Home Bihar Inside Story : बिना इनवेस्टमेंट करोड़ों की कमाई, बिहार, बालू…और बर्बादी, भोजपुर से पटना तक सिंडिकेट

Inside Story : बिना इनवेस्टमेंट करोड़ों की कमाई, बिहार, बालू…और बर्बादी, भोजपुर से पटना तक सिंडिकेट

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Inside Story : बिना इनवेस्टमेंट करोड़ों की कमाई, बिहार, बालू…और बर्बादी, भोजपुर से पटना तक सिंडिकेट

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बिहार में बालू के अवैध खेल में दर्जनों सक्रिय गैंग काम करते हैं, जो लगातार पुलिस प्रशासन को चुनौती देते रहते हैं। भोजपुर प्रशासन की तरफ से कार्रवाई के बावजूद भी आज तक पूर्ण रूप से अवैध बालू खनन पर रोक नहीं लग पाया। इस गैंग के पीछे सफेदपोशों का भी हाथ रहता है।

 

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हाइलाइट्स

  • भोजपुर में नहीं थम रहा अवैध बालू खनन का खेल
  • बालू माफिया के कई गैंग है भोजपुर जिले में सक्रिय
  • सोन का बालू बन गया है अवैध कमाई का जरिया
  • बालू के गैंगवार में अब तक कई लोगों की गई जान
आरा : भोजपुर के सोन नदी के तटीय इलाके में बालू के वैध और अवैध खनन को लेकर पिछले कई वर्षों से अलग-अलग गुटों और पक्षों में खूनी संघर्ष जारी है। सुनहरे बालू के काले खेल में 21 जनवरी को भी जानलेवा जंग देखने को मिला। जहां दिनदहाड़े तबाड़तोड़ फायरिंग कर दो लोगों की हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल कायम हो गया। कइयों ने बालू के रेत में छिपकर जान बचाई।

नोट छापने का मशीन बन गया बिहार का बालू
बिहार में बालू माफिया और सफेदपोशों के मिलीभगत का नतीजा खूनी जंग है। ये सबकुछ शासन-प्रशासन के नाक के नीचे होता है। भोजपुर जिले के जाने-माने शिक्षाविद गुरुकुल के चेयरमैन डॉ अखिलेश कुमार दुबे की नजरों में ‘सरकार को एक कड़े कानून बनाने की जरूरत है। जिस तरह से दबंग और माफिया का बालू के सिंडिकेट पर कब्जा है, उसको तोड़कर खत्म करने और इसे संरक्षण देनेवालों को कड़ी सजा का प्रावधान करनी चाहिए।’ भोजपुर पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी ने अवैध धंधों पर अंकुश लगाने के लिए सत्येंद्र पाण्डेय, बलि सिंह, विदेशी राय के भाइयों को सलाखों के पीछे डाल दिया है। इसके बावजूद भी खूनी खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। भोजपुर जिले के संदेश प्रखंड के चर्चित समाजसेवी और किसान चाचा के नाम से मशहूर प्रोफेसर देवेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि ‘पहले बालू को लेकर इतनी मारामारी नहीं थी लेकिन जैसे ही 2005 में नई बालू संशोधन कानून बना, उसके बाद से इस पर दबंग और माफिया का कब्जा हो गया। जिसके कारण अब ये अवैध कमाई का एक जरिया बन गया है। लोग इसमें जुड़कर कम समय में ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं।’

बिहार में बालू माफिया के पास अकूत संपत्ति

  • बालू माफिया के दबंगई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक किसी भी धंधेबाज की संपत्ति की जांच नहीं हुई। उनकी पहुंच इतने ऊपर तक है कि वो समय रहते सबकुछ सेट कर लेते हैं। सोन नदी के सुनहरे रेत के अवैध बालू के धंधे में बाप, बेटा और भाई समेत कई रिश्तेदार भी शामिल हैं।
  • कोईलवर थाने के महादेव सेमरिया गांव के निवासी विदेशी राय अवैध बालू खनन के क्षेत्र में सबसे बड़ा नाम है। इसका नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है। विदेश राय के भाई समेत कई भरोसेमंद रिश्तेदार भी शामिल हैं।
  • बड़हरा थाने के फरना गांव निवासी शंकर सिंह उर्फ फौजिया और उसके दो बेटे नीरज और अभिमन्यु इस धंधे में सक्रिय है। हालांकि शंकर सिंह उर्फ फौजिया अवैध खनन के गैंगवार में मारा गया। जिसके बाद दोनों बेटे काम को संभाल लिए।
  • पटना जिले के मनेर के सिपाही गैंग का भी बड़ा नाम है। सभी दागी समेत दर्जनों बालू माफिया जिनका पुलिस रिकॉर्ड में नाम है और नहीं भी है तो उनलोगों ने काली कमाई में करोड़ों रुपए की अवैध सम्पति अर्जित की है। सफेदपोशों के आशीर्वाद से अबतक किसी की संपत्ति की जांच नहीं हुई।

