Home Bihar Bihar News: 'पहलवानी तो छोरे करे हैं, तो म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के…' फिल्म दंगल देखने के बाद पिता ने आंगन में बना दिया आखाड़ा

Bihar News: 'पहलवानी तो छोरे करे हैं, तो म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के…' फिल्म दंगल देखने के बाद पिता ने आंगन में बना दिया आखाड़ा

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Bihar News: 'पहलवानी तो छोरे करे हैं, तो म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के…' फिल्म दंगल देखने के बाद पिता ने आंगन में बना दिया आखाड़ा

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बेगूसराय:‘पहलवानी तो छोरे करे हैं, तो म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के…’हरियाणवी में बोला गया दंगल फिल्म का ये डायलॉग लोगों के जुबान पर चढ़ गया था। मगर असल जिंदगी में इसे बिहार के एक पिता ने उतारा। दंगल फिल्म देखने के बाद घर के आंगन में एक आखाड़ा तैयार किया। इसके बाद तो कमाल ही हो गया। आंगन से कुश्ती सीखने वाली निर्जला ने मेडल तक का सफर तय किया। राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीत कर बिहार का नाम रोशन किया। उतर प्रदेश में तीन दिवसीय अंडर-17 सब जूनियर बालक-बालिका राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता 2023 में सिल्वर पदक हासिल की।

फिल्म दंगल से आया आइडिया

बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड के सलोना गांव निवासी मुकेश स्वर्णकार साल 2016 में आमिर खान की मूवी दंगल को अपने घर में परिवार के साथ देख रहे थे। फिल्म देखने के दौरान ही मुकेश स्वर्णकार और उनकी पत्नी ने अपनी दोनों बेटियों निर्जला और शालिनी को दंगल गर्ल बनाने की सोचा। उसके बाद घर के ही आंगन में कुश्ती सिखाने शुरू किए, जो समय के साथ आगे बढ़ता गया। निर्जला राजस्थान और नेशनल स्तर पर कई बार कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी है। उतर प्रदेश में तीन दिवसीय अंडर-17 सब जूनियर बालक-बालिका राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता 2023 में सिल्वर पदक जीतने के बाद अपने गांव सलोना पहुंची, जहां लोगों ने उसका जोरदार स्वागत किया।

आंगन में आखाड़ा और पिता बने कोच

निर्जला का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। दंगल फिल्म देखने के बाद निर्जला के पिता ने अपनी दोनों बेटियों को फिल्म के तर्ज पर घर के आंगन में कुश्ती सिखानी शुरू की। आखाड़ा बनवाया। शुरुआत में निर्जला के कोच के रूप में उनके पिता ने ही भरपूर अभ्यास कराया और धीरे-धीरे दोनों बहनें कुश्ती में पारंगत होती चली गईं‌। निर्जला ने बताया कि उनकी घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है, फिर भी वो पांच साल से कुश्ती सीख रही है।

begusarai pahalwani

देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना

कोरोना काल में बहुत ज्यादा परेशानी हुई, उसके दादा की मौत हो गई। कुछ दिन पहले उसकी भाई की मौत हो गई। इस वजह से परिजनों की माली हालत बहुत ही खराब होती चली गई। निर्जला ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से आर्थिक मदद कराने की गुहार लगाई ताकि अभी जो राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर पदक जीता है, उसे आगे भारत के लिए गोल्ड मेडल में बदल सके।

शुरुआत में ताने और अब शाबाशी

निर्जला की मां ने बताया कि दंगल फिल्म देखने के दौरान ही मन में सोचा कि दोनों बेटियों को कुश्ती में आगे बढ़ाएंगे। अब एक बेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर पदक जीता है। आगे उम्मीद है कि भारत के लिए गोल्ड मेडल जितेगी। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में लोग ताने भी देते थे लेकिन वो कभी घबराई नहीं और घर से ही दोनों बहनों ने कुश्ती सीखा। बाद में गांव के चैती मेला में कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उसके बाद वो लगातार आगे बढ़ती गई।

रिपोर्ट- संदीप कुमार

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