Home Bihar संघर्ष को सैल्यूट: कभी चलाती थीं ट्रक अब थामी बस की स्टेयरिंग, यूपी रोडवेज की पहली महिला ड्राइवर बनीं बिहार की प्रियंका

संघर्ष को सैल्यूट: कभी चलाती थीं ट्रक अब थामी बस की स्टेयरिंग, यूपी रोडवेज की पहली महिला ड्राइवर बनीं बिहार की प्रियंका

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संघर्ष को सैल्यूट: कभी चलाती थीं ट्रक अब थामी बस की स्टेयरिंग, यूपी रोडवेज की पहली महिला ड्राइवर बनीं बिहार की प्रियंका

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हाइलाइट्स

यूपी रोडवेज में एक महिला अब बस भी चला रही है.
प्रियंका आजकल गाज़ियाबाद के कौशांबी डिपो में तैनात हैं.
रोडवेज़ बस ड्राइवर बनने के पीछे प्रियंका का लंबा संघर्ष रहा है.

मेरठ. महिलाएं पायलट बन रही हैं. महिलाएं ट्रेन चला रही हैं. वहीं यूपी रोडवेज (UP Roadways) में तो एक महिला अब बस भी चला रही है. दरअसल ये कहानी है यूपी की पहली रोडवेज़ बस चालक प्रियंका की. प्रियंका आजकल गाज़ियाबाद (Ghaziabad) के कौशांबी डिपो में तैनात हैं. रोडवेज़ बस ड्राइवर बनने के पीछे प्रियंका का लंबा संघर्ष रहा है. प्रियंका के संघर्ष को सैल्यूट करते हुए मेरठ परिक्षेत्र के आरएम ने कहा कि महिला शक्ति दुर्गा मां की शक्ति है. महिलाएं हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे फहरा रही हैं. हवाई जहाज़ से लेकर ट्रेन और ट्रक से लेकर बस भी महिलाएं चला रही हैं.

आज हम आपको बताएंगे एक ऐसी महिला की कहानी जिन्होंने ट्रक भी चलाया और अब वो यूपी रोड़वेज़ की पहली महिला बस चालक बन गई हैं. आजकल अलग-अलग रुट पर उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजा रहा है. गाज़ियाबाद के कौशाम्बी से चलकर प्रियंका कभी मेरठ तो कभी बरेली या फिर अऩ्य जनपदों में जाती हैं. प्रियंका की सफलता की कहानी बहुत संघर्षपूर्ण है. बस चालक प्रियंका के पति का निधन हो चुका है.

परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने पति के निधन के बाद चाय बेची. परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया लेकिन प्रियंका ने हार नहीं मानी और अंत में सफलता प्राप्त की. प्रियंका बताती हैं कि उन्होंने ट्रक चलाया और अब वह यूपी रोडवेज में ट्रेनिंग कर रही हैं. वह कहती हैं कि एआरएम कौशाम्बी डिपो ने कहा कि एक अप्रैल से उनकी रुटीन ड्यूटी लगाई जाएगी.

आपके शहर से (पटना)

बिहार के बांका से है प्रियंका का खास नाता

प्रियंका शर्मा बिहार के बांका के हरदौड़ी गांव की रहने वाली हैं. उनका साल 2002 में राजीव नाम के व्यक्ति से विवाह हुआ था. प्रियंका और राजीव के दो बेटे हैं. पति का निधन हो गया. पति की मौत के बाद प्रियंका पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. उनपर आजीविका का भार आ गया. प्रियंका कहती हैं कि अपने दोनों बेटों का भविष्य वो संवारेंगी. वो कहती हैं कई अन्य महिलाएं भी रोड़वेज़ बस ड्राइवर की ट्रेनिंग ले रही हैं. प्रियंका के अनुसार उन्होंने शुरुआत में हेल्पर के तौर पर ट्रक पर काम किया. बाद में ट्रक ड्राइवर बनकर परिवार के लिए कमाने लगीं.

माता-पिता और भाइयों को पसंद नहीं था प्रियंका का ट्रक चलना

हालांकि उनका ट्रक चलाना प्रियंका के माता-पिता और भाइयों को पसंद नही था. ट्रक चलाने के लिए प्रियंका दूसरे राज्यों तक जाया करती थीं. उन्होंने बच्चों को हास्टल भेज दिया, ताकि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें और घर पर अकेले न रहना पड़े. प्रियंका का जीवन तब बदला, जब उन्हें यूपीएसआरटीसी में नौकरी मिली और वह बस चलाने वाली पहली महिला बस ड्राइवर बन गईं. प्रियंका मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देती हैं. महिला ड्राइवर को आरएम ने भी शुभकामनाएं दी हैं. मेरठ परिक्षेत्र के आरएम के के शर्मा ने कहा कि महिलाएं स्ट्रांग हैं वो हर काम कर सकती हैं. आरएम ने कहा महिला शक्ति दुर्गा मां की शक्ति है.

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अप्रैल से मिलेगी रूटीन ड्यूटी

गाज़ियाबाद के कौशाम्बी डिपो के एआरएम शिवबालक का कहना है कि प्रियंका सरकारी बस चालक बन गई हैं. जुलाई दो हज़ार बाइस में इनका सेलक्शन हुआ था. उनके साथ कई अन्य महिलाओं को भी चयन यूपी रोड़वेज़ में बस चालक के तौर पर हुआ था. लेकिन, क्योंकि प्रियंका ने ट्रक भी चला रखा है. लिहाज़ा हैवी वाहन चलाने में उनका अनुभव ज्यादा है. वो कहते हैं कि फिलहाल प्रियंका को अंडर ट्रेनिंग रखा गया है. आगामी अप्रैल तक उनकी परफॉरमेंस के आधार पर उन्हें रुट दिया जाएगा. वाकई में ऐसी महिलाएं यकीनन समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं. खासतौर पर वो जो चंद मश्किलों में हार मान जाते हैं. उनके लिए प्रियंका एक रोल मॉडल हैं.

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