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Bihar : उपेंद्र कुशवाहा जाएंगे उसी BJP के द्वार, जिसे छोड़ आए थे चुनाव के पहले मझधार

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Bihar : उपेंद्र कुशवाहा जाएंगे उसी BJP के द्वार, जिसे छोड़ आए थे चुनाव के पहले मझधार

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उपेंद्र कुशवाहा पहले समता पार्टी से जुड़ाव दिखाते थे, जब जनता दल यू से दिखाएंगे।

उपेंद्र कुशवाहा पहले समता पार्टी से जुड़ाव दिखाते थे, जब जनता दल यू से दिखाएंगे।
– फोटो : अमर उजाला

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बड़े भाई जब दोपहर में एक पार्टी के साथ मुख्यमंत्री का पद छोड़ते हैं और शाम में दूसरी पार्टी के साथ वही कुर्सी फिर हासिल कर लेते हैं तो छोटा भाई क्या सीखेगा! उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान का सीधा अर्थ है कि उन्होंने राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) बना ली है और अब वह नया आसरा तलाशेंगे। तलाशेंगे क्या, तलाश चुके हैं। इस पार से निकल गए तो उस पार, यानी भारतीय जनता पार्टी (BJP)। कुशवाहा अब भाजपा का सहारा लेने के लिए एक तरह से मजबूर भी हैं, क्योंकि बिहार में अब दो ही धड़ा है। वामपंथी बाहर होकर भी सरकार में हैं। जो सरकार में हैं, उनके अलावा सभी विपक्ष में हैं। ओवैसी की पार्टी के इकलौते विधायक अपवाद हैं।

दूरदर्शिता पर भारी महत्वाकांक्षा

बिहार के एक राजनेता को राजनीति का सबसे बड़ा मौसम वैज्ञानिक माना जाता था। उसके ठीक उलट उपेंद्र कुशवाहा की छवि है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की सोमवार को कही यह बात सही भी है कि जहां रहें, स्थिर रहें। चाणक्य स्कूल ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं- “उपेंद्र कुशवाहा अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने के एक्सपर्ट कहे जा सकते हैं। 2018 में जब उन्होंने केंद्रीय राज्यमंत्री का पद छोड़ा, वह इतनी बड़ी कुर्सी छोड़ने का समय नहीं था। अब भी अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें भारी विरोध के बीच साथ ले गए तो उनके साथ निजी तौर पर खड़ा होना चाहिए था।” दरअसल, 2018 में कुशवाहा इस बात से परेशान थे कि उनके मंत्रालय की कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी के सामने इनकी कुछ नहीं चलती थी। वह चाहते थे तो चुपचाप कुर्सी पर रहकर काम कर सकते थे, लेकिन महत्वाकांक्षा के चक्कर में निकल गए। यह भी नहीं पूर्वानुमान लगाया कि केंद्र में अगले साल, यानी 2019 में फिर नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे। कुछ ऐसा ही इस बार जनता दल यूनाईटेड में भी हुआ। पहले उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जितनी ताकत चाहिए थी। वह ताकत नहीं मिली तो उप मुख्यमंत्री का सपना देखा। खुद नीतीश ने जब उनका सपना तोड़ दिया तो भी नीतीश-निश्चय नहीं समझ सके। नीतीश से ही भिड़ते गए और खुद अपने लिए जदयू के अंदर स्थिति असहज कर ली, यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष तक उलटा बोलने लगे और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तो उन्हें उस पद पर भी नहीं माना- जो नीतीश ने दिया था। नतीजा सोमवार को आ ही गया, जब अब एक बार फिर नई पार्टी के साथ कुशवाहा मैदान में उतर गए हैं।

पार्टी नई, मगर नाम से नहीं बिछोह

उपेंद्र कुशवाहा की नई पार्टी का नाम है राष्ट्रीय लोक जनता दल। अंग्रेजी के शॉर्ट फॉर्म में RLJD कहा जाएगा इसे। इससे पहले उनका बनाया दल था राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, जिसे शॉर्ट फॉर्म में RLSP कहा जाता था। राष्ट्रीय लोक…यह कायम रह गया और समता पार्टी की जगह जनता दल ने ले ली है। मतलब, पहले ‘समता पार्टी’ से टूटकर निकला समूह दिखाने की कोशिश थी और अब जनता दल यूनाईटेड से निकलने वाले ‘जनता दल’ को लेकर चलने का प्रयास दिख रहा है।

https://www.youtube.com/watch?v=gznGLhe4lVY

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