Home Bihar Bochahan By-Election: सभी पार्टियां कर रहीं बोचहां में अपनी जीत का दावा, पर जमीनी हकीकत है उल्ट, जानिए किसे मिलेगी विजयश्री

Bochahan By-Election: सभी पार्टियां कर रहीं बोचहां में अपनी जीत का दावा, पर जमीनी हकीकत है उल्ट, जानिए किसे मिलेगी विजयश्री

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Bochahan By-Election: सभी पार्टियां कर रहीं बोचहां में अपनी जीत का दावा, पर जमीनी हकीकत है उल्ट, जानिए किसे मिलेगी विजयश्री

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संदीप कुमार, मुजफ्फरपुर:बोचहां विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव को लेकर मतदान संपन्न होते ही चौक चौराहों पर जीत हार को लेकर चर्चाएं गर्म हो गया है। विभिन्न दलों के समर्थक अपने-अपने खेमे को लेकर अलग-अलग ढंग से दावे कर रहे हैं। लेकिन सही मायने में लोकतंत्र के इस तपस्या का परिणाम 16 अप्रैल को मतगणना के बाद ही सामने आएगा। जहां तक बोचहां विधानसभा क्षेत्र में जीत हार को लेकर दावे का सवाल है, सभी पार्टियों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। अगर मतों की गोलबंदी के आधार पर देखें तो स्वर्गीय विधायक मुसाफिर पासवान के पुत्र राजद प्रत्याशी अमर पासवान का पलड़ा भारी दिखता है।


बोचहां में सहनी समुदाय का वोटर सबसे ज्यादा
बोचहां विधानसभा क्षेत्र में यूं तो सहनी समुदाय का वोटर सबसे ज्यादा है लेकिन राजद के खेमे में अभी भी MY का समीकरण पूरी तरह से कायम है। जिसका फायदा अमर पासवान को मिलना तय माना जा रहा है। उनके पक्ष में जातीय वोटर पासवान समुदाय भी खड़ा रहा है। सबसे बड़ी बात है कि उपचुनाव में ब्रह्मर्षि समाज के लोग भाजपा प्रत्याशी से खफा दिखे, जिन्हें मनाने की कोशिश अंत समय तक कायम रहीं। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले तीन दशक में यह पहला मौका रहा जब भूमिहार समुदाय के लोगों ने पूरी तरह तो नहीं, पर टुकड़ों में बंटकर राजद प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया है। जिसका सीधा लाभ अमर पासवान को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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बेबी कुमारी के पति उमेश रजक की कथित मनमानी से लोग नाराज
दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी बेबी कुमारी इस क्षेत्र में पहले भी विधायक रह चुकी हैं। यूं तो उनके कार्यकाल में विकास के लंबे चौड़े काम के दावे हैं। लेकिन विधायक की टोली में रहने वाले लोग और उनके पति उमेश रजक की कथित मनमानी से लोग नाराज दिखे। दूसरी ओर भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने बोचहा में भेले ही डेरा डाला लेकिन स्थानीय स्तर पर छोटे बड़े नेताओं के बीच आपसी मतभेद और अंतर्कलह कहीं न कहीं एनडीए प्रत्याशी के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है।

बोचहां में नहीं दिखा बीजेपी में गठबंधन का सही मेल
भाजपा में सही मायने में गठबंधन का वैसा मेल बोचहां में नहीं दिखा, जैसा विधानसभा चुनाव के वक्त था। खासकर शुरुआती समय में भाजपा ने अकेले बूते अपने फैसले को मुकाम तक पहुंचाने का बीड़ा उठा रखा था। अंतिम क्षणों में जब उन्हें एहसास हुआ कि उपचुनाव में में हार झेलनी पड़ सकती है तो गठबंधन धर्म की याद आई और जदयू के केंद्रीय नेता, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी बोचंहा में सभा कराने को विवश होना पड़ा। यहां तक की शिक्षा मंत्री विजय चौधरी को भूमिहार समुदाय को मनाने का जिम्मा थमाया गया। जबकि मध निषेध मंत्री सुनील कुमार ने अति पिछड़ा समुदाय को संभालने की बागडोर थामी।
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अभी भी मुस्लिम समुदाय के मतों पर लालू यादव का जादू कायम
राजद को पटकनी देने के लिए ‘शेरे बिहार’ गिरिराज सिंह को भी मैदान में लाया गया, जहां उन्होंने राजद के डीएनए की जांच कर विरोधी पार्टी के समर्थक कार्यकर्ताओं को एकजुट बनाने का काम कर दिया। हालांकि बिहार के उद्योग मंत्री मुसलमानों को मनाने में तल्लीन दिखे। लंबे चौड़े दावे भी किए गए लेकिन अभी भी मुस्लिम समुदाय के मतों पर लालू प्रसाद का जादू कायम दिखा है।

वीआईपी प्रत्याशी डॉ गीता कुमारी को मिला इस जाति का वोट
उपचुनाव में वीआईपी प्रत्याशी डॉ गीता कुमारी भी परिणाम में महती भूमिका निभाती दिख रही है। जहां तक जातीय समीकरण का सवाल है तो गीता कुमारी को जाटव जाति से मत मिला है, साथ ही सहनी समुदाय का मत भी बड़े पैमाने पर मिलने का दावा किया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो भाजपा प्रत्याशी की परेशानी बढ़ सकती है। कांग्रेस प्रत्याशी को मिलने वाला मत भी भाजपा प्रत्याशी के लिए ही मुसीबत खड़ा करेगा। साथ में रमई राम की छवि और कद के मुताबिक, अगर अगड़ी जाति के लोगों ने वीआईपी को मत किया होगा तो निश्चय ही भाजपा प्रत्याशी की मतगणना कमजोर पड़ सकती है।

बहरहाल अंतिम क्षणों में अगर मतदाताओं का मन बदला होगा और मत पेटी में मन मुताबिक पड़े होंगे तो निश्चय ही ईवीएम का जीन परिणाम को नया रंग दे सकता है। अन्यथा जिस तरीके से बोचहां विधानसभा क्षेत्र में लोगों के अंदर से रुझान मिल रहे हैं, यह तयशुदा लग रहा है कि राजद के ब्रह्मॠषी समाज में सेंधमारी के कारण लालटेन की रोशनी ‘कमल’ को झुलसा सकती है। ‘हाथ’ को दबा सकती है और ‘नाव’ को डुबा सकती है।

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