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Patna University: पीएचडी दाखिले में EWS का विकल्प नहीं, कुलपति ने कहा- राजभवन से पूछ रहे

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Patna University: पीएचडी दाखिले में EWS का विकल्प नहीं, कुलपति ने कहा- राजभवन से पूछ रहे

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ऑनलाइन आवेदन में अनारक्षित चुनने का विकल्प है, EWS का नहीं।

ऑनलाइन आवेदन में अनारक्षित चुनने का विकल्प है, EWS का नहीं।
– फोटो : अमर उजाला

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पटना विश्वविद्यालय (PU) ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए प्रावधान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की गाइडलाइन के खिलाफ जाकर पीएचडी (PhD) के दाखिले में आर्थिक पिछड़ा वर्ग (EWS) का आरक्षण गायब कर दिया है। 06 जनवरी से ऑनलाइन आवेदन शुरू हुआ है, लेकिन इसमें श्रेणी के तौर पर EWS चुनने का विकल्प नहीं आ रहा है। जातीय जनगणना पर चल रहे गतिरोध के बीच पटना विवि की इस मनमानी को न तो छात्र समझ पा रहे हैं और न शिक्षाविद् सही मान रहे हैं। आर्थिक पिछड़ा वर्ग का आरक्षण लागू होने के बाद 16 अगस्त 2019 को UGC ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति (VC) को इसका अनुपालन सुनिश्चित  कराने का निर्देश भेजा था। पटना विवि की हालत यह है कि वह यूजीसी की इस गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहा, बल्कि इस आरक्षण प्रावधान के लागू होने के पहले जारी कुलाधिपति बिहार के आदेश का हवाला दे रहा है।

इस आरक्षण से 10% सीट रिजर्व, कटऑफ घटता है
EWS का आरक्षण प्रावधान लागू होने से 10 प्रतिशत सीटें इस श्रेणी के लिए रिजर्व हो जाती हैं। सामान्य जाति के आर्थिक पिछड़ा विद्यार्थियों को दाखिले में इसका दो तरीके से फायदा मिलता है। एक तो, सीटें रिजर्व हो गईं। दूसरा, आर्थिक पिछड़ा के कारण यहां कटऑफ कम जाता है। इससे उन विद्यार्थियों को फायदा मिल जाता है, जो आर्थिक कारणों से अच्छे संसाधनों के साथ पढ़ाई नहीं कर पाए हों और सामान्य जाति के रहने के कारण जातिगत आरक्षण प्रावधानों में टिक नहीं पा रहे हों।

बाकी विवि ने रखा, पीयू ने भी बाकी कोर्स में रखा था

यूजीसी की गाइडलाइन के बाद जिस विवि ने जितने भी आवेदन मंगाए, EWS  आरक्षण का विकल्प दिया। मेडिकल के दाखिले तक में यह विकल्प मिल रहा है। यूजीसी NET के लिए नोटिफिकेशन में भी जनरल-ईडब्ल्यूएस का जिक्र रहता है। 2019 में आए इस प्रावधान के बाद पटना विवि भी बाकी पाठ्यक्रमों के लिए इस आरक्षण को मान रहा था, लेकिन पीएच.डी एडमिशन टेस्ट (PAT)-2022 के लिए जब ऑनलाइन आवेदन का नोटिफिकेशन जारी किया गया तो यह विकल्प गायब कर दिया गया। ऑनलाइन आवेदन 6 जनवरी से 28 जनवरी तक होंगे। ‘अमर उजाला’ ने बिहार मेंं भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय से लेकर लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय तक के पीएचडी दाखिले तक की प्रक्रिया में इस आरक्षण का विकल्प भी देखा।

पक्ष-विपक्ष, कोई नहीं मान रहा इस फैसले को सही
अमर उजाला ने इस विषय पर छात्र नेताओं को टटोला। पटना विवि छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष आशीष सिन्हा ने कहा कि यह मनमानी बर्दाश्त करने लायक नहीं है। यह आर्थिक कमजोर सामान्य जाति के विद्यार्थियों को परेशान करने की साजिश है। आशीष विपक्षी दल भाजपा से जुड़े हैं, लेकिन सत्ताधारी जदयू से जुड़े वर्तमान अध्यक्ष आनंद मोहन भी इसे गलत मान रहे हैं। आनंद ने कहा कि यह प्रावधान पूरे देश में लागू है और पटना विवि में भी, इसलिए आदेश को बदलकर EWS आरक्षण लागू करना ही होगा। इस बा

