Home Bihar Patna High Court : बिहार में जाति गिनने पर कोर्ट का फैसला आज; stay granted या refused, जानिए क्या आएगा फैसला

Patna High Court : बिहार में जाति गिनने पर कोर्ट का फैसला आज; stay granted या refused, जानिए क्या आएगा फैसला

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Patna High Court : बिहार में जाति गिनने पर कोर्ट का फैसला आज; stay granted या refused, जानिए क्या आएगा फैसला

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पटना हाईकोर्ट: बिहार में जाति की गिनती पर कोर्ट का फैसला;  स्टे ग्रांटेड या रिजेक्ट, जातिगत जनगणना, नीतीश

पटना हाईकोर्ट।
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार

बिहार में जाति आधारित जन-गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट आज फैसला सुनाने जा रही है। बुधवार को कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनी थी। इसके बद फैसला सुरक्षित रख लिया था। जाति गिनने पर फैसला stay granted या refused होगा, इस पर आज कोर्ट डिसीजन देगी। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अभिनव श्रीवास्तव और दीनू कुमार और बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने अपना-अपना पक्ष रखा। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता से पूछा था कि सरकार को यह कराना था तो इसके लिए कोई कानून क्यों नहीं पास किया? इसपर महाधिवक्ता शाही ने जवाब दिया था कि राज्यपाल के अभिभाषण में सारी बातें स्पष्ट की गईं कि इसे किस आधार पर कराया जा रहा है और इसका लक्ष्य अंतिम तौर पर राज्य की जनता के लिए योजनाओं को बनाने और क्रियान्वित करने का है।

एक से तीन अप्रैल लगातार हुई थी सुनवाई

जाति आधारित जन-गणना पर सोमवार, मंगलवार, बुधवार यानी एक से तीन अप्रैल तक लगातार पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जनहित याचिका पर सरकार की ओर से दिया गया बिंदुवार जवाब रिकॉर्ड पर नहीं होने के कारण मंगलवार की तारीख मिली थी। मंगलवार को पूरे दिन कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनी। जनहित याचिका दायर करने वाले लोग इस बात से उत्साहित दिखे कि कोर्ट ने सरकार से जातिगत गणना के लिए कानून नहीं बनाए जाने पर सवाल पूछा।

जानिए, क्या दलीलें है याचिकाकर्ताओं की

1. “बिहार सरकार जातीय गणना के नाम पर एक-एक जन की गणना कर रही है, इसलिए यह जनगणना है। जनगणना का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। यह राज्य सूची या संवर्ती सूची में नहीं है। सर्वे बताकर हर आदमी को गिनना जनगणना है और यह राज्य सरकार की ओर से कराना असंवैधानिक है।” 2. “राज्य सरकार एक-एक आदमी को गिनवा रही है और इसमें कई जातियों का नाम गायब है, जबकि कई जातियों का नाम बदल दिया गया है। ऐसे में जिस आदमी की गणना नहीं होगी, उसका मौलिक अधिकार छिन सकता है। आधार समेत सारे दस्तावेज रहने पर भी किसी का मौलिक अधिकार छीनने का हक राज्य सरकार को नहीं है।

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