Home Bihar World Environment Day : केक काटने की बजाए पेड़ों के बीच मनाते हैं जन्मदिन, जानें पूर्णिया के TREE MAN की कहानी

World Environment Day : केक काटने की बजाए पेड़ों के बीच मनाते हैं जन्मदिन, जानें पूर्णिया के TREE MAN की कहानी

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World Environment Day : केक काटने की बजाए पेड़ों के बीच मनाते हैं जन्मदिन, जानें पूर्णिया के TREE MAN की कहानी

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पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया के रहने वाले श्रीनिवास गौतम ‘ट्री मैन’ के नाम से जाने जाते हैं। ट्री मैन इनका नाम ऐसे ही नहीं पड़ा, बाल्कि इसके इनकी 7 साल की मेहनत छिपी है। ‘ट्री मैन ऑफ बिहार’ अब तक 10,000 से ज्यादा वृक्ष लगा कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। दरअसल ट्री मैन के नाम से मशहूर पूर्णिया के श्रीनिवास गौतम का जन्मदिन भी 5 जून यानि विश्व पर्यावरण दिवस के दिन ही है। प्रकृति से प्रेम के कारण यह बीते 7 सालों से पेड़-पौधों के बीच ही अपना जन्मदिन मनाते आ रहे हैं।

कोरोना काल के दौरान इस साल भी अपने जन्मदिन पर 500 पौधे लगाने का संकल्प लिया है। मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले श्रीनिवास गौतम पेशे से पूर्णिया कॉलेज में संचालित प्राक परीक्षा केंद्र के कॉर्डिनेटर हैं। पेड़-पौधों से गहरा लगाव होने के कारण वे अपनी सैलरी का तकरीबन 50 फीसद हिस्सा पेड़-पौधों पर खर्च करते हैं। अब तक तकरीबन 10 हजार से अधिक पेड़-पौधे लगा चुके हैं।
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ट्री मैन गौतम लोगों को भी यही संदेश देते हैं कि वे अपने जन्मदिन पर एक पेड़ जरूर लगाएं। वे कहते हैं कि बीते कुछ सालों में दुनिया भर के मुल्कों में वृक्षों की कटाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है। साल दर साल बेहद तेजी से पर्यावरण प्रदूषित हुआ है और मौसम का संतुलन बिगड़ा है। लिहाज़ा जरूरत है अब हर एक को अपने जन्मदिन पर यह खास पहल करने की। पर्यावरण और पेड़ों के प्रति इनके इसी अथाह प्रेम के कारण लोगों के बीच वे ट्री मैन के नाम से मशहूर हैं।
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वन विभाग के कर्मचारी की माने तो श्रीनिवास गौतम पेड़ लगाने के लिए मौके की तलाश में रहते हैं और जब भी अवसर मिलता है वन विभाग से संपर्क कर जगह-जगह पेड़ लगाते रहते हैं। श्रीनिवास गौतम सरकार के कृषि वानिकी योजना के तहत भी नर्सरी लगाकर लोगों के बीच काफी पेड़ बांट चुके हैं। साथ ही शिक्षण संस्थान, नहरों और अन्य जगह पर भी पेड़ लगाते हैं। वृक्षारोपण के अलावा इन्हें जीव जंतुओं से भी काफी प्यार है। वह अक्सर ध्रुव उद्यान में जाकर बत्तखों को खाना भी खिलाते हैं, जिस कारण बत्तख भी उन्हें काफी प्रेम करते हैं।

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