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लालू यादव के साथ मिलकर शरद-देवेंद्र ने शुरू की थी सियासी पारी
शरद यादव और देवेंद्र प्रसाद यादव ने कभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के साथ मिलकर सियासी पारी का आगाज किया था, लेकिन कलांतर में ये अलग हो गए और एक-दूसरे के खिलाफ राजनीति भी की। कहा जा रहा है कि देश और बिहार की सियासत के मद्देनजर फिर से इन सभी लोगों को एक छतरी में आने को विवश कर दिया है।
अकेले कोई पार्टी बीजेपी को नहीं हरा सकती: शरद यादव
शरद यादव ने राजद में अपनी पार्टी का विलय करते हुए यह कहकर विपक्षी दलों को एक साथ आने के संकेत दिए थे कि यह विलय एक व्यापक एकता के लिए पहला कदम है। देश में जो परिस्थिति है, उसमें सारे विपक्ष को एक होना चाहिए इसी वजह से हमने सबसे पहले यह पहल की है। शरद यादव ने कहा था कि पूरे देश के विपक्षियों पार्टियों को मिलाकर हराने से ही भाजपा हार सकती है। अकेले कोई पार्टी नहीं हरा सकती।
समाजिक न्याय और धर्मनिरेपक्षता वाला सबसे बड़ा धड़ा राजद: देवेंद्र
इधर, बुधवार को समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक के राजद में विलय के दौरान पार्टी के नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव ने भी कहा कि देश और प्रदेश की मौजूदा स्थिति में अभी दो ध्रुवीय राजनीति चल पड़ी है। आगे भी ऐसी ही स्थिति रहेगी। देवेंद्र यादव ने कहा कि समाजवादी आंदोलन कुंद सा पड़ गया है। ऐसी स्थिति में समाजिक न्याय और धर्मनिरेपक्षता वाला सबसे बड़ा धड़ा राजद है, इसलिए समाजवादी ताकतों को एकजुट होकर संघर्ष करना ऐतिहासिक मांग है।
लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में भी मजबूत हुई राजद
शरद यादव और देवेंद्र यादव जेपी आंदोलन से निकले नेता हैं। माना जा रहा है कि ये दोनों नेता अलग रहकर कुछ कर नहीं पा रहे थे, जबकि राजद पिछले चुनाव में लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में भी मजबूत हुई है। ऐसे में राजद में आने से जहां इन दोनों नेताओं को एक मजबूत ठिकाना मिल गया है, वहीं राजद भी दिग्गज यादव नेताओं के आने से और मजबूत होगी।

Bihar Politics: दिग्गज यादव नेताओं की घर वापसी से बिहार की सियासत बदलने में जुटी RJD, एक सप्ताह में दूसरी पार्टी का विलय
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