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BIHAR: निकाय चुनाव के पहले चरण में दो बूथ शौचालय में, अफसरों का जवाब- यह शौचालय का ‘प्रशासनिक’ भवन

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BIHAR: निकाय चुनाव के पहले चरण में दो बूथ शौचालय में, अफसरों का जवाब- यह शौचालय का ‘प्रशासनिक’ भवन

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संडास के सामने मतदान कार्य संपन्न कराते मतदानकर्मी।

संडास के सामने मतदान कार्य संपन्न कराते मतदानकर्मी।
– फोटो : अमर उजाला

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लोग वैसे ही वोट देने के लिए निकलने में सोचते हैं और किसी को पता चले कि आपका मतदान केंद्र एक सार्वजनिक शौचालय है तो! यह हकीकत दिखी पटना जिले के बाढ़ नगर परिषद् के मतदान के दिन। रविवार को बिहार में निकाय चुनाव के पहले चरण में यहां भी मतदान होना था। यहां दो बूथ सार्वजनिक शौचालय में थे। एक में संडास सामने दिख रहा था, दूसरे में टेंट से छिपा था। दुर्गंध दोनों जगह तेज थी और वोटरों से ज्यादा मतदानकर्मी परेशान थे। हद तो तब हो गई, जब अफसरों ने इसे शौचालय नहीं, बल्कि शौचालय का प्रशासनिक भवन करार दिया।

विरोध: बोलना गया बेकार, शौचालय में ही करना पड़ा मतदान
बाढ़ में दयाचक वार्ड संख्या 27-01 में सार्वजनिक शौचालय को बूथ बना दिया गया था। संडास से उठती तेज दुर्गंध के बीच टॉयलेट के गेट पर मतदानकर्मियों ने वोटिंग कराई। विरोध करने वालों को भी हारकर इसी बूथ पर वोट डालने आना पड़ा। यहीं, उमानाथ मंदिर के पास वार्ड 15 में एक सार्वजनिक शौचालय परिसर में मतदान केंद्र बना दिया गया था। टॉयलेट को टेंट से छिपाने की कोशिश की गई थी, लेकिन मतदान कराने वाले कर्मी लगातार तेज दुर्गंध से परेशान थे।

हैरानी: अफसर बोले- शौचालय में कमरा होता है, उसी में वोटिंग हुई
इस बारे में मीडिया के सवाल पर जवाब उससे भी चौंकाने वाला आया। बतौर सहायक निर्वाची पदाधिकारी क्षेत्र के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि वार्ड 15 व 27 में कोई भी सरकारी बिल्डिंग नहीं थी, इसलिए वोटिंग के लिए शौचालय परिसर का इस्तेमाल किया गया। शौचालय में वोट नहीं पड़े, उसके कमरे में मतदान हुआ। अनुमंडल पदाधिकारी दो कदम आगे निकले। उन्होंने कहा कि शौचालय के प्रशासनिक भवन में मतदान कराया गया, क्योंकि और कोई जगह नहीं मिली।

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लोग वैसे ही वोट देने के लिए निकलने में सोचते हैं और किसी को पता चले कि आपका मतदान केंद्र एक सार्वजनिक शौचालय है तो! यह हकीकत दिखी पटना जिले के बाढ़ नगर परिषद् के मतदान के दिन। रविवार को बिहार में निकाय चुनाव के पहले चरण में यहां भी मतदान होना था। यहां दो बूथ सार्वजनिक शौचालय में थे। एक में संडास सामने दिख रहा था, दूसरे में टेंट से छिपा था। दुर्गंध दोनों जगह तेज थी और वोटरों से ज्यादा मतदानकर्मी परेशान थे। हद तो तब हो गई, जब अफसरों ने इसे शौचालय नहीं, बल्कि शौचालय का प्रशासनिक भवन करार दिया।

विरोध: बोलना गया बेकार, शौचालय में ही करना पड़ा मतदान

बाढ़ में दयाचक वार्ड संख्या 27-01 में सार्वजनिक शौचालय को बूथ बना दिया गया था। संडास से उठती तेज दुर्गंध के बीच टॉयलेट के गेट पर मतदानकर्मियों ने वोटिंग कराई। विरोध करने वालों को भी हारकर इसी बूथ पर वोट डालने आना पड़ा। यहीं, उमानाथ मंदिर के पास वार्ड 15 में एक सार्वजनिक शौचालय परिसर में मतदान केंद्र बना दिया गया था। टॉयलेट को टेंट से छिपाने की कोशिश की गई थी, लेकिन मतदान कराने वाले कर्मी लगातार तेज दुर्गंध से परेशान थे।



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