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Bihar: जातीय जनगणना की शुरुआत में गिन रहे मकान, आज से 15 दिन मकान पर देंगे नंबर, यही होगा आपका पता

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Bihar: जातीय जनगणना की शुरुआत में गिन रहे मकान, आज से 15 दिन मकान पर देंगे नंबर, यही होगा आपका पता

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पटना में डीएम ने मकान गणना के लिए निकले कर्मियों से जानकारी ली।

पटना में डीएम ने मकान गणना के लिए निकले कर्मियों से जानकारी ली।
– फोटो : अमर उजाला

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1931 में ब्रिटिश हुकूमत ने जातिगत जनगणना कराई थी, उसके बाद से यह देश में एक बार कर्नाटक में हुई भी तो 2014 से अबतक रिपोर्ट नहीं जारी की जा सकी है। अब बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे मुहिम के रूप में शुरू करा दिया है। शनिवार 7 जनवरी से जातिगत जनगणना के तहत मकानों की गणना शुरू हुई है। पटना में डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने मकान की गणना में लगाए गए कर्मियों के साथ इसकी शुरुआत की। राज्य सरकार के अनुसार जातिगत जनगणना से आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचितों एवं पिछड़ों की पहचान होगी और उनके हिसाब से योजनाएं बनाई जा सकेंगी। सरकार का दावा है कि जून में पूरी रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी।

मकानों को यूनिक नंबर अलॉट होगा, याद रखें
दूसरे चरण में 1 से 30 अप्रैल तक जातिवार गणना से पहले, पहले चरण में 7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की गणना शुरू की गई है। इन 15 दिनों के दरम्यान गणनाकर्मी एक लगातार हर मकान में जा रहे हैं। हर मकान को खास नंबर अलॉट कर रहे हैं। यह यूनिक नंबर लाल रंग से मकान पर मार्क भी होगा और रिकॉर्ड के लोगों को इसे अपने पास भी लिखकर रख लेना चाहिए, क्योंकि यह एक तरह से पता हो जाएगा। अबतक नगर निगम मकान नंबर जारी करता रहा है, लेकिन उसे पता के रूप में खोजना असंभव रहता है। दावा है कि इस बार दिया जा रहा नंबर हर आदमी के पते के रूप में रिकॉर्ड बनकर दर्ज हो जाएगा। मकान की गणना करते समय गणनाकर्मी घर के मुखिया का नाम भी लिख रहे हैं, ताकि यह रिकॉर्ड रहे कि मकान नंबर फलां किस व्यक्ति का है। गणनाकर्मी यह भी दर्ज कर रहे हैं कि उस परिवार में कुल कितने सदस्य हैं। साथ ही बेघर लोगों का भी रिकॉर्ड उनके अस्थायी आशियाने-ठिकाने पर लिया जाएगा। प्रत्येक कर्मी 150 मकानों की गिनती करेंगे। इसके लिए उन्हें हर रोज मैनुअल डेटा अपलोड करना होगा। अगर कोई घर बंद मिलेगा तो मोबाइल नंबर लेकर उनसे उनकी पूरी जानकारी लेना भी गणनाकर्मी की जिम्मेदारी होगी। ग

जाति अप्रैल में पूछेंगे, साथ ही जानेंगे काम और आय
मकान, मकान के मुखिया और परिवार के सदस्यों की कुल संख्या का रिकॉर्ड कागजों पर दर्ज किया जा रहा है। 21 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी होगी। इसके साथ ही इस डाटा को अपलोड किए जाने पर ऑनलाइन फॉर्म तैयार होता जाएगा। उसी फॉर्म में अगले चरण के दौरान बाकी जानकारी फीड की जाएगी। पूरे अप्रैल महीने गणनाकर्मी इसी ऑनलाइन फॉर्म में बाकी सूचनाएं भरेंगे। उस दौरान मकान नंबर के हिसाब से परिवार के मुखिया के पास पहुंच उनकी जाति के साथ परिवार के सदस्यों की जानकारी ली जाएगी। उनके पास कौन-कितनी गाड़ियां हैं, कितने मोबाइल हैं, आय का स्रोत क्या है, नौकरी करते हैं या स्वरोजगार या बेरोजगार हैं, क्या-क्या हुनर जानते हैं…जैसी जानकारी भी ली जाएगी।

