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चिट्ठी में उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा है- ‘हमारी पार्टी अपने आंतरिक कारणों से दिन ब दिन कमजोर होती जा रही है। महागठबंधन बनने के बाद हुए विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आने के समय से ही मैं पार्टी की स्थिति से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत कारते आ रहा हूं। पार्टी की ओर से होने वाली बैठकों में भी मैंने अपनी बात को रखा। पिछले एक-डेढ़ महीने से मैंने हर तरीके से अस्तित्व खोती जा रही पार्टी को बचाने की कोशिश की। मेरी कोशिश आज भी जारी है।’
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने चिट्ठी में आगे लिखा कि ‘मेरी तमाम कोशिशों के बावजदू सीएम नीतीश की ओर से मेरी बातों की न सिर्फ अनदेखी की गई बल्कि उसकी व्याख्या भी गलत तरीके से की जा रही है। मेरी चिंता और जहां तक मैं समझता हूं आप सभी की चिंता भी इस बात को लेकर है कि अगर जदयू बिखर गया तो उन करोड़ों लोगों का क्या होगा, जिनके अरमान इस दल के साथ जुड़े हुए हैं, जिन्होंने बड़े-बड़े कष्ट सहकर और अपनी कुर्बानी देकर इसके निर्माण में अपना योगदान दिया है।’
कुशवाहा ने आगे लिखा- ‘राजद के साथ ‘एक खास डील’ और जेडीयू का आरजेडी के साथ विलय की चर्चाओं ने पार्टी के निष्ठावान नेताओं और कार्यकर्ताओं को झकझोर कर रख दिया है। ऐसी स्थिति में हम सबके सामने राजनीतिक शून्यता की स्थिति बनती जा रही है। ऐसी परिस्थिति में पार्टी समय आ गया है कि हम इस मुद्दे पर विमर्श करें।’
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