरके सिंह देखते थे।
आरके सिंह का सुराग नहीं
पुलिस की जांच पड़ताल में डॉक्टर आरके सिंह फरार है। घटना के बाद से ही वह गायब है। उसके अलावा अन्य आरोपी का भी कोई सुराग नहीं मिला है। यहां तक कि उसका घर कहां है और क्लिनिक कहां है, इसका भी पता पुलिस को नहीं लगा है। पवन ने बताया कि आरके सिंह मुजफ्फरपुर के कच्ची पक्की का रहने वाला है। लेकिन, अबतक पुलिस उसके घर को नहीं खोज सकी है।
जमकर बटोरे थे रुपए
सूत्र बताते हैं कि आरके सिंह ने पवन के जरिए जमकर रुपए कमाए। इससे मुजफ्फरपुर में आलिशान मकान भी बना रखा है। लेकिन, मकान किस इलाके में है, इसका पता नहीं लगा है। उसका सकरा में भी क्लिनिक होने की बात सामने आई है। पर सही लोकेशन नहीं मिल सका है।
फर्जी डिग्री दिखाता था
पुलिस जांच में ये भी पता लगा कि आरके सिंह MBBS की फर्जी डिग्री लेकर घूमता था। इसे दिखाकर वह भोलेभाले ग्रामीणों को ठगने का काम करता था। पवन को उसने रुपए कमाने का जरिया बना रखा था। पवन भी रुपए कमाने के लालच में पड़ कर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने लगा।
आरके सिंह की गिरफ्तारी बनी चुनौती
पुलिस के लिए अब आरके सिंह की गिरफ्तारी चुनौती बनी हुई है। DSP पूर्वी मनोज पांडेय का कहना है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद ही असल सच्चाई सामने आएगी कि किडनी निकालने के पीछे क्या वजह थी। अबतक की जांच में तो ये लापरवाही साबित हुई है। वैसे अभी अनुसंधान जारी है। मानव अंग तस्करी के सभी बिंदुओं पर पुलिस ने जांच की है। लेकिन, अबतक ये बात सामने नहीं आई है।
[ad_2]