Home Bihar Bihar Budget 2022: बिहार में अब तक रहे 24 वित्त मंत्री, जानें किसने कैसे बदली राज्य की तकदीर

Bihar Budget 2022: बिहार में अब तक रहे 24 वित्त मंत्री, जानें किसने कैसे बदली राज्य की तकदीर

0
Bihar Budget 2022: बिहार में अब तक रहे 24 वित्त मंत्री, जानें किसने कैसे बदली राज्य की तकदीर

[ad_1]

पटना. इस बार डिप्टी सीएम और मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) बिहार बजट 2022 (Bihar Budget 2022) पेश कर रहे हैं. तारकिशोर प्रसाद बिहार के 24वें वित्त मंत्री हैं. आजादी के बाद बिहार का पहला बजट पेश करने का श्रेय अनुग्रह नारायण सिन्हा को जाता है, जो श्रीकृष्ण सिंह के शासनकाल में वित्त मंत्री थे. हालांकि अनुग्रह नारायण सिन्हा 1937 में ही जब बिहार प्रांत का गठन हुआ था, उस समय वित्त मंत्री बनाए गए थे, पर आजादी के बाद मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो 1946 में वित्त मंत्री बने और बजट पेश किया.

अनुग्रह नारायण सिन्हा 2 अप्रैल 1946 से 5 जुलाई 1957 तक वित्त मंत्री रहे. चूंकि अनुग्रह नारायण सिन्हा वित्त मंत्री के साथ श्रम मंत्री भी बनाए गए थे, इसलिए उन्होंने मजदूरों के श्रम को लेकर बड़े फैसले अपने बजट के पेश किए थे. अनुग्रह नारायण सिन्हा ने ‘बिहार केंद्रीय श्रम परामर्श समिति’ के माध्यम से श्रमिक समस्याओं के समाधान के लिए जो नियम और प्रावधान बनाए थे, वे आज पूरे देश के लिए मानक का काम करते हैं. उन्होंने खाद, बीज, मिट्‌टी, मवेशी में सुधार लाने के लिए शोध कार्य करवाए और पहली बार जापानी ढंग से धान उपजाने की पद्धति का प्रचार कराया. अनुग्रह नारायण सिन्हा ने ही पूसा का कृषि अनुसंधान केंद्र का फैसला किया था. उसके बाद बिहार के वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह बने.

श्रीकृष्ण सिंह ने बदल दी बिहार की तस्वीर

श्रीकृष्ण सिंह को बिहार का निर्माता भी कहा जाता है. इन्होंने मुख्यमंत्री के साथ वित्त मंत्री के रूप में बजट भी पेश किया. श्रीकृष्ण सिंह ने अपने कार्यकला मे इतने बड़े फैसले किए जो आज भी बिहार के विकास की कहानी कहते हैं. आजाद भारत की पहली रिफाइनरी – बरौनी ऑयल रिफाइनरी, पहला खाद कारखाना – सिन्दरी व बरौनी रासायनिक खाद कारखाना, एशिया का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग कारखाना – भारी उद्योग निगम हटिया, एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड – गढ़हरा, आजादी के बाद गंगोत्री से गंगासागर के बीच प्रथम रेल सह सड़क, देश का सबसे बड़ा स्टील प्लांट – सेल बोकारो, बरौनी डेयरी, राजेंद्र पुल, कोशी प्रोजेक्ट, बिहार, भागलपुर, रांची विश्वविद्यालय इत्यादि जैसे कई काम श्रीकृष्ण सिंह की देन हैं.

