Home Bihar वाह! 8 साल बाद खुला पिंकी का मुंह, ऐसे किया गया सफल ऑपरेशन

वाह! 8 साल बाद खुला पिंकी का मुंह, ऐसे किया गया सफल ऑपरेशन

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वाह! 8 साल बाद खुला पिंकी का मुंह, ऐसे किया गया सफल ऑपरेशन

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रिपोर्ट – अभिषेक रंजन

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर में 52 साल पहले श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज (एसकेएमसीएच) की स्थापना की गई. इन 52 वर्षों में यहां के डेंटल डिपार्टमेंट में पहली ऐसी सर्जरी हुई है, जिसके बाद यहां के डॉक्टर खासे उत्साहित हैं.

सफल सर्जरी के बाद यहां के डॉक्टर अब कह रहे हैं कि हम लोगों ने मेडिकल कॉलेज में पहली बार यह सर्जरी की है. इससे हम लोगों का हौसला बढ़ा है. आने वाले दिनों में हम लोग इस तरह की चुनौती को स्वीकार करते रहेंगे.न्यूज18 नं

दरअसल, यहां टीएमजे एंकलोसीस नाम की बीमारी का सफल ऑपरेशन किया गया है. ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति अच्छी है. उसका मुंह 25mm खुल रहा है और वह भोजन भी लेने लगी है. मरीज पिंकी ने 8 साल बाद जब पहली बार अपना मुंह खोला तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था. इशारों ही इशारों में वह अपने परिजनों और डॉक्टरों को बता रही थी कि अब वह भी अन्य बच्चों की तरह मुंह से खाना खा सकेगी और लोगों से बातचीत भी कर सकेगी.

एक्सीडेंट के बाद नहीं खुल रहा था पिंकी का मुंह

इस सर्जरी को करने वाले SKMCH के सहायक प्राध्यापक डॉ. रितेश वत्स ने बताया कि यह एक रेयर और जटिल सर्जरी है. उन्होंने बताया कि सीतामढ़ी के राम भरोसे महतो की 13 वर्षीय बेटी पिंकी कुमारी जब 5 साल की थी तो एक एक्सीडेंट हो गया. इस एक्सीडेंट के बाद उसका मुंह नहीं खुल पा रहा था. बड़ी मुश्किल से पिंकी लिक्विड डाइट के सहारे पिछले 8 साल से जी रही थी. कई जगह इलाज करा कर थक हारकर राम भरोस महतो अपनी बेटी को लेकर मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज पहुंचे.

फाइबर ऑप्टिकल के सहारे किया सफल ऑपरेशन

एसकेएमसीएच के सहायक प्राध्यापक डॉ. रितेश वत्स ने बताया कि मरीज को देखने के बाद उनकी देखरेख में पिंकी के मुंह का फाइबर ऑप्टिकल के सहारे सफल ऑपरेशन किया गया. इस कार्य में एनेस्थीसिया से जुड़े डॉक्टरों ने भी काफी मेहनत की.

डॉ. रितेश की माने तो यह सर्जरी मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में पहली बार हुई है. सरकारी सेटअप में बिहार में यह सर्जरी सिर्फ IGIMS पटना में होती है. उसके बाद मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में यह सर्जरी की गई है. इस सर्जरी के बाद हम लोगों का भी हौसला बढ़ा है. आने वाले दिनों में हम लोग क्रिटिकल मरीजों का सफल ऑपरेशन कर सकेंगे.

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