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हाइलाइट्स
तमिलनाडु में हर हिंदी भाषी मजदूर के मोबाइल पर एक वीडियो भेजा जा रहा है, जिसमें ये दिख रहा है कि तमिलनाडु में उत्तर भारतीय मजदूरों को मारा-पीटा जा रहा है
तमिलनाडु पुलिस का कहना है कि ये वायरल वीडियो फेक है और जानबूझकर उत्तर भारतीय नेताओं के जरिए बनवा कर सोशल मीडिया से वायरल कराया जा रहा है
अगर तमिलनाडु से मजदूर लौटे तो वहां इंडस्ट्रीज का कामकाज ठप पड़ जाएगा, वहीं बिहार में लौटते मजदूर नए सियासी समीकरणों को जन्म दे सकते हैं
मीडिया में हाल में ये खबरें आईं कि तमिलनाडु में बिहार मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार हुआ. इसके बाद उसमें से कुछ ट्रेन के जरिए वापस अपने गांव लौट आए. इस बारे में एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. इसे लेकर बिहार और तमिलनाडु के बीच सियासत भी गर्माई. इस वायरल वीडियो की अब तक पुष्टि नहीं हो पाई. तमिलनाडु में इंडस्ट्री के मालिक घबराए हुए हैं, क्योंकि ये मामला अगर आगे बढ़ा और उत्तर भारतीय श्रमिक वापस लौटना शुरू हो गए तो औद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर के कामकाज पर बहुत असर पड़ेगा.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट कहती है कि तमिलनाडु में उत्तर भारत के करीब 10 लाख से ज्यादा अप्रवासी मजदूर हैं जो वहां काम कर रहे हैं और इकोनॉमी में मुख्य भूमिका निभाते हैं. तमिलनाडु का इंडस्ट्री सेक्टर उनका वापस लौटना बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. अगर ऐसा हुआ तो इंडस्ट्री का कामकाज ठप पड़ सकता है.
सवाल – तमिलनाडु में उत्तर भारत के श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार और उनके वापस लौटने की खबरों के बीच वहां के निर्माता और इंडस्ट्री के लोग क्यों चिंतित हो रहे हैं?
– सरकारी आंकड़ों के अनुसार तमिलानाडु में उत्तर भारत से गए करीब 10 लाख मजदूर काम कर रहे हैं. दरअसल तमिल इंडस्ट्री के लोगों के लिए चिंता की बात ये है कि हाल में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वहां काम करने वाले हिंदीभाषी मजदूरों के साथ बदसलूकी हो रही है. माना जा रहा है कि इस तरह की अफवाहें वहां फैलाई जा रही हैं और इन्हीं अफवाहों के असर में बदलने से तमिलनाडु का इंडस्ट्री सेक्टर घबराया हुआ है.
चेन्नई जिला स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव जया विजयन कहते हैं कि उत्तर भारत के मजदूरों के बगैर हम काम नहीं कर सकते. हम ये देख रहे हैं कि होली के बाद कितने मजदूर वहां से वापस लौटेंगे.
आपके शहर से (लखनऊ)
सवाल – पुलिस इस बारे में क्या कार्रवाई कर रही है?
– पुलिस का कहना है कि ये वीडियो जानबूझकर फैलाए जा रहे हैं. पुलिस ने इस तरह के संदेशों को झूठा माना है. इसे लेकर पुलिस ने कुछ गिरफ्तारियां की हैं. अगर पुलिस की मानें तो ये वायरल वीडियो फेक न्यूज है. तमिलनाडु के गर्वनर ने भी मजदूरों के बदसलूकी की खबरों पर विश्वास नहीं करने की अपील की. कुछ मिलाकर राज्य का प्रशासन इस संकट की भरपाई करने में जुट गया है. बस अब वो ये देख रहे हैं इस पूरे मामले में कितना नुकसान हो चुका है या होगा.इस फेक वायरल वीडियो को सियासी साजिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
सवाल – ये दिक्कत शुरू कैसे हुई?
– ये दिक्कत दो उन वीडियो के जरिए शुरू हुई जो उत्तर भारतीय मजदूरों से संबंधित थे, वीडियो में उन्हें तमिलनाडु में पीटा जा रहा है. ये वीडियो सोशल वीडियो प्लेटफार्म और वाट्सएप के दो ग्रुप्स के जरिए वायरल किए जाने लगे. इस वीडियो को देखने के बाद जहां उत्तर भारतीय हिंदी भाषी मजदूरों में डर बैठने लगा. हालांकि इस पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्तालिन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तुरंत कदम उठाए और आपस में बातचीत की. बाद में इन दोनों वीडियो को तमिलनाडु पुलिस ने झूठा और गलत इरादों से बनाया बताया.
