Home Bihar सियासत: तेजस्वी और शरद यादव के साथ आने के क्या मायने? 2024 में निभा सकते हैं अहम भूमिका

सियासत: तेजस्वी और शरद यादव के साथ आने के क्या मायने? 2024 में निभा सकते हैं अहम भूमिका

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सियासत: तेजस्वी और शरद यादव के साथ आने के क्या मायने? 2024 में निभा सकते हैं अहम भूमिका

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शरद यादव ने रविवार को अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) का लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में विलय कर दिया। भाजपा के साथ गठबंधन करने पर मई 2018 में नीतीश कुमार से अलग राह पकड़ने वाले शरद यादव अब तेजस्वी यादव के पथ प्रदर्शक की भूमिका में नजर आएंगे। चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में वे अपने राजनीतिक अनुभव से तेजस्वी को आगे बढ़ाएंगे। बदले में आरजेडी उन्हें राज्यसभा भेज सकती है। इससे शरद यादव के राजनीतिक जीवन को एक नई ऊर्जा मिलेगी। शरद यादव का यह पालाबदल 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अहम हो सकता है। वे गैर-भाजपाई राजनीतिक दलों को इकट्ठा करने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

मध्य प्रदेश से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले शरद यादव अब 74 वर्ष के हो चुके हैं। वे अब तक सात बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा पहुंच चुके हैं और कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में वे पिछड़ों-दलितों की आवाज बनकर उभरे और बिहार की राजनीति में अपनी पैठ बनाई। गैर-भाजपाई दलों को इकट्ठा करने में अहम भूमिका निभाकर उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी उपयोगिता साबित की।

बदले राजनीतिक माहौल में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकना मुश्किल हो रहा है। विपक्षी दल उन्हें रोकने के लिए तमाम रणनीति बनाने पर मंथन कर रहे हैं। ऐसे में शरद यादव विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों के राजनेताओं से उनका व्यक्तिगत संबंध इसमें कारगर साबित हो सकता है।

मधेपुरा लोकसभा सीट से चार बार जीत और चार बार हार का स्वाद चख चुके शरद यादव अभी भी पिछड़ों के बड़े नेता माने जाते हैं। माना जा रहा है कि बिहार की राजनीति में वे तेजस्वी यादव को अपने राजनीतिक अनुभव का लाभ देंगे। बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद भी तेजस्वी यादव चुनाव परिणाम को अपनी जीत के रूप में नहीं बदल सके थे। उस समय आरजेडी के पास एक राजनीतिक अनुभवी नेता की कमी साफ महसूस की गई थी, जो अपने राजनीतिक कौशल से उसे जीत के मुहाने पर पहुंचा सके। अब शरद यादव इस कमी को पूरा कर सकते हैं।

तेजस्वी यादव भविष्य के नेता
शरद यादव ने अपने कमजोर स्वास्थ्य के कारण अपनी कुर्सी पर बैठकर ही इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों को संबोधित किया। लड़खड़ाती आवाज में भी उन्होंने एक बदलाव का संकेत देने की कोशिश किया और तेजस्वी यादव को भविष्य का नेता बताया। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि अब आरजेडी ही उनकी पार्टी है। उसे मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि यूपी चुनाव से सबक लेते हुए सबको एकत्र होकर सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कारणों से वे दौरे नहीं कर पाएंगे, लेकिन यहां दिल्ली में बैठकर ही तेजस्वी यादव को मजबूत बनाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वे अखिलेश यादव सहित सभी विपक्षी दलों को साथ लाएंगे और 2024 में भाजपा के सामने मजबूत चुनौती पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार केवल हिंसा और बंटवारे के आधार पर शासन कर रही है, इसको उचित जवाब देकर देश, संविधान और समाज को बचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिहार क्रांति की धरती रही है। देश को बचाने का संदेश आज बिहार से ही निकल रहा है। यह एक परिणाम तक जाएगा।

तेजस्वी ने कही यह बात
शरद यादव के आरजेडी खेमे में आने को तेजस्वी यादव ने समाजवादी विचारधारा की जीत बताया। उन्होंने कहा कि इस समय देश की राजनीति और संवैधानिक संस्थाओं की साख खतरे में है। इसे बचाने के लिए सभी लोगों का साथ आना जरूरी है। उन्होंने कहा कि शरद यादव और उनकी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को उनकी पार्टी में पूरा सम्मान मिलेगा। उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव के साथ अगले बिहार विधानसभा चुनाव को अपना अगला निशाना बताया। उन्होंने कहा कि शरद यादव का आज का यह कदम विपक्ष के दूसरे दलों को भी एक बड़ा संदेश देने वाला है।

मीसा भारती, शिवानंद तिवारी, मनोज झा, नवल किशोर और अन्य नेताओं की उपस्थिति में तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जनता ने उन्हें सरकार बनाने का समर्थन दिया था, लेकिन जोड़-तोड़ से जनता के इस जनादेश को नकारने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि अगले चुनाव में जनता इसका उचित हिसाब देगी।

बेतिया में पुलिस कस्टडी में हुई मौत पर भी बोले
बेतिया में पुलिस कस्टडी में हुई मौत पर तेजस्वी यादव ने कहा कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है, ये कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी पुलिस ने थाने में पीट-पीटकर कई लोगों को जान से मारने का काम किया है। बिहार में पूरी तरह प्रशासनिक अराजकता फैल चुकी है। इसकी जांच होनी चाहिए।

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