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1931 में ब्रिटिश हुकूमत ने जातिगत जनगणना कराई थी, उसके बाद से यह देश में एक बार कर्नाटक में हुई भी तो 2014 से अबतक रिपोर्ट नहीं जारी की जा सकी है। अब बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे मुहिम के रूप में शुरू करा दिया है। शनिवार 7 जनवरी से जातिगत जनगणना के तहत मकानों की गणना शुरू हुई है। पटना में डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने मकान की गणना में लगाए गए कर्मियों के साथ इसकी शुरुआत की। राज्य सरकार के अनुसार जातिगत जनगणना से आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचितों एवं पिछड़ों की पहचान होगी और उनके हिसाब से योजनाएं बनाई जा सकेंगी। सरकार का दावा है कि जून में पूरी रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी।

मकानों को यूनिक नंबर अलॉट होगा, याद रखें

दूसरे चरण में 1 से 30 अप्रैल तक जातिवार गणना से पहले, पहले चरण में 7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की गणना शुरू की गई है। इन 15 दिनों के दरम्यान गणनाकर्मी एक लगातार हर मकान में जा रहे हैं। हर मकान को खास नंबर अलॉट कर रहे हैं। यह यूनिक नंबर लाल रंग से मकान पर मार्क भी होगा और रिकॉर्ड के लोगों को इसे अपने पास भी लिखकर रख लेना चाहिए, क्योंकि यह एक तरह से पता हो जाएगा। अबतक नगर निगम मकान नंबर जारी करता रहा है, लेकिन उसे पता के रूप में खोजना असंभव रहता है। दावा है कि इस बार दिया जा रहा नंबर हर आदमी के पते के रूप में रिकॉर्ड बनकर दर्ज हो जाएगा। मकान की गणना करते समय गणनाकर्मी घर के मुखिया का नाम भी लिख रहे हैं, ताकि यह रिकॉर्ड रहे कि मकान नंबर फलां किस व्यक्ति का है। गणनाकर्मी यह भी दर्ज कर रहे हैं कि उस परिवार में कुल कितने सदस्य हैं। साथ ही बेघर लोगों का भी रिकॉर्ड उनके अस्थायी आशियाने-ठिकाने पर लिया जाएगा। प्रत्येक कर्मी 150 मकानों की गिनती करेंगे। इसके लिए उन्हें हर रोज मैनुअल डेटा अपलोड करना होगा। अगर कोई घर बंद मिलेगा तो मोबाइल नंबर लेकर उनसे उनकी पूरी जानकारी लेना भी गणनाकर्मी की जिम्मेदारी होगी। ग

जाति अप्रैल में पूछेंगे, साथ ही जानेंगे काम और आय

मकान, मकान के मुखिया और परिवार के सदस्यों की कुल संख्या का रिकॉर्ड कागजों पर दर्ज किया जा रहा है। 21 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी होगी। इसके साथ ही इस डाटा को अपलोड किए जाने पर ऑनलाइन फॉर्म तैयार होता जाएगा। उसी फॉर्म में अगले चरण के दौरान बाकी जानकारी फीड की जाएगी। पूरे अप्रैल महीने गणनाकर्मी इसी ऑनलाइन फॉर्म में बाकी सूचनाएं भरेंगे। उस दौरान मकान नंबर के हिसाब से परिवार के मुखिया के पास पहुंच उनकी जाति के साथ परिवार के सदस्यों की जानकारी ली जाएगी। उनके पास कौन-कितनी गाड़ियां हैं, कितने मोबाइल हैं, आय का स्रोत क्या है, नौकरी करते हैं या स्वरोजगार या बेरोजगार हैं, क्या-क्या हुनर जानते हैं…जैसी जानकारी भी ली जाएगी।



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