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Bhojpuri: जब पूरे भारत के राजधानी रहे पटना, अफगानिस्तान तक चलत रहे शासन

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Bhojpuri: जब पूरे भारत के राजधानी रहे पटना, अफगानिस्तान तक चलत रहे शासन

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मिथिला नरेश जनक, माता सीता, प्रभु श्रीराम अउर गुरु विश्वामित्र के जिक्र भइल. तब आचार्य जी श्रोता लोगन से पूछले, रअभा सभे तs टीबी पs चाणक्य सीरियल जरूर देखले होखब, एकरा में सबसे खास बात का रहे ? केहू कुछ ना बोलल. तब आचार्य जी कहले, जब चंद्रगुप्त मगध के राजा बनल रहन तब पटना (पाटलिपुत्र) पूरे भारत वर्ष के राजधानी रहे. ओह घरी पटना से ही काबुल, कंधार, हेरात, बलूचिस्तान, पंजाब, गुजरात, बंगाल अउर कश्मीर के शासन संचालित होत रहे. चंद्रगुप्त मौर्य के शौर्य मध्य एशिया से यूनान तक फैल गइल रहे. यूनानी शासक सेल्युकस आपन लइकी हेलेन के बियाह चंद्रगुप्त मौर्य से कइले रहन. आचार्य धरनीधर जी कहले, आज हम बिहार के इहे स्वर्णिम इतिहास के खिस्सा कहब.

तक्षशिला के चाणक्य बनले मगध के भाग्य बिधाता

आचार्य धरनीधर कहले, तकदीर के खेल निराला होला. सुदूर तक्षशिला के रहे वला चाणक्य मगध के भाग्यविधाता बन गइले. चाणक्य कइसे पटना अइले, एकरा बारे में अगल-अलग मान्यता बा. एक प्रसंग इहो बा. मान जाला कि ईसा पूर्व 375 में चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्लाय में आचार्य रहन. राजनीति के प्रकांड पंडित रहने जे मगध समराज के पूरे भारत से अफगानिस्तान तक फैला देले रहन. तक्षशिला अब पाकिस्तान के रावलपिंडी जिला में बा. लेकिन प्राचीन समय में तक्षशिला गांधार (अब कंधार) के राजधानी रहे. लेकिन नियति चाणक्य के खींच के पटना (पाटलिपुत्र) ले आइल रहे. ओह घरी मगध के राजा धनानंद रहन. तब भारत के पश्चिमोत्तर सीमा पs यूनानी शासक सिकंदर के हमला बढ़ गइल रहे. भारत के छोट छोट राज सिकंदर के सामने टिक ना पावत रहन. पोरव (पंजाब) विजय के बाद सिकंदर आपन सेनापति सेल्यूकस के उहां के प्रशासक बना देले रहन. तब चाणक्य अखंड अउर एकीकृत भारत के सपना ले के पाटलिपुत्र पहुंचले. ऊ धनानंद से सेल्यूकस के खिलाफ मदद मंगले. लेकिन धनानंद भरल दरबार में चाणक्य के अपमान कर देले. तब चाणक्य नंदवंश के नाश करे के किरिया खा के पाटलिपुत्र से निकल गइले.

चंद्रगुप्त से चाणक्य के मोलकात

श्रोतागन में से रमनीकांत पूछले, चाणक्य के चंद्रगुप्त से भेंट कइसे भइल ? आचार्य जी कहले, चंद्रगुप्त-चाणक्य के मोलकात के संबंध में अलग-अलग राय बा. ओकरा में से एक कहानी इहो बा. धनानंद के शासन उखाड़ल आसान बात ना रहे. तब चाणक्य, धनानंद के मंतरी शकटार के मदद ले ले. धनानंद के अधिक समय भोग-बिलास में बितत रहे. परजा के भलाई से कवनो मतलब ना रहे. शकटार के माता-पिता के भी धनानंद बहुत अपमानित कइले रहन. ऐह से शकटार भी बदला लेवे के ताक में रहन. तब ऊ चाणक्य के मदद करे के सोचले. चाणक्य एगो कुशल यौद्धा के तलाश शुरू कइले. चंद्रगुप्त जब माई के पेट में रहन तह उनकर पिता एक लड़ाई में मारल गइल रहन. जब चंद्रगुप्त के जनम भइल तब उनकर माई मुरा पाटलिपुत्र से भाग के बिंध्याचल के जंगल में चल अइली. ऊ अपना बेटा के बचावे खातिर अइसन कइली. शकटार के मदद से चाणक्य चंद्रगुप्त के माई से मिले खातिर जंगल में पहुंचले. बारह तेरह साल के चंद्रगुप्त ओह घरी लइकन साथे राजा-परजा के खेल खेलत रहन. चाणक्य चंद्रगुप्त के वीरता, साहस अउर बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित भइले. चंद्रगुप्त में उनका भविष्य के राजा के झलक मिल गइल. तब चाणक्य चंद्रगुप्त के अपना साथे तक्षशिला ले अइले. चंद्रगुप्त के युद्ध कला अउर राजनीति में निपुन बनवले. सात साल तक कठिन अभ्यास चलल. सेना के गठन भइल. आखिरकार चंद्रगुप्त से सहयोग से चाणक्य धनानंद के शासन के अंत कइले. मानल जाला कि ईसापूर्व 321 में चंद्रगुप्त मगध के राजगद्दी पs बइठले. चाणक्य उनकर गुरु के रूप में संरक्षक बनले.

