Home Bihar Buxar: किसान महापंचायत में यूपी और बिहार के हजारों किसान जुटे, सरकार को दी सख्त चेतावनी, जानें क्या है मुद्दा

Buxar: किसान महापंचायत में यूपी और बिहार के हजारों किसान जुटे, सरकार को दी सख्त चेतावनी, जानें क्या है मुद्दा

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Buxar: किसान महापंचायत में यूपी और बिहार के हजारों किसान जुटे, सरकार को दी सख्त चेतावनी, जानें क्या है मुद्दा

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रिपोर्ट- गुलशन सिंह

बक्सर. बक्सर के चौसा में निर्माणाधीन 1320 मेगावाट थर्मल पावर प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है. 2023 के अंत तक में पहली यूनिट इकाई चालू होने की उम्मीद है, वहीं दूसरी यूनिट 2024 में चालू करने का लक्ष्य है. वही ताप विद्युत परियोजना के लिये चौसा क्षेत्र के चौदह गांव के मौजे में 137 एकड़ भूमि में रेल कॉरिडोर हेतु रेल लाइन बिछाई जाएगी. इसके लिए 55 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है. 14 गांव के मौजे से कुल 309 किसानों की जमीन इस परियोजना के लिए ली जा रही है. जानकारी के अनुसार थर्मल पावर प्लांट का रेल कॉरिडोर पवनी हाल्ट से आगे महुवारी गांव के अंत से घूम कर विभिन्न मौजे से होकर मोहनपुरवा मौजा के रास्ते थर्मल पावर प्रोजेक्ट के अंदर प्रवेश करेगा. हालांकि वाटर पाइप लाइन और रेलवे कोरिडोर के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन के मुआवजे का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा.

अधिग्रहण की जाने वाली भूमि के बदले उचित मुआवजे की मांग को पूरा करवाने के लिए अपनी बातों पर अड़े प्रभावित किसानों का अनिश्चितकालीन धरना लगातार 80वें दिन चलने के बाद किसानों ने पावर प्लांट के समीप मोहनपुरवा मौजा में 81वें दिन महापंचायत किया. रामप्रवेश यादव की अध्यक्षता व मेराज खान के द्वारा संचालित इस महापंचायत में उत्तर प्रदेश और बिहार के अलग-अलग मौजा के किसानों ने हिस्सा लेकर 15 सूत्री अपनी मांगों पर आवाज बुलंद किया. इस दौरान विधि व्यवस्था के लिए चार थानों की पुलिस बल को मौके पर तैनात किया गया था.

किसानों ने कहा कि पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहण की जा रही किसानों की भूमि के बदले सरकारी प्रावधानों के तहत मुआवजा व अन्य सुविधाएँ मिलने चाहिए. पावर प्लांट के उपयोग के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन के लिए किसानों की मांग जायज है. वहीं महापंचायत में किसानों ने सरकार, प्रशासन और कंपनी को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी 25 दिनों में हमारी 15 सूत्री मांगों पर कोई सकारात्मक कदम नही उठाया गया तो फिर किसान अपनी हक की लड़ाई लड़ेंगे और इस दौरान किसी तरह की कोई घटना हुई तो इसका दोषी प्रशासन व कम्पनी होगी. इस दौरान अशोक तिवारी, संतविलास पाण्डेय, केशव चौधरी, रामाकांत चौधरी, लटु राम, विद्यासागर राम, राजू राम, राजनारायण चौधरी, रामजी राम, शशिकांत चौधरी सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे.

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