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Bhagalpur News: अब पानी पर भी उगेगा पशु चारा, इस विश्वविद्यालय ने किया सफल प्रयोग

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Bhagalpur News: अब पानी पर भी उगेगा पशु चारा, इस विश्वविद्यालय ने किया सफल प्रयोग

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रिपोर्ट-शिवम सिंह

भागलपुर.बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में देश की दूसरी सफल प्रयोग की गई. इस सफल प्रयोग में पशुपालकों के लिए बड़ी खुशखबरी है. जिसमें पशुपालकों को जो शहरी क्षेत्र में रहते हैं, उन्हें अब उन्हें हरे चारे के लिए चिंता नहीं करनी पड़ेगी. आपको बता दें कि इस सफल प्रयोग का नाम हाइड्रोपोनिक्स विधि है. इससे पानी पर भी हरा चारा उपजेगा. इस सफल प्रयोग से नई क्रांति आएगी.

डेयरी उद्योग को एक नई दिशा देने की तैयारी

हाइड्रोपोनिक विधि विश्वविद्यालय के द्वारा हरा चारा उत्पादन कर बिहार में डेयरी उद्योग को एक नई दिशा देने की तैयारी की गई है. आपको बता दें कि हाइड्रोपोनिक्स विधि के द्वारा डेढ़ गुना तक दूध उत्पादक बढ़ सकता है. वहीं इस विधि से तैयार चारा सालों भर उपलब्ध होता है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ ग्रस्त इलाकों के लिए विया लाभदाई है. एक सर्वे के अनुसार प्राप्त रिजल्ट में गोवा एवं बिहार के किसानों को अधिक मुनाफा वाला है. गोवा में खेतिहर भूमि का अभाव है.बिहार में अधिकतर पशुपालकों के पास बड़ा भूखंड नहीं है. साल भर तक चारा पैदा कर सकतें हैं. वहीं शहरी क्षेत्र में जो डेरी फार्म एवं पशुपालक हैं, उनके लिए भी विधि लाभदाई है.

महज 60 वर्ग फीट में 8 पशुओं के लिए हरा चारा होगा तैयार

बता दें कि अधिकतर किसान हरा चारा के लिए फसल चक्र पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन इस संकट से किसानों को राहत दिलाने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने पहल शुरू की है.
बता दें कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के साइंटिस्ट व हाइड्रोपोनिक्स प्रोजेक्ट के इंचार्ज डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि महज 60 वर्ग फीट में 8 पशुओं के लिए हरा चारा हर दिन तैयार किया जा सकता है.

चारा में 18 पर्सेंट प्रोटीन होता

एक मजदूर प्रतिदिन हाइड्रोपोनिक्स विधि में कार्य करता है. यहां उत्पादित चारा जनित बीमारियों से पशुओं को दूर रखता है. वही कीटनाशक पर होने वाले खर्च भी को भी बचाता है. पारंपरिक चारे में प्रोटीन 8 से 9 पर्सेंट होता है. वही हाइड्रोपोनिक्स विधि द्वारा तैयार चारा में 18 पर्सेंट प्रोटीन होता है. जिससे कि दूध उत्पादन में 40 से 50% तक बढ़ जाती है.

युवाओं को हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का मिलेगा प्रशिक्षण

बता दें कि पारंपरिक बीच में 1 किलो ग्राम बीच में 50 से 60 लीटर पानी लगता है. जबकि इसमें 2 से 3 लीटर प्रति लीटर पानी लगेगा. वह इसको लेकर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डीआर सिंह ने बताया कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने हाइड्रोपोनिक तकनीक द्वारा हरा चारा उत्पादन करने की अच्छी शुरुआत की है. विश्वविद्यालय जल्द ही युवाओं को हाइड्रोपोनिक्स तरीके की तकनीक का प्रशिक्षण देगा ताकि युवा किसान इसका लाभ उठा सकें.

टैग: भागलपुर खबर, बिहार के समाचार

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