Home Bihar हैलो..मैं पटना दफ्तर से बोल रहा हूं, फोन कॉल के जरिये संगठन की जमीनी सच्चाई जान रहा JDU

हैलो..मैं पटना दफ्तर से बोल रहा हूं, फोन कॉल के जरिये संगठन की जमीनी सच्चाई जान रहा JDU

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हैलो..मैं पटना दफ्तर से बोल रहा हूं, फोन कॉल के जरिये संगठन की जमीनी सच्चाई जान रहा JDU

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पटना. हैलो … मैं JDU दफ़्तर पटना से बोल रहा हूं …. जी सुमन जी से बात हो रही है? आप छपरा से बोल रहे हैं..क्या आप JDU से जुड़े हुए हैं..जी धन्यवाद इस जानकारी को देने के लिए. इस तरह की जानकारी JDU दफ़्तर से लगातार ली जा रही है और जैसे ही जानकारी मिलती है कागज पर उसे नोट कर लिया जाता है और नाम और मोबाइल नम्बर के आगे YES या NO लिख दिया जाता है, यानी फोन पर सामने से आता है जवाब की हां मैं JDU से जुड़ा हुआ हूं तो उनके नाम के आगे YES लिखा जाता है और अगर जवाब ना में आता है तो उनके नाम के आगे NO लिखा जाता है. ये तमाम आंकड़े कम्प्यूटर में दर्ज हो जाते हैं.

दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव में JDU को जो बड़ा झटका लगा था उसकी एक बड़ी वजह संगठन में कमजोरी भी मानी जाती है. तब संगठन जमीनी स्तर की जगह सिर्फ कागजों पर ही दिखी थी और इसकी जानकारी जब सामने आइ तब तक काफी देर हो चुकी थी. उसी के बाद सबक लेते हुए JDU ने तय किया कि संगठन को मजबूत बनाने के लिए कोई और उपाय करना होगा. इसके बाद न सिर्फ संगठन को मजबूत किया जाय बल्कि वो जमीन पर ठीक तरीके से उतर रहा है कि नहीं, उसकी जानकारी भी बिल्कुल सही तरीके से मिल सके. इसी के बाद JDU दफ़्तर में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है जहां पूरी तरह से ट्रेंड युवा लगातार वैसे लोगों से फ़ोन के माध्यम से जानकारी ले रहे हैं.
कंट्रोल रूम में बैठे युवा उन नंबरों और उनकी जानकरी ले रहे हैं जिनकी जानकारी जेडीयू के तमाम जिलाध्यक्षों की तरफ से मिली है. जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने तमाम जिलाध्यक्षों को ये निर्देश दिया है कि हर गांव में JDU के दस-दस सक्रिय सदस्य बनाएं और उनके मोबाइल नम्बर और नाम और पता की पूरी जानकारी JDU दफ़्तर को भिजवा दें. इसी जानकारी के बाद उन नंबरों और नाम-पता की जानकारी पटना में बैठे लोगों की तरफ से कंट्रोल से लगातार ली जा रही है. जो नम्बर गलत मिल रहा है उसकी जानकारी जिलाध्यक्ष को दे दी जा रही है और उसके बाद जिलाध्यक्ष फिर से सदस्यता अभियान में लग जाते हैं, यानी इस बार गलती की कोई गुंजाइश JDU नहीं चाहती है.

कंट्रोल रूम के इंचार्ज मनीष कुमार कहते हैं कि हमें जो जानकारी चाहिए उसकी पूरी जिम्मेदारी हमारी टीम पर है और कहीं कोई गलती ना रह जाए इसका पूरा ख़्याल रखा जा रहा है. हर जानकारी की जब पूरी सच्चाई आ जाती है तभी हम उस जानकारी को अपने सिस्टम में फीड करते हैं. JDU प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कहते हैं कि इस कंट्रोल रूम से JDU को बड़ा फ़ायदा मिलने की उम्मीद है. जो कार्य हमने जिलाध्यक्षों को दिया है उसमे गलत जानकारी की कोई सम्भावना ही नहीं है और अगर पूरी ईमानदारी से हम संगठन को मजबूत करने के लिए किए जा रहे प्रयास में सफल हुए तो पार्टी को लगभग तीन लाख से ज़्यादा कर्मठ कार्यकर्ता मिल जाएंगे जिनकी बड़ी भूमिका आने वाले चुनाव में होने वाली है.

टैग: बिहार के समाचार, बिहार की राजनीति, मैं जाता हूं, पटना समाचार

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