कांग्रेस शासनकाल में कई वित्त मंत्री

श्रीकृष्ण सिंह के बाद दीप नारायण सिंह ने वित्त मंत्री की कुर्सी संभाली 18 दिनों में ही वह पद से हट गए. 1 फरवरी 1961 से 18 फरवरी 1961 तक की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद वीरचंद पटेल ने 1963 से 1967 तक वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली. 5 मार्च 1967 को बिहार में वित्त मंत्री के रूप में एक अलग चेहरा सामने आया, जो कांग्रेस से अलग था. वह चेहरा कर्पूरी ठाकुर थे, वे वित्त मंत्री बने और बजट पेश किया, पर मुख्यमंत्री के रूप में कर्पूरी ठाकुर ने बिहार की दिशा बदल दी. इसके बाद सतीश प्रसाद सिंह वित्त मंत्री बने पर बजट पेश करने का मौका नहीं मिला. फिर कृष्ण कांत सिंह, दरोगा प्रसाद राय, जावीर हुसैन, कैलाशपति मिश्रा वित्त मंत्री बनाए गए. इसके बाद कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री के रूप में बिहार की सत्ता सभाली जगनाथ मिश्रा ने, जो वित्त मंत्री भी थे. जगनाथ मिश्रा दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए वित्त मंत्री भी रहे. पहली बार जून 1980 से अप्रैल 1983 तक और फिर दिसबर 1989 से मार्च 1990 तक. इन्होंने अपने समय में बजट में शिक्षा से लेकर कृषि क्षेत्र में बड़े योजनाओं की शुरुआत की.

1990 में लालू ने संभाली बजट की कमान

1990 में जगन्नाथ मिश्रा के बाद जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो वित्त मंत्री भी खुद रहे और बजट में कई नई घोषणाओं से लोगों को चौंकाया. लालू 1990 से 1997 तक जबतक मुख्यमंत्री रहे वित्त मंत्री के रूप में खुद ही बजट पेश किया. लालू ने अपने अपने 7 साल के कार्यकाल में 6 विश्वविद्यालय की स्थापना की. 2 मार्च 1991 से ताड़ी बेचने वालों के लिए लाइसेंस खत्म किया और टैक्स भी माफ किया. लालू ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 50 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये किया. लालू ने अपने बजट में चरवाहा विद्यालय जैसे अनूठे प्रयोग भी किए, जिसे कई लोगों ने सराहा तो कइयों ने इसकी आलोचना भी की. लालू ने अपने बजट में बिहार का विकास दर 4.6 के लगभग पेश किया. पर बाद के दिनों में चारा घोटाले के केस हुए और उन्हें जेल जाना पड़ा. लालू के बाद पत्नी राबड़ी देवी ने सत्ता संभाली और वित्त मंत्री की कुर्सी पर भी आसीन रहीं. जुलाई 1997 से मार्च 2000 तक वित्त मंत्री के रूप में राबड़ी देवी ने बजट पेश किया.

लालू और नीतीश राज के बजट की तुलना

राजद की सरकार ने अपना आखिरी बजट 2004-05 में पेश किया था, जिसका आकार 23885 करोड़ था. फिर नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली. अब उनकी अगुवाई में 2022-23 के लिए यह 18वां बजट पेश किया जा रहा है. नीतीश राज में वित्त मंत्री के रूप में सुशील मोदी लगातार बजट पेश करते रहे. पिछली बार 2020-21 का बजट 2 लाख 18 हजार करोड़ था, जो राजद की तुलना में 18 गुणा ज्यादा है. 2006 से अबतक लगातार बजट का आकार बढ़ता गया है. नीतीश सरकार में सुशील मोदी द्वारा पेश किए गए बजट में कई नई घोषणाएं हुईं, जिसने बिहार की तस्वीर बदल कर रख दी. बात हर गांव तक बिजली पहुंचाने की हो या बिहार में सड़कों का जाल बिछाने की, हर बजट में नए कीर्तिमान स्थापित किए. पिछले बजट में सात निश्चय की घोषणा की गई, जिसमें हर घर नल का जल, हर घर बिजली, पक्की नाली और गली, शौचालय का निर्माण जैसी योजनाएं शामिल थीं. 2021-22 में सात निश्चय पार्ट 2 की घोषणा की गई थी, जिसमें हर खेत तक पानी, महिला सशक्तीकरण, स्वस्छ और समृद्ध गांव के साथ सबके लिए स्वास्थ्य सुविधा जैसी घोषणाएं शामिल थीं. इस साल 2022-23 का बजट तारकिशोर प्रसाद 24वें वित्त मंत्री के रूप में पेश कर रहे हैं. इस बार का बजट का आकार भी पिछले बजट से बड़ा बनाया गया है.

आपके शहर से (पटना)

टैग: बिहार के समाचार, बजट, मुख्यमंत्री, विकास

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here