Home Bihar DG आलोक राज का क्या होगा?: DGP भट्टी से सीनियर हैं, अब यह केंद्र जाएं या समकक्ष पद पर आएं

DG आलोक राज का क्या होगा?: DGP भट्टी से सीनियर हैं, अब यह केंद्र जाएं या समकक्ष पद पर आएं

0
DG आलोक राज का क्या होगा?: DGP भट्टी से सीनियर हैं, अब यह केंद्र जाएं या समकक्ष पद पर आएं

[ad_1]

डीजीपी से सीनियर आलोक राज का भविष्य चर्चा में।

डीजीपी से सीनियर आलोक राज का भविष्य चर्चा में।
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

पुलिस महकमे के सबसे शक्तिशाली पद पर नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार ने जो परंपरा तोड़ी है, उससे विकट स्थिति पैदा हो गई है। 1990 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राजविंदर सिंह भट्टी पुलिस महानिदेशक बना दिए गए और 1989  बैच के आईपीएस आलोक राज देखते ही रह गए। संकट यहीं शुरू हुआ है। अब आईपीएस आलोक राज के साथ संकट यह है कि वह अभी जिस पद पर हैं, उसमें उन्हें डीजीपी को रिपोर्ट करना है। मतलब, जूनियर बैच के अफसर को रिपोर्ट करना है। वह नहीं करना चाहें तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का रास्ता अपनाना होगा। वैसे, राज्य सरकार के पास एक विकल्प है। विकल्प यह कि वह सीनियर आईपीएस अधिकारी आलोक राज को ऐसे पद पर ट्रांसफर कर दे, जो डीजीपी के मातहत नहीं है। नियमानुसार वह एक ही पद है, जिसपर डीजीपी से ऊपर के बैच वाले परंपरा के तहत जाते रहे हैं। बुधवार को नए डीजीपी के साथ बैठक के लिए पटना में जुटे तमाम पुलिस अधिकारियों के बीच यही चर्चा गरम रही।

डीजीपी के समकक्ष डीजी के तीन पद, मगर विकल्प एक ही
बिहार में पुलिस महानिदेशक के समकक्ष डीजी के तीन पद माने जाते हैं, हालांकि नियम और परंपरा के अनुसार सिर्फ एक पद है डीजी- होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज। वैसे, दो और विकल्प माने जा सकते हैं। 1. डीजी- सिविल डिफेंस और 2. डीजी- पुलिस बिल्डिंग। होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज के डीजी पर अबतक वैसे लोग ज्यादा बैठाए जाते रहे हैं, जो डीजीपी से बैच में सीनियर रहे हैं। आशीष रंजन सिन्हा, आर. के. मिश्रा, अभ्यानंद जैसे आईपीएस अधिकारी नीचे के अफसर के डीजीपी बनने पर यहां बैठाए गए थे। इस पद पर अभी शोभा अहोटकर हैं। शोभा अहोटकर डीजीपी भट्टी के बैच की हैं, लेकिन उम्र में कम हैं और रिटायरमेंट की तारीख भी आगे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार शोभा अहोटकर को डीजीपी के मातहत का पद दे सकती है और 1989 बैच के आलोक राज को डीजीपी के समकक्ष का पद डीजी- होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज दे सकती है। दूसरा पद डीजी- सिविल डिफेंस का है। यह पद विकल्पहीन स्थिति में भरा हुआ है। पिछली बार सरकारी नाराजगी के कारण डीजीपी की रेस से बाहर हुए और इस बार खुद ही इस पद को नकार चुके 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय इस पद पर हैं। उनसे सीनियर बैच वाले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और उनके ठीक बाद वाले संजीव कुमार सिंघल डीजीपी बनकर रिटायर कर चुके हैं। नियमानुसार डीजी होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज पद पर उनका हक पहले है। ऐसे में अगर अरविंद पांडेय अपने पद पर कायम रहते हैं तो मौका आईपीएस की वरीयता के हिसाब से आलोक राज को मिलना चाहिए। तीसरा पद डीजी- पुलिस बिल्डिंग का है, जिसपर आलोक राज पहले ही रह चुके हैं। वैसे, वर्षों पहले डीजीपी के समकक्ष एक पद डीजी- विजिलेंस पर भी नियुक्तियां होती थीं। इस पद पर वर्षों से अब एडीजी रैंक के पदाधिकारी ही पदस्थापित होते रहे हैं।

अहम पद से शोभा अहोटकर को हटाना बड़ा-कड़ा फैसला
1990 बैच की शोभा अहोटकर दिसंबर 2020 से होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज के डीजी पद पर हैं। वह 1988 बैच के पूर्व डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के समकक्ष काम करती रहीं और अब नए बैचमेट डीपीजी के साथ उनके समकक्ष पद पर बनी हुई हैं। राज्य सरकार ने जिस तरह से डीजीपी पद के लिए बिहारी मूल के इकलौते आईपीएस आलोक राज को किनारे रखकर उनके जूनियर को डीजीपी बनाया है, उससे इस बात के आसार कम हैं कि अहोटकर को वर्तमान पद से हटाया जाएगा। अहोटकर को हटाना बड़ा फैसला भी होगा और कड़ा भी।  ऐसे में, डीजीपी की रेस में रहे आलोक राज के लिए दो ही विकल्प रहेंगे- एक तो यह कि वह जूनियर बैच के आईपीएस को रिपोर्ट करें और दूसरा रास्ता केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए प्रयास करना। इस बारे में कोई अधिकारी खुद कुछ बोलने को भले तैयार नहीं, लेकिन बुधवार को जब डीजीपी पटना में पूरे बिहार के पुलिस अधिकारियों की मीटिंग ले रहे थे तो भी चर्चा का केंद्र यही था।

