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सियासत: राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा पर नीतीश बोले- न विचार, न कल्पना

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सियासत: राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा पर नीतीश बोले- न विचार, न कल्पना

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कुमार निशांत, पटना।

द्वारा प्रकाशित: देव कश्यप
अपडेटेड बुध, 23 फरवरी 2022 04:47 AM IST

सार

सियासी हलकों में चर्चा है कि नीतीश कुमार 10 मार्च के बाद एनडीए छोड़ देंगे। इसी दिन पांच राज्यों के चुनावी परिणाम आने वाले हैं। विपक्ष एकजुट होकर नीतीश कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना चाहता है।

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा से सियासत में भूचाल है। इससे खुद सीएम भी हैरान हैं। उनका कहना है कि ऐसा कोई विचार नहीं है। उन्होंने तो इसकी कल्पना तक नहीं की है।

इधर, सियासी हलकों में चर्चा है कि नीतीश कुमार 10 मार्च के बाद एनडीए छोड़ देंगे। इसी दिन पांच राज्यों के चुनावी परिणाम आने वाले हैं। विपक्ष एकजुट होकर नीतीश कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना चाहता है। उधर, नीतीश कुमार के भाजपा से अलग होने की राह में अब कई बाधाएं हैं। वह दौर बीत चुका है, जब नीतीश जदयू के सर्वमान्य नेता थे। एनडीए से जदयू को अलग करना अब उनके लिए बहुत आसान नहीं होगा।

जदयू में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का अलग गुट है और वह भाजपा के समर्थक हैं। उपेंद्र कुशवाहा अभी भले नीतीश के बेहद खास दिख रहे हैं, लेकिन एनडीए से अलग होने के मुद्दे पर उनका रुख भी अलग हो सकता है। सत्ता का सुख भोग रहे पार्टी के कई बड़े नेता भी एनडीए से अलग होना नहीं चाहेंगे। ऐसे में जनाधार और संगठन के मामले में पहले के मुकाबले कमजोर पड़ चुके नीतीश कोई बड़ा रिस्क ले पाएंगे, इसमें संदेह है।

2012 में प्रोजेक्ट किया था ‘पीएम मैटेरियल’
वर्ष 2012 में नीतीश कुमार को ‘पीएम मैटेरियल’ के तौर पर खूब प्रोजेक्ट किया गया था। तब नीतीश ने भांप लिया था कि बड़े ख्वाब दिखाकर उन्हें बिहार की राजनीति से बाहर करने की साजिश की जा रही है। अब फिर उन्हें बड़ा ख्वाब दिखाया जा रहा है। वैसे बिहार की मौजूदा राजनीति में भाजपा भी चाहती है कि नीतीश कमजोर पड़ते जाएं। उनके रहते मुख्यमंत्री के लिए अपना चेहरा सामने नहीं कर पा रही है। खुद नीतीश को अहसास है कि उनकी लोकप्रियता का दौर समाप्ति की ओर है। विधानसभा चुनाव में महज 43 सीटों पर जीत पाई उनकी पार्टी भी अब पूरी तरह उनके नियंत्रण में नहीं है। वे फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।

नीतीश भाजपा से नाता तोड़ें, तो हो सकते हैं विपक्ष के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी : एनसीपी
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा के बीच महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री व एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि नीतीश भाजपा से नाता तोड़ें तो इस पर विचार किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस पर विपक्ष सामूहिक फैसला करेगा।

मलिक ने पत्रकारों से कहा कि पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव में भाजपा की हालत खस्ता है और उसे हार का सामना करना पड़ेगा। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा को 403 में से 150 से भी कम सीटें मिलेंगी। मलिक ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले देश में भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की कोशिश शुरू की गई है।

विस्तार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा से सियासत में भूचाल है। इससे खुद सीएम भी हैरान हैं। उनका कहना है कि ऐसा कोई विचार नहीं है। उन्होंने तो इसकी कल्पना तक नहीं की है।

इधर, सियासी हलकों में चर्चा है कि नीतीश कुमार 10 मार्च के बाद एनडीए छोड़ देंगे। इसी दिन पांच राज्यों के चुनावी परिणाम आने वाले हैं। विपक्ष एकजुट होकर नीतीश कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना चाहता है। उधर, नीतीश कुमार के भाजपा से अलग होने की राह में अब कई बाधाएं हैं। वह दौर बीत चुका है, जब नीतीश जदयू के सर्वमान्य नेता थे। एनडीए से जदयू को अलग करना अब उनके लिए बहुत आसान नहीं होगा।

जदयू में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का अलग गुट है और वह भाजपा के समर्थक हैं। उपेंद्र कुशवाहा अभी भले नीतीश के बेहद खास दिख रहे हैं, लेकिन एनडीए से अलग होने के मुद्दे पर उनका रुख भी अलग हो सकता है। सत्ता का सुख भोग रहे पार्टी के कई बड़े नेता भी एनडीए से अलग होना नहीं चाहेंगे। ऐसे में जनाधार और संगठन के मामले में पहले के मुकाबले कमजोर पड़ चुके नीतीश कोई बड़ा रिस्क ले पाएंगे, इसमें संदेह है।

2012 में प्रोजेक्ट किया था ‘पीएम मैटेरियल’

वर्ष 2012 में नीतीश कुमार को ‘पीएम मैटेरियल’ के तौर पर खूब प्रोजेक्ट किया गया था। तब नीतीश ने भांप लिया था कि बड़े ख्वाब दिखाकर उन्हें बिहार की राजनीति से बाहर करने की साजिश की जा रही है। अब फिर उन्हें बड़ा ख्वाब दिखाया जा रहा है। वैसे बिहार की मौजूदा राजनीति में भाजपा भी चाहती है कि नीतीश कमजोर पड़ते जाएं। उनके रहते मुख्यमंत्री के लिए अपना चेहरा सामने नहीं कर पा रही है। खुद नीतीश को अहसास है कि उनकी लोकप्रियता का दौर समाप्ति की ओर है। विधानसभा चुनाव में महज 43 सीटों पर जीत पाई उनकी पार्टी भी अब पूरी तरह उनके नियंत्रण में नहीं है। वे फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।

नीतीश भाजपा से नाता तोड़ें, तो हो सकते हैं विपक्ष के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी : एनसीपी

बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा के बीच महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री व एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि नीतीश भाजपा से नाता तोड़ें तो इस पर विचार किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस पर विपक्ष सामूहिक फैसला करेगा।

मलिक ने पत्रकारों से कहा कि पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव में भाजपा की हालत खस्ता है और उसे हार का सामना करना पड़ेगा। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा को 403 में से 150 से भी कम सीटें मिलेंगी। मलिक ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले देश में भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की कोशिश शुरू की गई है।

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