वीसी को ध्यान देना होगा, यह गलत हो रहा
बाकी आरक्षण की तरह EWS भी आवेदन का अनिवार्य अंग हो गया है। अगर उच्च शिक्षा में इसे कोई भी विश्वविद्यालय हटा रहा है तो गलत है। पटना विवि में भी विवि की गाइडलाइन पर लागू है। संभव है कि तकनीकी गलती से यह हुआ हो, लेकिन इसमें वर्तमान कुलपति को आगे बढ़कर इसे ठीक कराना चाहिए।
प्रो. रासबिहारी सिंह, पूर्व वीसी, पटना विवि

पटना विवि के कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चौधरी का जवाब पढ़ें यहां

सवाल- पीएचडी के दाखिले की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हुई है। उसमें EWS आरक्षण चुनने का विकल्प नहीं आ रहा है।
जवाब- हां, ऐसा है। EWS आरक्षण का प्रावधान आने से पहले बिहार के कुलाधिपति  का एक आदेश था। उसी आधार पर आरक्षण का विकल्प दिया गया है।
सवाल- तब तो यूजीसी की गाइडलाइन का अनुपालन नहीं किया जा रहा है?
जवाब- हम आज ही इस संबंध में राजभवन को पत्र लिखकर निर्देश लेंगे कि EWS आरक्षण को लेकर क्या किया जाए।
सवाल- लेकिन, यह तो दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही किया जाना चाहिए था।
जवाब- लेना तो चाहिए था, लेकिन अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है। रिजर्वेशन तो दाखिले के समय लागू होगा। उस समय पेपर ले लेंगे।
सवाल- जो आवेदन में यह विकल्प नहीं चुन सके हैं, उन्हें कैसे राहत मिलेगी।
जवाब- कुलाधिपति की ओर से आदेश आने के बाद इसका रास्ता निकाल लिया जाएगा। लागू हो गया तो जो आवेदन कर चुके हैं, उन्हें भी फायदा मिलेगा।

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पटना विश्वविद्यालय (PU) ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए प्रावधान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की गाइडलाइन के खिलाफ जाकर पीएचडी (PhD) के दाखिले में आर्थिक पिछड़ा वर्ग (EWS) का आरक्षण गायब कर दिया है। 06 जनवरी से ऑनलाइन आवेदन शुरू हुआ है, लेकिन इसमें श्रेणी के तौर पर EWS चुनने का विकल्प नहीं आ रहा है। जातीय जनगणना पर चल रहे गतिरोध के बीच पटना विवि की इस मनमानी को न तो छात्र समझ पा रहे हैं और न शिक्षाविद् सही मान रहे हैं। आर्थिक पिछड़ा वर्ग का आरक्षण लागू होने के बाद 16 अगस्त 2019 को UGC ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति (VC) को इसका अनुपालन सुनिश्चित  कराने का निर्देश भेजा था। पटना विवि की हालत यह है कि वह यूजीसी की इस गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहा, बल्कि इस आरक्षण प्रावधान के लागू होने के पहले जारी कुलाधिपति बिहार के आदेश का हवाला दे रहा है।

इस आरक्षण से 10% सीट रिजर्व, कटऑफ घटता है

EWS का आरक्षण प्रावधान लागू होने से 10 प्रतिशत सीटें इस श्रेणी के लिए रिजर्व हो जाती हैं। सामान्य जाति के आर्थिक पिछड़ा विद्यार्थियों को दाखिले में इसका दो तरीके से फायदा मिलता है। एक तो, सीटें रिजर्व हो गईं। दूसरा, आर्थिक पिछड़ा के कारण यहां कटऑफ कम जाता है। इससे उन विद्यार्थियों को फायदा मिल जाता है, जो आर्थिक कारणों से अच्छे संसाधनों के साथ पढ़ाई नहीं कर पाए हों और सामान्य जाति के रहने के कारण जातिगत आरक्षण प्रावधानों में टिक नहीं पा रहे हों।



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