Home Bihar JDU में दूसरे/तीसरे नंबर के नेता उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसे शब्दों से दिखाई औकात…अब क्या करेंगे

JDU में दूसरे/तीसरे नंबर के नेता उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसे शब्दों से दिखाई औकात…अब क्या करेंगे

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JDU में दूसरे/तीसरे नंबर के नेता उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसे शब्दों से दिखाई औकात…अब क्या करेंगे

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जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा के बारे में बहुत कुछ कह दिया।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा के बारे में बहुत कुछ कह दिया।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

जनता दल यूनाईटेड (JDU) को सही में इलाज की जरूरत लग रही है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पार्टी में दूसरे-तीसरे नंबर के नेता उपेंद्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ठनी हुई है। इस बीच बुधवार शाम पहले कुशवाहा ने पार्टी में खुद को नीतीश कुमार का भाई बताया तो गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री ने नरमी दिखाते हुए मिलकर बात करने का संदेशा भी भेजा। अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दो फर्लांग आगे बढ़कर बोलते सुने गए- “आज हिस्सेदारी मांग रहे हैं, उनको (उपेंद्र कुशवाहा) को शर्म आनी चाहिए।”

बड़े कुशवाहा को छोटे कुशवाहा ने क्या नहीं कह दिया

जदयू में बड़े पद पर बैठे उपेंद्र कुशवाहा को छोटे कुशवाहा, यानी प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहने के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा। उमेश कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा की उस बात पर कड़ी प्रतिक्रया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि “घर में दो भाई हो तो बड़ा भाई उसे भाग जाने कहेगा? छोटा भाई अपना हिस्सा क्यों छोड़ेगा। कहीं नहीं जाएगा।” उमेश कुशवाहा ने कहा कि जो हमारे नेता को ही ठगने का काम कर रहा है, वह हिस्सेदारी की बात करता है। यह पार्टी नीतीश कुमार का सींचा हुआ है। वैसे आश्चर्य है कि कल तक जो आदमी संगठन को मजबूत करने की बात कर रहे थे, आज हिस्सेदारी मांग रहे।

आटा-चावल बेच रहे थे तो विधान परिषद् में भेजा

जिसको उपेंद्र सिंह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा बनाया। विरोधी दल नेता बनाया। राज्यसभा में भेजा। और जब बेरोजगार हो गए, आटा-चावल बेच रहे थे तो लाकर विधान परिषद् में भेजा। वह हिस्सेदारी की बात करते हैं तो ताज्जुब लगता है। शर्म आनी चाहिए, त्यागपत्र दे देना चाहिए उस आदमी को। पार्टी में आने के बाद से पार्टी को कमजोर ही किए हैं। अपना संगठन चला रहे हैं। जदयू का 50 हजार सदस्यता फॉर्म ले गए, तो लौटाए नहीं। कुशवाहा ने यह भी दुहरा दिया कि कोई आए, कोई जाए…प्रभाव नहीं पड़ता। पार्टी में उनका कुछ नहीं है, कोई जमीन नहीं है।

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