पटना से चलत रहे अफगानिस्तान के शासन

रमनीकांत दोसर सवाल पूछले, तब का भइल? तब आचार्य जी कहले, जब चंद्रगुप्त मगध के सम्राट बनले तब चाणक्य अखंड भारत के आपन पुरान सपना पूरा कइले. चाणक्य के नीति अउर चंद्रगुप्त के युद्ध कौशल से मगध सम्राज्य के बिस्तार भइल. छोट-छोट राज्य के जीत के मगध में मिला लिहल गइल. चंद्रगुप्त के शासन पश्चिमोत्तर में सिंधु नदी के किनारे तक पहुंच गइल. सिंकदर के मौत के बाद उनकर सेनापति सेल्यूकस परशिया (ईरान) अउर बैक्ट्रिया (अफगानिस्तान, उजेबेकिस्तान, ताजिक्स्तान) पs कब्जा जमा ले ले रहन. मानल जाला कि ईसा पूर्व 305 में सेल्यूकस सिंधु नदी पार कर के भारत (मगध) पर आक्रमण कर देले. तब तक मगध के रूप में भारत एक शक्तिशाली राज्य बन गइल रहे. चंद्रगुप्त, सेल्यूकस के लड़ाई में हरा देले. सेल्यूकस समझौता खातिर मजबूर हो गइले. गांधार, हेरात, काबुल अउर बलूचिस्तान पs मगध के अधिकार हो गइल. सेल्यूकस आपन लइकी हेलेना के बियाह चंद्रगुप्त से कर देले. लेकिन चाणक्य के सलाह पs एगो शर्त लगा दिहल गइल कि चंद्रगुप्त- हेलेना के संतान कबो मगघ के राजगद्दी पs ना बइठ सकी. . चाणक्य नीति के तहत विदेशी पत्नी के संतान के राष्ट्रभक्ति संदिग्ध मानल गइल रहे.

पटना (पाटलिपुत्र) भारत के राजधानी

आचार्य जी पटना के गौरव बखान करे लगनी. मानल जाला कि चंद्रगुप्त करीब 24 साल तक शासन कइले. युद्धनीति, कूटनीति और राजनीतिक कौशल से ऊ पूरा भारत में आपन राज्य के बिस्तार कइले. पश्चिमोत्तर में बलूचिस्तान- अफगानिस्तान, दक्षिण में मैसूर, पश्चिम में सौराष्ट्र अउर पूरब में बंगाल तक मगध के शासन रहे. मेगास्थनीज, सेल्यूकस के राजदूत बन के चंद्रगुप्त के दरबार में रहल रहन. ऊ मगध के राजकाज पs मशहूर किताब लिखले बाड़े ‘इंडिका’. एकरा में लिखल गइल बा कि ओह घरी पटना (पाटलिपुत्र) भारत के सबसे बड़हन शहर रहे. तब पटना के लंबाई साढ़े नौ मील अउर चौड़ाई पौने दू मील रहे. राजा के महल के सामने इरान के राजमहल भी फीका रहे. पटना शहर में लोग सुख शांति से रहत रहन. राज में कबो अकाल ना पड़त रहे. आम लोग के जीवन खुशहाल रहे. अपराध ना के बराबर रहे. अक्सरहां लोग घर में ताला ना लगवात रहन. यूनानी राजदूत मेगास्थनीज के इ बरनन से समझल जा सकेला कि प्राचीन पटना के केतना आन-बान-शान रहे. प्राचीन पटना अउर बिहार के गौरवपूर्ण कहानी सुन के सभ कोई मंत्रमुग्ध हो गइल.

(अशोक कुमार शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं, आलेख में लिखे विचार उनके निजी हैं.)

आपके शहर से (पटना)

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