Home Entertainment भाबी जी घर पर हैं: विभूति बने जौहरी, डेविड चाचा संग मिलकर ‘तिवारी जी’ को ऐसे बनाया बेवकूफ

भाबी जी घर पर हैं: विभूति बने जौहरी, डेविड चाचा संग मिलकर ‘तिवारी जी’ को ऐसे बनाया बेवकूफ

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भाबी जी घर पर हैं: विभूति बने जौहरी, डेविड चाचा संग मिलकर ‘तिवारी जी’ को ऐसे बनाया बेवकूफ

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भाबी जी घर पर हैं (Bhabi Ji Ghar Par Hai) सीरियल को आज 7 साल पूरे हो गए हैं. पिछले कई सालों से शो का हर एक एपिसोड आपके लिए हंसी के फुव्वारे लेकर आता है. ‘भाबी जी घर पर हैं’ के किरदार  विभूति नारायण यानी आशिफ शेख (Aasif Sheikh), तिवारी जी यानी रोहिताश्व गौड (Rohitashv Gour), ‘अंगूरी भाबी’ शुभांगी अत्रे (Shubhangi Atre) ने लोगों के दिलों में खास जगह बना ली है. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं Bhabi Ji Ghar Par Hai 2 March 2022 Episode का अपडेट…

आज के एपिसोड की शुरुआत होती है विभूत और डेविड से. विभूति डेविड चाचा से अंगूरी को वेबकूफ कहने के लिए मना करता है और धमकी देने लगता है. डेविड चाचा गुस्सा हो जाते हैं. दोनों आपस में बहस करने लगते हैं. इन दोनों को देख तिवारी जी बोलते हैं कि आप दोनों चिल्ला क्यों रहे हैं, लेकिन दोनों अपनी बहस जारी रखते हैं. विभूति चाचा जी को रुकने के लिए कहता है. तभी अंगूरी भाबी बाहर आती हैं और तिवारी जी को कहती हैं कि अम्मा जी का फोन आया था, उन्होंने कहा है कि पंडित रामपाल ने आपको नीलम पत्थर की अंगूठी पहनने के लिए कहा, नहीं तो बुरा होगा. वहां खड़े विभूति और डेविड भी ये बात सुन लेते हैं.

तिवारी जी अपने घर के अंदर अंगूरी से चाय लाने के लिए कहते हैं. अंगूरी उन्हें चाय देती है और कहती है कि अम्माजी ने फोन किया, तिवारी कहते हैं कि तुम दोनों हमेशा फोन पर रहते हो. तभी डेविड तिवारी के घर के अंदर जाते हैं और तिवारी को बधाई देते हैं. विभु जौहरी के वेश में अंदर आता है. अंगूरी पूछती है कि तुम कौन हो, डेविड कहता है कि वह मेरा दोस्त है, उसका नाम नीलम पनाधारी है, और उसके पास श्रीलंका का प्रसिद्ध नीलम पत्थर है. नीलम पनाधारी यानि विभूति कहता है कि जो कोई भी इस पत्थर को पहनता है वह सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचेगा. ये सुन अंगूरी तुरंत बोलती है कि यह वही पत्थर है. तिवारी कहते हैं कि चुप रहो यह भी स्कैम हो सकता है, डेविड कहते हैं कि मैं भी पत्थर पहन रहा हूं और यह अच्छी तरह से काम करता है, तिवारी कहते हैं कि हमें पत्थर दिखाओ. विभुति तिवारी जी को अंगूठी थमाते हैं और कहते हैं कि यह श्रीलंका से है.


तिवारी जी नीलम पनाधारी उर्फ विभूति से इस अंगूठी की कीमत पूछते हैं. विभूति बोलता है कि डेविड मेरा बहुत अच्छा दोस्त है इसलिए मैं इसके 3, तिवारी बीच में बोल पड़ते हैं कि उसे 300 दे दो. डेविड चाचा बोलते हैं कि उसका मतलब है 3 लाख रुपए. तिवारी जी कहते हैं मूझे कुछ तो छूट दो. डेविड अंगूरी से बोलते हैं कि आप अंतिम राशि बताइए. अंगूरी 30 हजार बोलकर अंदर चली जाती है. तिवारी जी भी पैसे लेने अंदर चले जाते हैं.

इधर तिवारी जी से पैसे लेकर आने के बाद विभूति और डेविड चाचा आपस में पैसे के बंटवारे के लिए बहस शुरू कर देते हैं . तिवारी दोनों की सारी बातें सुन लेता है. विभूति कहता है मुझे ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिए, तो डेविड चाचा कहते हैं कि मुझे ज्यादा मिलना चाहिए क्योंकि इसके पीछे का दिमाग मेरा ही है.

घोटाले से नाराज तिवारी सोच कर परेशान हो रहे थे. तभी सक्सेना अंधविश्वास की बात करके वहां से गुजरते हैं, तिवारी उसका समर्थन करता है, सक्सेना जी पूछते है कि कैसे तुम मेरा समर्थन कर रहे हो. तिवारी कहते हैं कि विभु और डेविड ने मुझे बेवकूफ बनाया और सक्सेना जी को सब कुछ बता देते हैं.

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