सवाल – क्या इन दोनों वीडियो से तमिलनाडु के मजदूरों का पलायन भी हुआ है?
– असर तो पड़ा है. 2000 से ज्यादा हिंदीभाषी मजदूर तमिलनाडु से पलायन कर चुके हैं. रेलवे सप्लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस सुरुलिवे जो राज्य इंडस्ट्रीज प्रोमोशन कारपोरेशन के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि राज्य से तीन दिनों में 2000 से ज्यादा मजदूर जा चुके हैं. अकेले कोयंबटूर में ही अलग अलग औद्योगिक इकाइयों में 20000 से ज्यादा उत्तर भारतीय मजदूर काम करते हैं.
सवाल – तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने इस पर क्या कदम उठाया?
– स्तालनि ने नीतीश कुमार से बात की. उन्हें बताया कि कि भ्रामक हमलों के वीडियो के बाद मजदूर वापस लौट रहे हैं. उन्होंने नीतीश से इस मामले में बीचबचाव करने और मजदूरों को समझाने की बात कही. उन्होंने राज्य के लोग अच्छे हैं और कोई किसी को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है. पुलिस भी सुरक्षा करने के लिए तैयार है.
सवाल – क्या उत्तर भारतीय मजदूर वास्तव में इस वायरल वीडियो से डरे हुए हैं?
– चेन्नई में कंस्ट्रक्शन से जुड़े एक इंजीनियर ने बताया कि होली के त्योहार के चलते तो खैर लोग जा ही हैं लेकिन वीडियो में हमला और मारने की भ्रामक रिपोर्ट फैलने के बाद मजदूर डर गए हैं, इससे भी वह यहां जा रहे हैं. ये अफवाहें लगातार फैल रही हैं. इन्हें रोकना आसान तो नहीं. कुछ मजदूर जो होली के लिए पहले ही जा चुके हैं, उन्होंने अब वापस लौटने से मना कर दिया है. कुछ मजदूर जो अब भी तमिलनाडु में हैं, उनके परिवारवाले उन पर वापस लौटने का दबाव डाल रहे हैं.
सवाल – ये फेक वीडियो मूलतौर पर कहां बनाए गए और वहां से फैलाए गए?
– तमिलनाडु के समाचार पत्रों और कई रिपोर्ट्स के अनुसार ये वीडियो कुछ उत्तर भारतीय नेताओं द्वारा तैयार किए गए हैं. ताकि इसके जरिए कुछ समय होने वाले बिहार चुनावों में असर डाला जा सके. इसके बाद जानबूझकर इस बारे में ट्विट किए गए और रिपोर्ट्स भी पब्लिश की गईं. इन फेक रिपोर्ट्स फेक वीडियो ने तमिलनाडु के सभी हिंदी भाषियों को पैनिक में ला दिया है. राज्य की सरकार अब तक नहीं समझ पा रही है कि इस अफवाह से कैसे कारगर तरीके से निपटा जाए.
सवाल – तमिलनाडु प्रशासन मजदूरों को कैसे आश्वस्त करने में लगा है?
– चेन्नई में गुइंडे इंस्ट्रियल एस्टेट ने दावा किया है कि सभी कारखाना मालिकों ने अपने मजदूरों की पर्याप्त सुरक्षा का भरोसा दिया है. कुछ मजदूरों का कहना है कि सबकुछ ठीक है लेकिन जब घर से फोन आता है और कहा जाता है कि तुरंत वापस आ जाओ तो हमारे लिए बड़ी अजीब स्थिति हो जाती है. हालांकि मजदूरों को आश्वस्त करने के लिए उनके ठेकेदार और सुरक्षा गार्ड लगातार उनसे मिल रहे हैं. लेकिन असल दिक्कत यही है कि ये फेक वीडियो बहुत तेजी से हर मजदूर या उनके परिवार के मोबाइल पर पहुंच रहे हैं.
सवाल – बिहार की तुलना में तमिलनाडु में उत्तर भारतीय मजदूरों को मिलने वाला पैसा, सम्मान या सुविधाएं कैसी हैं?
– कई बिहार से गए मजदूरों से बातचीत के बाद जो बात निकलकर सामने आई, उसके अनुसार उन्हें चेन्नई में एक दिन का मेहनताना 400 से 600 रुपए मिलता है जबकि बिहार में काम करने पर रोज की दिहाड़ी 75 से 100 रुपए ही मिलती है. मालिक यहां उनसे इज्जत से पेश आते हैं. वो उस तरह निर्दयता या बदसलूकी नहीं करते जिसका सामना वो गृह प्रदेश में करते हैं.
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पहले प्रकाशित : 06 मार्च, 2023, 15:49 IST
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