[ad_1]
उपेंद्र कुशवाहा ने अपने साथ कई नेताओं को बैठाकर जताया कि वह अकेले नहीं हैं।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
जनता दल यूनाईटेड में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जदयू में 95 प्रतिशत आए-गए ही लोग ही हैं। उन्होंने इस बयान के साथ पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह आए-गए लोग सत्ता सुख भोगने आए हैं। हम दो बार पार्टी छोड़े हैं, तीन बार की बात गलत है। कुछ लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बरगलाते रहते हैं। वह दूसरों से हैंडिल हो रहे हैं। अपना कुछ नहीं है! मुख्यमंत्री ने 2009 की पटेल जयंती पर मुझे भरी महफिल में ऑफर दिया था। इस बार भी एक नेता को मेरे पीछे लगाया गया, मुख्यमंत्री आवास से कॉल आया…तब पार्टी में आया। मैं नीतीश कुमार को अपना परिवार मानता हूं, उनका अपमान मेरा अपमान है। जब विलय हुआ था, तो उसके बाद उन्होंने कहा था अब मुझे कितना दिन रहना है आप लोग संलालिए…यानी मुझे यह कहा था। पार्टी जब जब कमजोर हुई तबतब मेरी खोज हुई। 2009 में जब उपचुनाव हुए थे तो जदयू कई सीट हार गई थी। तब मुझे बुलाया गया। फिर 2020 में 43 पर आ गए तो मुझे बुलाया गया।
अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यकारिणी तो बुलाएं, डीलिंग वाला सच भी बताऊंगा
शुक्रवार को कुशवाहा ने कुछ नेताओं को अपने साथ प्रेस कांफ्रेंस में बैठाया था, ताकि इसका भी पता चल जाए कि वह अकेले नहीं। शुरुआत में उन्होंने कहा कि चार-पांच दिनों में कई तरह की बात चल रही है और उसमें मुख्यमंत्री ने ऐसा कहा है, यह भी कहा गया। दिल्ली के अस्पताल की बात पर मुख्यमंत्री ने पहले मीडिया के जरिए बात कही। कुशवाहा ने कहा कि मैं तो पहले से चाह रहा कि पार्टी फोरम में बात करूं, लेकिन मैंने तो पहले मीडिया के जरिए बात नहीं की। मैंने इन विषयों पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की मांग की थी। उन्होंने कहा- “अध्यक्ष बैठक तो करें, अगर करनी है तो। बैठक होती है तो जाएंगे, इसके लिए तैयार हैं। राजद से डीलिंग की बात भी पार्टी की मीटिंग में रखना चाहते हैं। किस परिस्थिति में किससे और कैसी डील हुई, यह तो पार्टी के मंच पर रखना ही चाहते हैं।”
तेजस्वी यादव का बयान याद दिला नीतीश की दुखती रग पर रखा हाथ
कुशवाहा ने मुख्यमंत्री के बयानों का जवाब थोड़ा संयमित होकर दिया और इस बहाने बरगलाने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार के आसपास रहने वाले अपने धुरंधर विरोधियों को जमकर निशाना बनाया। कुशवाहा ने तेजस्वी यादव का नाम भी लिया। उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री के आसपास कौन हैं, यह उन्हें देखना चाहिए। 2020 के विधानसभा तेजस्वी यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री का एक बेटा है और वो उनका है भी या नहीं…।” उन्होंने कहा कि 2 फरवरी को जगदेव बाबू की जयंती मनाने से मुझे मना किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि वह अलग संगठन है। तो, इसका जवाब कौन देगा कि महाराणा प्रताप की जयंती किस बैनर के तहत हुई थी? 2 फरवरी का कार्यक्रम होगा ही। मैं पार्टी में हूं, लेकिन इस सामाजिक कार्यक्रम को जरूर करूंगा। उन्होंने घुमाकर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को भी लपेटा। उन्होंने कहा- ये मुझे आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं, जबकि हर बार नीतीश कुमार ने जरूरत में मुझे याद किया और दोनों बार मैं उनके बुलावे पर ही आया।
उपेंद्र कुशवाहा क्यों-कैसे हुए परेशान…यह भी रोचक
इस परेशानी की शुरुआत मकर संक्रांति के पहले तब हुई, जब उनके बारे में कुछ मीडिया ने यह खबरें चला दीं कि वह डिप्टी सीएम बनने वाले हैं। कुशवाहा ने भी हां में हां मिलाकर अपने लिए गड्ढा इसलिए खोद लिया कि उन्हें ऐसी कुछ उम्मीद है। तेजस्वी यादव के समकक्ष किसी को खड़ा नहीं करने की अपनी मंशा को साफ करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा का सपना तोड़ दिया कि ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। मामला यहां भी ठंडा हो सकता था, लेकिन फिर एक तस्वीर आई, जिसमें एम्स में इलाज करा रहे कुशवाहा को देखने भाजपा के तीन नेता आए। उन नेताओं की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर भाजपा और जदयू को हैशटैग करते हुए आई। हंगामा यहां और बढ़ गया। जदयू नेताओं पहले इसपर चुप थे, लेकिन फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा के पार्टी में आते-जाते रहने की बात कह दी। कुशवाहा भी चुप नहीं रहे और पटना एयरपोर्ट पर बातचीत में कह दिया कि जदयू ही भाजपा के साथ जुड़ती-हटती रही है। पार्टी बीमार है, इलाज की जरूरत है। इसके बाद मामला बहुत आगे बढ़ गया। नीतीश कुमार को जवाब देना जदयू में रहते हुए संभव नहीं। बाकी नेता भी बोलते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री ने भी कुशवाहा को मीडिया के जरिए ही जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया कि जबतक बोलना है बोलें और जितनी जल्दी निकलना है निकल जाएं। उधर नीतीश ने बाहर का रास्ता दिखाया और इधर कुशवाहा ने खुद को उनका सिपाही बता दिया। फिर बात पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा ने हिस्सेदारी की बात कर दी। गुरुवार को नीतीश थोड़े नरम होकर विकल्प देते भी नजर आए, लेकिन कुछ ही देर बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कह दिया कि उन्हें (उपेंद्र कुशवाहा को) शर्म आनी चाहिए।
[ad_2]
Source link