[ad_1]
बिहार शिक्षा विभाग ने नियोजन पर नियुक्त होनेवाले शिक्षकों के लिए सबकुछ ‘स्पेशल’ बनाया है। इसके लिए अलग से मानदेय का स्लैब तय किए गए हैं। जिसके मुताबिक नए शिक्षक, जो पहली से 8वीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाएंगे, उनकी सैलरी 5200 रुपए होगी। ऐसे में उनका मूल वेतन 13,370 रुपए होगा, जिसमें महंगाई भत्ता, आवासीय भत्ता और मेडिकल जोड़कर कुल 19,316 रुपए मिलेंगे। इसमें से सरकार की ओर से 1800 रुपए ईपीएफ के मद में काटे जाएंगे। इसका मतलब ये हुआ कि नए शिक्षकों को हर महीने 17,516 रुपए हाथ में मिलेंगे। ये राशि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से थोड़ा बहुत कम या ज्यादा हो सकती है।
12वीं में पढ़ानेवाले को मिलेंगे 25 हजार
वैसे, बिहार सरकार की ओर से कहा गया है कि तत्काल 15 प्रतिशत वेतन की बढ़ोतरी भी की जाएगी। अगर 15 प्रतिशत जोड़ दिया जाए तो पहली से 8वीं तक के बच्चों को पढ़ाने वाले नव नियुक्त शिक्षकों का वेतन 22,275 होगा, जो ईपीएफ काटने के बाद 20,475 रुपए हो जाएगा। जबकि, क्लास 9वीं से 12वीं तक के शिक्षकों का वेतन करीब 23 हजार रुपए के आसपास होगा। इसमें भी अगर 15 फीसदी की बढ़ोतरी होती है, तो सैलरी बढ़कर लगभग 25 हजार रुपए हो जाएगी।
चपरासी से भी कम मास्टर साहब की सैलरी
बिहार में जिन शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, उनसे उनकी बीएड और पीजीटी की डिग्री सर्टिफिकेट भी ली गई है। बीए, पीजी, बीएड, पीजीटी करनेवाला कैंडिडेट 25 हजार की नौकरी करेगा तो शिक्षा की गुणवत्ता कैसे रहेगी? सच में देखा जाए तो हाई स्कूल के नवनियुक्त शिक्षकों की सैलरी एक आदेशपाल (चपरासी) के जितना ही होगा। जबकि प्राइमरी स्कूलों में पढ़ानेवाले शिक्षकों की सैलरी तो उनसे भी कम होगी।
घर-परिवार का खर्च चलाना मुश्किल
घर-परिवार का खर्च चलाने के लिए स्कूल के बाद वाले समय में शिक्षकों को कोई दूसरा काम करना पड़ता है। मसलन ट्यूशन और कोचिंग में पढ़ाने पड़ते हैं। ताकि घर खर्चा चल सके। पुराने शिक्षकों का कहना है कि एक ही स्कूल में साल 1994 और 1999 में बहाल हुए शिक्षकों को 70-80 हजार रुपए वेतन के तौर पर मिलते हैं। जबकि, साल 2006 में उसी स्कूल में आए नियोजित शिक्षकों को अभी 30 हजार रुपए मिल रहे हैं। जिसके चलते योग्य शिक्षक भी अपना सौ फीसदी नहीं दे पाते हैं। ज्यादा से ज्यादा छुट्टी लेते हैं ताकि दूसरा काम कर परिवार चलाने लायक पैसा जुटा सकें।
[ad_2]
Source link