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Bhojpur News : कोरोना के बाद पहली बार आम की बागवानी करने वाले किसानों में खुशी, मंजर देख जताई यह उम्मीद

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Bhojpur News : कोरोना के बाद पहली बार आम की बागवानी करने वाले किसानों में खुशी, मंजर देख जताई यह उम्मीद

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रिपोर्ट-गौरव कुमार

भोजपुर. बिहार के आरा जिले में करीब 3588 हेक्टेयर में आम के बाग हैं.पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते आम के अच्छे दाम किसानों को नहीं मिल पाए थे. इस समय आम की फसल पर मंजर(मोजर)आ रहा है. मंजर को देखकर किसान भी खुश हैं, लेकिन शुरूआत में मोजर पर रोग लगने व कीटों के आने का खतरा रहता है. उद्यान अधिकारी भी किसानों को आम के बौर को कीटों से बचाव की सलाह दे रहे हैं.

जिले में करीब 3588 हेक्टेयर में आम के बाग

भोजपुर जिले के आरा प्रखंड के महुली,भेल डुमरा,सैदपुर,गुंडी गांव में अधिकांश भाग पर आम के बाग हैं.जिसका रकबा करीब 3588 हेक्टेयर है. यहां से आसपास के जिला, के अलावा पड़ोसी राज्यों में भी आम भेजा जाता है. इससे बागवानों को अच्छा मुनाफा होता है.

पिछले दो साल कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगा हुआ था. जिस कारण जिला से आम बाहर नहीं भेजा जा सका था और किसानों ने काफी नुकसान झेला था. वर्तमान समय में पेड़ों पर मंजर आ गया है और अब मंजर आम का रूप भी लेने लगा है, जिससे देखकर किसान खुश हैं. उन्हें इस बार राहत मिलने की उम्मीद है.

मौसम ने दिया साथ तो अच्छी होगी पैदावार

बाग मालिक हरेंद्र सिंह,उमेश सिंह,पशुराम सिंह ने बताया कि इस बार मौसम अनुकूल है और मंजर भी अच्छा आ रहा है. बागों में किसान स्प्रे करा रहे हैं. मौसम ने साथ दिया तो इस बार अच्छी पैदावार होगी.इस दौरान आम की बागवानी करने वाले किसान हरेंद्र सिंह ने बताया कि एक आम के पेड़ पर दवा, पटवन और इत्यादि चीजों को मिला दे तो सीजन में 2 से 3 हजार रुपया का खर्च आता है जबकि उस पेड़ का आम 5 से 6 हजार में बिक्री होती है.

न्यूज 18 लोकल से बातचीत के दौरान किसानों ने बताया कि इस सीजन में खेती और फसल के अलावा हम लोग आम के बागवानी पर भी निर्भर होते है. पिछले कई सालों के तुलना में इस बार आम का मंजर बहुत ज्यादा आया है उम्मीद है कि आम का पैदावार भी अच्छा होगा.

रोग और कीटों से ऐसे करें बचाव

जिला कृषि वैज्ञानिक पीके दिर्वेदी ने ऑफ कैमरा बताया कि इस समय आम के पेड़ पर मंजर आ गया है. समय मंजर पर रोग व कीट तेजी से हमला करते हैं. अच्छे उत्पादन के लिए पेड़ों पर उर्वरक का प्रयोग करना जरूरी है. किसान दो किलो यूरिया, एक किलो डीएपी, डेढ़ किलो पोटाश, 250 ग्राम कॉपर सल्फेट, 250 बोरेक्श का मिश्रण बनाकर पेड़ों की जड़ों में डालकर सिंचाई करें.किसान विभागीय अधिकारियों से भी बागों में लगने वाले कीट व रोग से बचाव की जानकारी हासिल कर सकते हैं.

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