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Sitamarhi News: 16 बच्चों को कुरान कंठस्थ, जलसा-ए-दस्तारबंदी में मिली हाफिज-ए-कुरान की उपाधि

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Sitamarhi News: 16 बच्चों को कुरान कंठस्थ, जलसा-ए-दस्तारबंदी में मिली हाफिज-ए-कुरान की उपाधि

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सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले में एक मदरसा के 16 बच्चे कुरान को कंठस्थ कर लिए हैं। यह सुन कर एक पल के लिए भले ही यकीन न हो, पर बात सच है। इन होनहार और मेहनती बच्चों को मदरसा की ओर से जलसा का आयोजन कर हाफिज-ए-कुरान की उपाधि दी गई है। खास बात यह कि कुरान-ए- पाक को कंठस्थ करने वाले बच्चों को कड़े इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है। इसमें सफल होने के बाद ही उन्हें उक्त उपाधि दी जाती है। बताया गया है कि कुरान को कंठस्थ करने वाले उक्त सभी बच्चे सीतामढ़ी जिले के परिहार प्रखंड के रहने वाले हैं, जो स्थानीय मदरसा तयबूल ओलूम मदनी मस्जिद में पढ़ते थे। यही से तालिम हासिल कर बच्चों ने वह मुकाम हासिल किया है, जो हर बच्चों का एक सपना होता है।

गौरतलब है कि कुरान को कंठस्थ करने के लिए बकायदा अलग से क्लास चलता है। इस पढ़ाई को ‘हिफ्जा’ कहते हैं। इस क्लास में सभी तरह के छात्र शामिल होते हैं, चाहे वो आलिम, फाजिल या हाफिज हो, वो ‘हिफ्ज़’ के क्लास में नामांकन करा सकते हैं। क्लास पूरी होने के बाद दूसरे मदरसा से हाफिज डिग्रीधारी और हिफ्ज योग्यताधारी आते हैं और इन बच्चों का साक्षात्कार लेते हैं। उनसे कुरान में उल्लिखित बातें ही पूछी जाती है। यानी कुरान में किसी भी पेज से सवाल किया जाता है और उसका जवाब हिफ्ज वाले बच्चे देते हैं। अगर इंटरव्यू में फेल हुए, तो ऐसे बच्चों को फिर एक वर्ष मेहनत करनी पड़ती है। उक्त मदरसा में हर वर्ष ‘हिफ्ज’ (कुरान को कंठस्थ कराने की पढ़ाई ) 40 से 50 बच्चे नामांकन कराते हैं, जिसमें से करीब 50 फीसदी हर वर्ष सफल होकर यानी कुरान कंठस्थ कर ‘हाफिज-ए-कुरान’ की उपाधि लेकर निकलते हैं। बता दें कि 10-12 पेज का एक सिपारा होता है और 30 सिपारा का एक कुरान होता है।

जलसा का आयोजन कर दिया उपाधि

उक्त मदरसा में ‘जलसा-ए-दस्तारबंदी’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मदरसा के सदर हाफिज सह कारी अहमदुल्लाह ने की। कार्यक्रम में मदरसा अशरफुल ओलूम के सदर इजहारुल अजहरी, मुफ्ती महमूदुल हसन गनगोही एवं मौलाना इश्तेयाक भी मौजूद थे। मदरसा के सदर कारी अहमदुल्लाह ने बताया कि जिन्हें ‘हाफिज-ए-कुरान’ की उपाधि दी गई है, उनमें दानिश, कामरान, सफे आलम, हबिबुल्लाह, समीउल्लाह, फैज आलम, अफसर अली, अब्दुल अहद, नूर आलम, हसन, जेयाउल्लाह, गुफरान अशरफ अली और शहजाद आलम शामिल हैं।

बगैर शिक्षा के समाज की भलाई असंभव

मौके पर इजहारुल अजहरी ने कहा कि सभी बच्चों को बेहतर तालीम देने की कोशिश की जानी चाहिए। बगैर शिक्षा के समाज, परिवार और देश की भलाई असंभव है। कहा कि कौम की कामयाबी उसी वक्त तक है, जब तक वह कुरान को सीने से लगाए रखेगा और उसके आदेशों पर अमल करते रहेगा। देश की उन्नति में समाज के लोग भी अहम किरदर निभा रहे हैं। अल्लाह के दिखाए हुए राह पर चलकर ही स्वर्ग में अच्छी जगह हासिल कर सकते हैं। लोगों को झूठ से दूर रहकर अपने ईमान पर कायम रहने की जरूरत है। वहीं, मुफ्ती महमूदुल गनगोही ने कहा कि अल्लाह को राजी करना है, तो उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलने की जरूरत है।

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