Home Bihar Opinion: कांग्रेस का कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा, क्या फिर टूट की ओर बढ़ रही पार्टी

Opinion: कांग्रेस का कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा, क्या फिर टूट की ओर बढ़ रही पार्टी

0
Opinion: कांग्रेस का कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा, क्या फिर टूट की ओर बढ़ रही पार्टी

[ad_1]

ओमप्रकाश अश्क, पटना: आजादी के बाद से अब तक 137 साल पुरानी कांग्रेस कई बार टूट चुकी है। इससे निकले नेता अपनी अलग पार्टी बनाते रहे हैं। हालात अब भी वैसे ही हैं। कांग्रेस के भीतर कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट का मोर्चा खोलना कलह की पराकाष्ठा न बन जाए। 2014 में राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली थी। तब से अब तक 23 बड़े नेता कांग्रेस से मुंह मोड़ चुके हैं। गुलाम नबी आजाद, ज्योदिरादित्य सिंधिया, जगदंबिका पाल जैसे कांग्रेस के भरोसेमंद नेता राहुल गांधी से ऊब कर अलग होते रहे। आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम किरण रेड्डी, एके एंटोनी के बेटे अनिल एंटोनी ने कांग्रेस को हाल ही में बाय बोला है। ये सभी बीजेपी के अब हिस्से हैं।

कांग्रेस छोड़ने वालों को राहुल गांधी से नाराजगी

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से देश जोड़ने की कोशिश तो की, लेकिन वे अपनी ही पार्टी को एकजुट नहीं रख पा रहे। राहुल के सिर से संकट के बादल भी छंटने का नाम नहीं ले रहे। कैंब्रिज में उनके भाषण पर विवाद तो हुआ ही, अडानी मामले पर उन्हें विपक्ष का साथ नहीं मिल रहा। सावरकर पर अपनी उलटबांसी से भी राहुल उलझ गए हैं। इतना ही नहीं, मानहानि मामले में कोर्ट से दो साल की हुई सजा भी उनके लिए सिर दर्द बनी हुई है। हालांकि उन्होंने ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन राहत मिलने तक संकट तो बना ही हुआ है। यह भी गारंटी नहीं कि उन्हें राहत मिल ही जाएगी। सावरकर और अडानी के मुद्दे पर कभी कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी एनसीपी बनाने वाले शरद पवार भी राहुल की बातों से इत्तेफाक नहीं रखते। अब तो राजस्थान में सचिन पायलट ने अलग बखेड़ा खड़ा कर दिया है।

अब राजस्थान में गहलोत-पायलट का विवाद

राजस्थान में काफी दिनों से सीएम अशोक गहलोत से सचिन पायलट की अनबन दिखती रही है। अब तो टकराव चरम पर पहुंच गया है। पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन का अल्टीमेटम दिया है। उनका आरोप है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोप कांग्रेस ने ही लगाए थे। अपनी सरकार बनने पर अशोक गहलोत जांच कराने से कतराते रहे हैं। हालांकि पायलट के बगावती तेवर को देखते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने चेतावनी दी है कि अनुशासनहीनता बरदाश्त नहीं की जाएगी। कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी प्रभात रंधावा से बात करने की सलाह कांग्रेस आलाकमान ने दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बार-बार अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सचिन पायलट इस बार मानते हैं या बगावत को किसी अंजाम तक पहुंचाते हैं।

9 साल में दो दर्जन नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी

गुलाम नबी आजाद ने कुछ ही दिनों पहले कांग्रेस छोड़ दिया था। पार्टी छोड़ने के लिए उन्होंने राहुल गांधी को कारण बताया था। कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले किरण रेड्डी ने भी यही बात कही है। रेड्डी का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान लगातार गलत फैसले लेता रहा है। कई राज्यों में कांग्रेस की हार के बावजूद कांग्रेस आलाकमान सबक लेने को तैयार नहीं। यही वजह है कि कई रज्यों में कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ कर अलग राह चुनते रहे हैं। गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने पर सबको आश्चर्य हुआ था। इसलिए कि उन्हें गांधी परिवार के अत्यंत करीबियों में शुमार किया जाता रहा है। कांग्रेस छोड़ने वाले लगभग सभी नेताओं का एक ही आरोप रहा है कि आलाकमान सही फैसले नहीं लेता। किसी की बात भी नहीं सुनता।

हिमंत कांग्रेस छोड़ बीजेपी के सिरमौर बने

कांग्रेस से हिमंत बिस्वा सरमा ने 2015 में नाता तोड़ लिया था। वे बीजेपी में चले गए। आज असम के मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी के सबसे भरोसेमंद नेताओं में अभी उनकी गिनती हो रही है। उत्तर पूर्व के राज्यों में बीजेपी की जड़ें जमाने में बिस्वा सरमा की सबसे बड़ी भूमिका है। यूपी में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे जगदंबिका पाल 2014 में अलग हो गए थे। छत्तीसगढ़ के सीएम रह चुके अजित जोगी ने 2016 में कांग्रेस को बाय बोल दिया था। कर्नाटक के पूर्व सीएम और मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा ने 2017 में पार्टी छोड़ दी थी। हरियाणा में चौधरी बीरेंद्र सिंह, ओडिशा के पूर्व सीएम गिरिधर गोमांग, शंकर सिंह वाघेला, उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा जैसे 23 नेताओं ने 9 साल में कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। ये 9 साल राहुल गांधी के नेतृत्व वाले रहे हैं।

राहुल गांधी पर जमकर बरसे ज्योतिरादित्य सिंधिया, पहली बार इस तरह बोला हमला

विपक्षी एकता भी टूट रही राहुल के कारण

राहुल गांधी के कारण विपक्षी एकता की कोशिश भी फेल होती दिख रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो पहले ही कह रखा था कि वे कांग्रेस रहित विपक्षी एकता की पक्षधर हैं। राहुल गांधी को सजा के सवाल पर ममता की पार्टी साथ तो आई, लेकिन शरद पवार ने राहुल के बोल-वचन पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। राहुल न सिर्फ कांग्रेस में, बल्कि विपक्षी दलों के बीच भी अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं।

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here