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रिपोर्ट- मो. सरफराज आलम
सहरसा. अब किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ फल-फूल और जड़ी-बूटी की खेती करने में दिलचस्पी ले रहे हैं. इसमें पारंपरिक खेती के अनुपात में उन्हें अधिक मुनाफा भी हो रहा है. इस कारण किसान खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. वे राज्य के दूसरे इलाके से भी बीज और पेड़ मंगवा कर सहरसा सहित आसपास के इलाके में लगा रहे हैं. फल-फूल और जड़ी-बूटी की खेती में मात्र 6 महीने के अंदर ही पूंजी भी दोगुनी हो रही है.
वैशाली के उद्यान निदेशालय से लाया पपीता पेड़
जिले के कहरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बनगांव निवासी मो. सजबुल ने वैशाली जिले में उद्यान निदेशालय द्वारा संचालित एजेंसी सेंट्रल एक्सीलेंट केसरी से रेड लेडी पपाया नामक नए नस्ल का 50 पौधा मंगवाया था. बीते साल 22 के मार्च को उन्होंने पौधा लगाया. सभी 50 पौधे अब फलदार पेड़ बन गए हैं. उक्त पौधे लगाने के लिए बताए गए सभी तकनीकों को उन्होंने सावधानी अपनाया. अब इसका प्रतिफल उन्हें मिल रहा है.
6 माह में ही देने लगा फल
उन्होंने बताया कि सभी 50 पौधों ने अब फल देना शुरू कर दिया है. अब तक एक पेड़ से 20 किलो तक पपीता मिल चुका है. साथ ही उन पेड़ों में अभी भी फल लग रहे हैं. जिससे उनका उत्साह दोगुना हो गया है. पपीते के कीमत भी उन्हें अच्छी मिल रही है. अब उनकी देखा-देखी गांव के ही दूसरे किसान भी पपीता की खेती कर अपना मुनाफा बढ़ाना चाह रहे हैं.
किसान सजबुल ने बताया कि पेड़ की ऊंचाई साढ़े 3 फीट से अधिक नहीं होती है. एक किलो पपीता की कीमत भी उन्हें 50 रुपए मिल रही है. उन्होंने 30 हजार रुपए की लागत लगाई थी, जो उन्हें कुछ महीने पूर्व ही प्राप्त हो चुका था.अब जो भी पपीता निकल रहा है, वह उनका मुनाफा है.
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक राहुल रंजन ने बताया कि रेड लेडी पपाया की वैरायटी को प्रदर्श के तौर पर सिमरी बख्तियारपुर और कहरा ब्लॉक के कुछ किसानों में बांटा गया था. 5 हेक्टेयर का लक्ष्य था. जिसमें किसानों को साढ़े 6 रुपए प्रति पौधे की दर से फिलहाल भुगतान करना पड़ा है. साथ ही उन्हें जैविक खाद सहित अन्य सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है. पेड़ मात्र साढ़े 3 फीट ऊंचा होता है. एक पेड़ से 40 से 45 किलो तक फल प्राप्त होता है. वैशाली स्थित उद्यान निदेशालय की एक संस्थान सेंट्रल एक्सीलेंट केसरी से पौधा भेजा गया था, इसका किसानों को काफी लाभ मिल रहा है.
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पहले प्रकाशित : 15 जनवरी, 2023, शाम 4:00 बजे IST
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