Home Bihar Anand Mohan : रिहाई पर पुराने मित्र खफा, मगर भाजपा के भी इन नेताओं को एतराज नहीं, जानिए क्या है राजनीति

Anand Mohan : रिहाई पर पुराने मित्र खफा, मगर भाजपा के भी इन नेताओं को एतराज नहीं, जानिए क्या है राजनीति

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Anand Mohan : रिहाई पर पुराने मित्र खफा, मगर भाजपा के भी इन नेताओं को एतराज नहीं, जानिए क्या है राजनीति

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आनंद मोहन : बिहार बीजेपी में अलग राय, सुशील मोदी, गिरिराज सिंह, विजय सिन्हा के दिए बयान

गिरिराज सिंह, सुशील मोदी और आनंद मोहन।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में कई लोग सामने आ गए हैं। नेता से लेकर अधिकारी तक रिहाई को लेकर नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोल रही है। पहले गोपालगंज की तत्कालीन डीएम जी कृष्णैय्या की पत्नी और बेटी ने दुख जताया। उन्होंने बिहार सरकार के रिहाई के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात भी कहीं। वहीं पूर्व IPS अमिताभ दास ने भी आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया। इधर, आनंद मोहन की रिहाई पर भाजपा के अंदर भी वरीय नेता ही एक मत नहीं है। एक ओर पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं दूसरे ओर केंद्रीय मंत्री गिरिरात सिंह का कहना है कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। आइए जानते हैं भाजपा के किस नेता ने क्या कहा…

जिसकी सजा को सुप्रीम कोर्ट तक ने बहाल रखा, उसे रिहा किया गया

पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जघन्य अपराध से भी समझौता किया है। नीतीश सरकार दलित विरोधी हो गई। सुशील मोदी ने आगे कहा कि एक पूर्व सांसद के बहाने एम-वाई समीकरण के 13 दुर्दांत अपराधी रिहा किए गए। इस मामले पर राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव दलित समाज को जवाब दें। सुशील मोदी ने सवाल किया कि दलित समाज से आने वाले दिवंगत IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जिसकी सजा को सुप्रीम कोर्ट तक ने बहाल रखा, उसे रिहा करने के लिए कानून से छेड़छाड़ करना क्या कानून का राज है? इस फैसले से सरकार का दलित-विरोधी चेहरा सामने आ गया है। उन्होंने सवाल किया कि कहा कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव क्या कृष्णैया हत्याकांड के दोषसिद्ध अपराधी की इस तरह हुई रिहाई को सही ठहरायेंगे?

बिहार सरकार कानून को कमजोर कर रही है

इतना ही नहीं सुशील मोदी ने आगे कहा कि उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने भ्रष्टचार और अपराध के गंभीर मामलों में दंडित लालू प्रसाद जैसे नेताओं को राहत देने वाला विधेयक फाड़ डाला था, लेकिन जब एक दलित अधिकारी की हत्या के मामले में बिहार सरकार कानून को कमजोर कर रही है, तब वे क्यों चुप्पी साध गए? सुशील मोदी ने कहा कि यदि मारा जाने वाला अधिकारी दलित नहीं होता, तो क्या अपराधियों को ऐसे छोड़ा गया होता ? इस मामले में यदि IAS एसोसिएशन की बिहार इकाई सरकार के डर से चुप रहती है, तो प्रशासनिक सेवा का इतिहास उसे माफ नहीं करेगा। नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपना जनाधार और सुशासन की यूएसपी, दोनों खो चुके हैं।

आनंद मोहन के नाम पर 2 दर्जन से ज्यादा कुख्यात को छोड़ा गया

विजय सिन्हा ने कहा कि जो काम माननीय न्यायालय का है और बिहार सरकार कहीं न कहीं अपनी विकृत मानसिकता से ग्रसित होकर 2 दर्जन से ज्यादा कुख्यात अपराधियों को आनंद मोहन के नाम पर छोड़ने का जो खेल खेल रही है, यह गलत है। भाजपा का स्पष्ट कहना है कि अपराधी और भ्रष्टाचारी के साथ कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। आनंद मोहन जेल न रिहा हो इसके बाद आपने 2016 में कानून में संशोधन किया। इसके बाद 2023 में बाहर निकालने के लिए संशोधन किया। यह दोहरा चरित्र और व्यवहार कहीं न कहीं अपराधी और भ्रष्टाचारी का मनोबल बढ़ाएगा। इससे अराजकता का वातावरण बनेगा। बिहार के लोग शर्मसार महसूस कर रहे हैं कि यह बड़े भाई और छोटे भाई ने मिलकर हमेशा अपराधियों के पक्ष में खड़े रहे हैं और बिहार की जनता की तबाही और बर्बादी की कहानी लिखी है।

आनंद मोहन की रिहाई को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं

इधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि उनकी रिहाई से किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन आनंद मोहन के आड़ में इस सरकार ने जो काम किया है उसे समाज कभी माफ नहीं करेगा। भाजपा सांसद ने कहा कि वह बेचारे तो बलि के बकरा हैं। वह तो इतनी सजा भोगे हैं। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं लेकिन उनकी रिहाई की आड़ में जो काम किया है नीतीश सरकार ने किया उसे समाज कभी माफ नहीं करेगा।

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