सरकार की बालू नीति पर उठ रहे सुलगते सवाल
कहा जाता है कि काली कमाई का एक हिस्सा सफेदपोशों को भी जाता है। तभी तो कारण चाहे जो भी हो, उन तक या उनके गिरेबान तक प्रशासन के हाथ नहीं पहुंच पाते। वे गैंगवार और दबंगई करने से नहीं मानते हैं। भोजपुर जिले में अब तक अवैध बालू के खेल में कई लोगों की जानें जा चुकी है। फिर भी ये खनन का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा। भोजपुर जिले के अगर पिछले वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो कई लोगों की मौत हो चुकी है। चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता यज्ञ नारायण तिवारी की माने तो ‘सरकार की बालू नीति ही खराब है। तभी तो बालू खनन को लेकर जिले में हर रोज बंदूक की आवाज सुनाई देती है। इसमें कई निर्दोष लोगों की जानें जा चुकी है। इस पर सरकार को सख्त से सख्त कानून बनाकर अमल करने की जरूरत है ताकि अवैध बालू खनन पर रोक लगाया जा सके।’

बालू को लेकर गैंगवार में मारे जाते बेकसूर

  • बिहार में बालू को गैंगवार कोई नई बात नहीं है। अक्सर इसमें निर्दोष लोगों की जान जाती है। जनवरी 2021 में बालू के विवाद में सहार में एक चालक की हत्या कर दी गई।
  • 21 फरवरी 2021 को कोईलवर थाना क्षेत्र के महादेवचक सेमरिया बालू घाट पर वर्चस्व को लेकर दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई थी। इस अंधाधुंध फायरिंग में बगल के खेत में मिर्ची तोड़ रही एक 10 वर्षीय बच्ची के सिर में छर्रा लग गया था।
  • सात फरवरी 2021 को बड़हरा के मखदुमपुर गांव निवासी रंजीत सिंह दवा लेकर लौट रहे थे, तभी हथियारबंद बदमाशों ने फायरिंग कर दी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि उनके खेत से अवैध रूप से बालू की कटाई की जा रही थी।
  • 10 मार्च 2021 को कोइलवर थाना क्षेत्र के कमालुचक सोन दियारे में तीन बाप बेटे को गोली मार दी गई। जिसमें बड़हरा थाना क्षेत्र के फुहां गांव निवासी 60 वर्षीय दीनबंधु बिंद, उनके दो बेटे 35 वर्षीय विष्णु बिंद और 28 वर्षीय भगवान बिंद को गोली लगी थी। पटना में इलाज के दौरान दीन बंधु की मौत हो गई।
  • जून 2021 को कोईलवर थाना क्षेत्र के सेमरिया बालू घाट पर विजेंद्र राय की गोली लगने से मौत हो गई थी। प्राथमिकी में कहा गया था कि उनके खेत से जबरन बालू काटा जा रहा था, जिसका विरोध करने पर घटना को अंजाम दिया गया।
  • 12 अगस्त 2021 को कोइलवर थाने के दियारा इलाके में खेत से बालू काटने का विरोध करने पर माफिया ने एक युवक को गोली मार दी। जख्मी महादेवचक सेमरिया गांव निवासी 38 वर्षीय महावीर राम थे।
  • पटना और भोजपुर के धंधेबाजों में वर्चस्व को लेकर गोलीबारी की घटना को भी अंजाम दिया जाता है। जिसमें एक-दो लोगों को गोली लगी ही जाती है। पिछले साल ही कोईलवर इलाके में सोन नदी से लगातार दो युवकों का शव बरामद हुआ था। उस समय बालू के विवाद में हत्या की आशंका जताई गई थी ।
  • इस साल की पहली और सबसे बड़ी घटना 21 जनवरी 2022 को देखने को मिली। कोईलवर थाना क्षेत्र के राजपुर-कमालुचक बालू घाट पर वर्चस्व की लड़ाई में दो लोगों की जान चली गई। इसमें उत्तर प्रदेश के महराजगंज के चौक थाना क्षेत्र के बेलभरिया गांव निवासी दुर्गेश, जो प्राइवेट बैंक में सहायक प्रबंधक के पोस्ट पर कार्यरत थे। दूसरा पटना जिले के नौबतपुर निवासी 42 वर्षीय संजीत कुमार थे, जो सासाराम में कॉर्डिनेटर के रूप में काम करते थे।

बालू माफिया अब सिंडिकेट जरिए करते हैं धंधा
सुनहरे बालू से काली कमाई में भोजपुर जिले के सैकड़ों लोग समेत आसपास जिले के व्यवसायी भी लगे रहते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों के लोग बालू से कमाई की चौकाचौंध में लाखों रुपए लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं। क्योंकि सिंडिकेट के हिस्सा बनने से मुनाफा मिलता है। रुपए डूबने का खतरा भी नहीं होता। इसकी कई कड़ी है, जो बालू माफिया समेत सिंडिकेट से जुड़े लोग ही जानते हैं। भोजपुर जिले में भी बालू माफिया के कई सिंडिकेट है। जिसमें कई बड़े-बड़े सफेदपोश शामिल हैं। उनके आड़ में कई छोटे-छोटे बालू माफिया अब अवैध खनन में कूद गए हैं। इसी का नतीजा है कि बालू को लेकर गैंगवार थमने का नाम नहीं ले रहा है।

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Web Title : bihar sand syndicate earns crores without investment bhojpur se patna tal balu mafia
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