[ad_1]
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
द्वारा प्रकाशित: शिव शरण शुक्ला
अपडेटेड बुध, 06 अप्रैल 2022 07:20 PM IST
सार
राष्ट्रपति की नीदरलैंड यात्रा के बीच पटना के नागरिकों ने शहर के साथ नीदरलैंड के संबंध को याद किया है। यहां दोनों देशों की ‘साझा विरासत’ के तौर पर डचों द्वारा बनाई गई कई इमारतें हैं। जिनकों संरक्षित करने की अपील की गई है।
ख़बर सुनें
विस्तार
इनमें पटना कॉलेज के मुख्य प्रशासनिक भवन के साथ ही पटना कलेक्ट्रेट और गुलजारबाग में बने पुराने अफीम गोदाम के अवशेष शामिल हैं। ये बिहार की राजधानी के डच इतिहास के अंतिम जीवित हस्ताक्षरों में से हैं।
पटना विश्वविद्यालय के विद्वान और पूर्व कुलपति आरबीपी सिंह ने पटना में इन इमारतों का याद करते हुए ‘मूर्त साझा विरासत’ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये विरासतें न केवल दो ऐसे देशों को बल्कि दो संस्कृतियों को एकजुट करती हैं। जो भौगोलिक रूप से बहुत अलग हैं। उन्होंने कहा कि 2016 से बिहार सरकार डचों द्वारा बनाए गए ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट भवन को ध्वस्त करने की कोशिश में हैं। जो भारत-नीदरलैंड के संबंधों का गवाह है। वहीं नीदरलैंड हमारे राष्ट्रपति की मेजबानी कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल भी रहे थे। वह यहां स्थिति इन स्मृतियों से परिचित हैं। नीदरलैंड यात्रा के वह निश्चित रूप से पटना में स्थित इन भारत-डच स्मृतियों के बारे में सोच रहे होंगे।
राष्ट्रपति कोविंद, नीदरलैंड के प्रधानमंत्री ने बैठक की
नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने बुधवार को यहां एक सरकारी भोज में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मेजबानी की और इस दौरान उन्होंने कहा कि दोनों ने यूक्रेन में भयावह स्थिति के अलावा भारत और नीदरलैंड के बीच उत्कृष्ट संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।
वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नीदरलैंड यात्रा के दौरान कहा है कि भारत और नीदरलैंड हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए साझा प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र सामरिक रूप से दोनों देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वहीं,राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की नीदरलैंड की यात्रा ने ऐतिहासिक भारत-डच संबंधों पर पटना के निवासियों और पुरातत्वविदों का ध्यान फिर से केंद्रित किया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपनी दो देशों की यात्रा के अंतिम चरण में सोमवार को एम्स्टर्डम पहुंचे थे। राष्ट्रपति कोविंद तुर्कमेनिस्तान से यहां पहुंचे थे। उन्होंने तुर्कमेनिस्तान के अपने समकक्ष सर्दार बर्दीमुहामेदोव के साथ बातचीत की और दोनों पक्ष बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा सहयोग का विस्तार करने पर सहमत हुए। वह स्वतंत्र तुर्कमेनिस्तान की यात्रा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति हैं।
[ad_2]
Source link