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खराब प्रदर्शन – अरवल को पहला, मुजफ्फरपुर को 29वां स्थान, जिले के 6.31% एचएम ने प्रोजेक्ट पूरा किया।
माइक्रो इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट ‘पढ़े बिहार, बढ़े बिहार’ को पूरा करने में मुजफ्फरपुर फिसड्डी साबित हुआ है। जिले के 93.69 फीसदी प्रधानाध्यापकों ने विद्यालय आधारित गतिविधियों का टास्क ही पूरा नहीं किया। इससे मुजफ्फरपुर को सूबे में 29वां स्थान मिला है। महज 6.31 फीसदी एचएम ने ही अब तक प्रोजेक्ट पूरा किया है।
इसमें अरवल को पहला स्थान मिला है। यहां के 72.01 फीसदी एचएम ने प्रोजेक्ट पूरा किया। वहीं, दूसरे स्थान पर रोहतास से 59.94 फीसदी, तीसरे स्थान पर वैशाली से 59.94 फीसदी प्रधानाध्यापकों ने टास्क को पूरा किया है। तिरहुत प्रमंडल में सबसे बेहतर प्रदर्शन वैशाली का है।
इसमें पूर्वी चंपारण को 37वां, पश्चिम चंपारण को 33वां, शिवहर को 18वां, सीतामढ़ी को 21वां स्थान मिला है। राजधानी पटना का 32वां स्थान है। सूबे में अब तक 36880 स्कूलों में प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसमें से 11970 प्रधानाध्यापकों ने प्रोजेक्ट पूरा किया है। बीईपी के गुणवत्ता शिक्षा संभाग प्रभारी सुजीत कुमार ने बताया कि मुजफ्फरपुर जिले के महज 6.31 फीसदी एचएम ने अभी प्रोजेक्ट पूरा किया है।
‘पढ़े बिहार, बढ़े बिहार’ प्रोजेक्ट – 100 दिवसीय पठन अभियान
शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से 100 दिवसीय पठन अभियान की शुरुआत कराई गई। इसका उद्देश्य था कि हर बच्चा पढ़ना सीखे और इसके बाद सीखने के लिए पढ़ सके। अभियान की मॉनिटरिंग के लिए माइक्रो इंप्रूवमेंट प्रोग्राम की शुरुआत हुई थी। इसके लिए प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापकों को प्रोजेक्ट के रूप में टास्क सौंपे गए थे।
इसमें विद्यालय आधारित गतिविधियों का संचालन करना था। इसमें शिक्षकों से लेकर विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों से भी सहयोग लेना था। माइक्रो प्रोजेक्ट में एचएम को बच्चों के पढ़ने और पढ़ कर सीखने की दक्षता के विकास के लिए स्कूल में 2 सप्ताह का प्रोजेक्ट चलाना था। इसमें पठन संबंधी गतिविधियों का संचालन होना था।
प्रोजेक्ट पूरा करने में 4 दिन शेष
अभी जिले के स्कूलों में गर्मी छुट्टी है। वहीं, निदेशालय की ओर से जिलों को दिए गए निर्देश में कहा गया है कि प्रोजेक्ट को पूरा करने में 4 दिन शेष है। ऐसे में अब प्रोजेक्ट कैसे पूरा होगा, इसको लेकर शिक्षक चकित हैं।
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