Home Bihar Bihar budget history: जब 28 करोड़ थी बिहार की कमाई, पेट भरने के लिए नेपाल से लाना पड़ता था चावल

Bihar budget history: जब 28 करोड़ थी बिहार की कमाई, पेट भरने के लिए नेपाल से लाना पड़ता था चावल

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Bihar budget history: जब 28 करोड़ थी बिहार की कमाई, पेट भरने के लिए नेपाल से लाना पड़ता था चावल

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Bihar budget 2022 : बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore prasad) सोमवार को बिहार विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश करेंगे। वित्त वर्ष 1952-53 के लिए बिहार विधानसभा में महज 30 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था। आइए ऐसे ही कुछ और दिलचस्प किस्सों (Bihar budget history) पर नजर डालते हैं।

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पटना: बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद सोमवार को बिहार विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश करेंगे। स्वतंत्रता के बाद बिहार सरकार का यह 70वां बजट होगा। बिहार के बजट के इतिहास के पन्ने पलटने पर कई दिलचस्प और हैरान करने वाली बातें देखने को मिलती हैं। वित्त वर्ष 1952-53 के लिए बिहार विधानसभा में महज 30 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था। इतना ही नहीं, उस वक्त बजट भाषण में अनुमान लगाया गया था कि राज्य को विभिन्न स्रोतों से 28 करोड़ रुपये की आय होगी। यानी बिहार का पहला बजट दो करोड़ रुपये के घाटे का था। आइए ऐसे ही कुछ और दिलचस्प किस्सों पर नजर डालते हैं। Live : आज पेश होगा बिहार का बजट

  • 16 मई 1952 को बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह ने बिहार की जनता से कंजूसी करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि बिहार में खाद्यान्न की कमी के चलते राज्य सरकार को दो करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
  • बजट भाषण के दौरान अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा था 1951 में बिहार को खाद्यान्न की भारी कमी उठानी पड़ी। केंद्र ने बिहार को सात लाख 61 हजार टन खाद्यान्न भेजा था। हालांकि सहायता मद में केंद्र सरकार से प्रति वर्ष 3.2 करोड़ मिलने की प्रत्याशा थी, जो नहीं मिलती थी। यह राशि बढ़ाने की केंद्र से मांग की गई थी।
  • बिहार के पहले वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह ने बजट भाषण में कहा था कि साल 1952 में बिहार में मकई और रबी की फसल अच्छी हुई थी। हालांकि चावल की कमी को पूरा करने के लिए नेपाल पर निर्भरता थी। उत्तर बिहार को नेपाल से आयातित चावल से पेट भरना होता था।
  • खाद्यान संकट संकट झेल रहे बिहार 1948 से 52 तक अधिक ‘अन्न उपजाओ आंदोलन’ चलाया गया था। इसके तहत केंद्र सरकार ने बिहार को तीन करोड़ रुपये का अनुदान दिया था। इस आंदोलन में राज्य सरकार ने अपनी तरफ से 7 करोड़ रुपये खर्च किए थे। अगले वित्तीय वर्ष के लिए भी इसके लिए पांच करोड़ की व्यवस्था की गई थी। दो साल तक सूखा होने के चलते गांवों में जलापूर्ति पर चार लाख रुपये खर्च का प्रावधान किया गया था। शहरों में नल का जल आपूर्ति के लिए यह राशि 64 लाख थी।
  • साल 1952 में देश में सबसे पहले बिहार ने भूमि सुधार कानून-1952 सदन में पारित किया गया, जिसे बाद में केंद्र सरकार ने भी अपनाया।

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वेब शीर्षक: बिहार बजट इतिहास: जब बिहार की आमदनी 28 करोड़ रुपये थी, लोगों का पेट भरने के लिए नेपाल से लाना पड़ा चावल
हिंदी समाचार नवभारत टाइम्स से, टीआईएल नेटवर्क

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