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Nalanda News : मैं युवा लेखक हूं, बिहार शरीफ वालों सपोर्ट चाहिए, मिलिए बिहार के इस युवा लेखक से

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Nalanda News : मैं युवा लेखक हूं, बिहार शरीफ वालों सपोर्ट चाहिए, मिलिए बिहार के इस युवा लेखक से

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रिपोर्ट – मो. महमूद आलम

नालंदा. जिले के बिहार शरीफ मुख्यालय स्थित अस्पताल चौक पर सड़क किनारे युवा लेखक अरुण कुमार और उनकी पत्नी दीपिका राठी हाथों में एक पोस्टर लिए खड़ी है. दोनों रोजाना 14 घंटे खड़े होकर अपने हाथों में पोस्टर लेकर किताब को बेचते नजर आ रहे हैं. उस पोस्टर में लिखा हुआ है ‘मैं नया लेखक हूं और बिहार शरीफ से सपोर्ट चाहिए’.

बिहार शरीफ के अस्पताल चौक स्थित टाउन हॉल के पास से गुजरने वाले युवक और युवती एक बार रुक कर उनकी किताब देख भी रहे हैं और खरीद भी रहे हैं. खास बात यह है कि सिर्फ एक टेबल है जिस पर कुछ किताबें रखी हुई है. बैठने के लिए इनके पास कुछ भी नहीं है.

आपके शहर से (नालंदा)

फिल्म इंडस्ट्री में मौका नहीं मिला तो पत्नी ने बनाया लेखक

पटना के रहने वाले अरुण कुमार स्नातक पास हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए घर-बार छोड़कर 8 साल पहले मुंबई का रूख. लेकिन काफी साल तक संघर्ष करने के बाद भी फिल्म इंडस्ट्री में मौका नहीं मिला. ऐसे में अरुण के पास बिहार वापस आने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था. लेकिन बड़ा सवाल था कि अब आगे क्या?.

जब अरुण से जिंदगी सवाल पूछ रही थी कि जिंदगी में आगे क्या करना तो उस वक्त उनका साथ उनकी हमसफर ने दिया. पत्नी ने कहा तुम कुछ लिखते क्यों नहीं हो? काफी सोचने के बाद अरुण ने कलम थामी और किताब लिखने बैठ गया. अरुण ने अपने जीवन में घटित घटनाओं के साथ-साथ अन्य कई मुद्दों पर किताब लिखी.

अरुण की किताब का नाम है ‘वीरा की शपथ’

अरुण की किताब का नाम है ‘वीरा की शपथ’. पुस्तक की शुरुआत में ही एक दोहा लिखा है जो मंत्रमुग्ध कर रहा है. इस दौरान लेखक अरुण कुमार ने बताया कि यह उपन्यास 5 फरवरी को दिल्ली में लांच की थी. इसके बाद वह पटना आए और कई पब्लिशरों से किताब छापने के साथ-साथ उसको प्रमोट करने की भी गुजारिश की परंतु कोई राजी नहीं हुआ.

इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की लिखी हुई किताब को दिल्ली, रांची और बिहार के कई शहरों में सड़क पर खड़े होकर बेचने का निर्णय लिया. लेखक अरुण कुमार ने बताया कि अब तक करीबन 1400 किताबों की बिक्री हो चुकी है. जिसमें सबसे ज़्यादा किताब एक दिन में 92 बिकी है जो बिहार शरीफ का है.

असफलता से बड़ा कोई दर्द नहीं होता है

उन्होंने कहा कि असफलता से बड़ा कोई दर्द नहीं होता है. इसके अलावा अमेजॉन पर भी उनकी यह किताब उपलब्ध है. वहां से भी लोग खरीदारी कर रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि प्रेम और असफलता जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा होती है.

उन्होंने बताया कि साल 2011 में वह घर छोड़कर अभिनेता बनने के लिए मुंबई गए थे और फेल होने के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें शायर-लेखक बनने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद आज वह कामयाब हुए और अपनी किताब लिखी है. उन्होंने कहा कि कभी जीवन में मैंने लेखक बनने के बारे में सोचा नहीं था. मैं मैथ और साइंस का स्टूडेंट था परंतु पत्नी के प्रेरित करने के बाद मैंने कुछ लिखना शुरू किया.

यह कोई पहला या अंतिम संस्करण नहीं है

आज मेरी किताब लोगों को, युवाओं को पसंद आ रही है. यह कोई पहला या अंतिम संस्करण नहीं है. हर साल इसके संस्करण में बढ़ोतरी होगी. इस किताब की विशेषता यह है कि इसमें जो कहानी उन्होंने लिखी है, वह नियति, प्रेरणा, संघर्ष और प्रेम के आसपास घूमती है. इस किताब में शायरी, गजल, दोहे, रोमांस सबका मिश्रण है. इस वजह से युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग लोग भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

टैग: बिहार के समाचार, नालंदा न्यूज

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