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1952 में पहला चुनाव हुआ था। उस दौरान एक या दो प्रत्याशी होते थे। इनके समर्थकों को प्रत्याशियों के रंग का डिब्बा बता दिया जाता था। इन डिब्बों में प्रत्याशी के समर्थक कोरे कागज डालते थे। मतदान होने के बाद कोरे कागजों की गिनती होती थी। गिनती के बाद जीत घोषित कर दी जाती थी।
1957 में दर्ज हुए प्रत्याशियों के नाम
देश का दूसरा विधानसभा चुनाव 1957 में हुआ। इस चुनाव में लकड़ी के डिब्बों पर प्रत्याशियों का नाम और चुनाव चिन्ह लिखा जाने लगा। प्रत्याशियों के नाम और चिन्ह अंकित वाले डिब्बों में कोरे कागज डालकर ही तकदीर का फैसला मतदाता करते थे, जो ज्यादा दिनों तक नहीं चली। 1962 में उसको भी बदल दिया गया।
1962 के चुनाव में बैलेट पेपर
मतदान प्रक्रिया में सबसे बड़ा बदलाव देश के तीसरे विधानसभा चुनाव में हुआ था। 1962 में निर्वाचन आयोग पूरी तरह से अस्तित्व में आ चुका था। मतदान प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया। इस चुनाव में प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिन्ह वाले बैलेट पेपर दिए जाने लगे। इन पर मुहर लगाने की शुरुआत हुई। ये प्रक्रिया 40 वर्ष तक चली।
2002 में अस्तित्व में आई ईवीएम
गुजरात समेत देश के छोटे-छोटे प्रदेशों में 2002 के चुनाव में ईवीएम से वोटिंग प्रक्रिया शुरू कराई गई। 2004 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में हाईटेक वोटिंग प्रक्रिया को अपनाते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का सहारा लिया गया। इस ईवीएम से वर्ष 2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कराया गया। इससे अभी भी चुनाव हो रहा है। अब ऑनलाइन वोटिंग की तैयारी में चुनाव आयोग जुटा है।
अब ऑनलाइन वोटिंग की तैयारी
देश में कोरे कागज से शुरू हुई मतदान प्रक्रिया अब तक के कई रूप बदल चुकी है। अब इसको ऑनलाइन मतदान कराने की तैयारी चल रही है। मतदाताओं को यूनिक आइडेंटिटी कार्ड (यूआईडी नंबर) उपलब्ध करा दिए गए हैं। इन पर दर्ज नंबरों से मतदाता अपनी लॉगिन आईडी खोल कर घर बैठे मतदान कर सकेंगे। हालांकि, बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को घर बैठकर बैलेट पेपर से मतदान करने के लिए छूट दी गई है।
पहले 15 दिन चलती थी मतगणना
1952 के चुनाव में सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक मतगणना होती थी। इसमें 15 दिन लगते थे। 1962 के चुनाव के बाद मतगणना 24 घंटे होने लगी। इसमें भी दो से पांच दिन लगते थे। मगर, अब चार से पांच घंटे में ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ही नहीं, बल्की सरकार बनाने की भी तस्वीर साफ हो जाती है।
रिपोर्ट- संदीप कुमार
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