विस्तार

पुलिस महकमे के सबसे शक्तिशाली पद पर नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार ने जो परंपरा तोड़ी है, उससे विकट स्थिति पैदा हो गई है। 1990 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राजविंदर सिंह भट्टी पुलिस महानिदेशक बना दिए गए और 1989  बैच के आईपीएस आलोक राज देखते ही रह गए। संकट यहीं शुरू हुआ है। अब आईपीएस आलोक राज के साथ संकट यह है कि वह अभी जिस पद पर हैं, उसमें उन्हें डीजीपी को रिपोर्ट करना है। मतलब, जूनियर बैच के अफसर को रिपोर्ट करना है। वह नहीं करना चाहें तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का रास्ता अपनाना होगा। वैसे, राज्य सरकार के पास एक विकल्प है। विकल्प यह कि वह सीनियर आईपीएस अधिकारी आलोक राज को ऐसे पद पर ट्रांसफर कर दे, जो डीजीपी के मातहत नहीं है। नियमानुसार वह एक ही पद है, जिसपर डीजीपी से ऊपर के बैच वाले परंपरा के तहत जाते रहे हैं। बुधवार को नए डीजीपी के साथ बैठक के लिए पटना में जुटे तमाम पुलिस अधिकारियों के बीच यही चर्चा गरम रही।

डीजीपी के समकक्ष डीजी के तीन पद, मगर विकल्प एक ही

बिहार में पुलिस महानिदेशक के समकक्ष डीजी के तीन पद माने जाते हैं, हालांकि नियम और परंपरा के अनुसार सिर्फ एक पद है डीजी- होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज। वैसे, दो और विकल्प माने जा सकते हैं। 1. डीजी- सिविल डिफेंस और 2. डीजी- पुलिस बिल्डिंग। होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज के डीजी पर अबतक वैसे लोग ज्यादा बैठाए जाते रहे हैं, जो डीजीपी से बैच में सीनियर रहे हैं। आशीष रंजन सिन्हा, आर. के. मिश्रा, अभ्यानंद जैसे आईपीएस अधिकारी नीचे के अफसर के डीजीपी बनने पर यहां बैठाए गए थे। इस पद पर अभी शोभा अहोटकर हैं। शोभा अहोटकर डीजीपी भट्टी के बैच की हैं, लेकिन उम्र में कम हैं और रिटायरमेंट की तारीख भी आगे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार शोभा अहोटकर को डीजीपी के मातहत का पद दे सकती है और 1989 बैच के आलोक राज को डीजीपी के समकक्ष का पद डीजी- होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज दे सकती है। दूसरा पद डीजी- सिविल डिफेंस का है। यह पद विकल्पहीन स्थिति में भरा हुआ है। पिछली बार सरकारी नाराजगी के कारण डीजीपी की रेस से बाहर हुए और इस बार खुद ही इस पद को नकार चुके 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय इस पद पर हैं। उनसे सीनियर बैच वाले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और उनके ठीक बाद वाले संजीव कुमार सिंघल डीजीपी बनकर रिटायर कर चुके हैं। नियमानुसार डीजी होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज पद पर उनका हक पहले है। ऐसे में अगर अरविंद पांडेय अपने पद पर कायम रहते हैं तो मौका आईपीएस की वरीयता के हिसाब से आलोक राज को मिलना चाहिए। तीसरा पद डीजी- पुलिस बिल्डिंग का है, जिसपर आलोक राज पहले ही रह चुके हैं। वैसे, वर्षों पहले डीजीपी के समकक्ष एक पद डीजी- विजिलेंस पर भी नियुक्तियां होती थीं। इस पद पर वर्षों से अब एडीजी रैंक के पदाधिकारी ही पदस्थापित होते रहे हैं।

अहम पद से शोभा अहोटकर को हटाना बड़ा-कड़ा फैसला

1990 बैच की शोभा अहोटकर दिसंबर 2020 से होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज के डीजी पद पर हैं। वह 1988 बैच के पूर्व डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के समकक्ष काम करती रहीं और अब नए बैचमेट डीपीजी के साथ उनके समकक्ष पद पर बनी हुई हैं। राज्य सरकार ने जिस तरह से डीजीपी पद के लिए बिहारी मूल के इकलौते आईपीएस आलोक राज को किनारे रखकर उनके जूनियर को डीजीपी बनाया है, उससे इस बात के आसार कम हैं कि अहोटकर को वर्तमान पद से हटाया जाएगा। अहोटकर को हटाना बड़ा फैसला भी होगा और कड़ा भी।  ऐसे में, डीजीपी की रेस में रहे आलोक राज के लिए दो ही विकल्प रहेंगे- एक तो यह कि वह जूनियर बैच के आईपीएस को रिपोर्ट करें और दूसरा रास्ता केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए प्रयास करना। इस बारे में कोई अधिकारी खुद कुछ बोलने को भले तैयार नहीं, लेकिन बुधवार को जब डीजीपी पटना में पूरे बिहार के पुलिस अधिकारियों की मीटिंग ले रहे थे तो भी चर्चा का केंद्र यही था।



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here