Home Bihar राबड़ी आवास पर इफ्तार से ठीक पहले मचा सियासी बवाल, कांग्रेस नेता ने किया विरोध

राबड़ी आवास पर इफ्तार से ठीक पहले मचा सियासी बवाल, कांग्रेस नेता ने किया विरोध

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राबड़ी आवास पर इफ्तार से ठीक पहले मचा सियासी बवाल, कांग्रेस नेता ने किया विरोध

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पटना: बिहार में नीतीश द्वारा सरकारी इफ्तार पार्टी, उसके बाद जेडीयू और आज (रविवार को) राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित दावत-ए-इफ्तार का अब महागठबंधन में ही विरोध शुरू हो गया है। बीजेपी तो पहले से ही इस वक्त, जब बिहार के दो शहर हाल ही में दंगे का दंश झेल चुके हैं और पूरी तरह अभी शांति भी नहीं लौट पायी है, ऐसे आयोजन पर सवाल उठाती रही है। बीजेपी के अलावा इन इफ्तार पार्टियों का लोजपा (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान और वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने भी बिना कोई कारण बताए बायकॉट किया है। उपेंद्र कुशवाहा ने तो कुछ ही दिन पहले महागठबंधन से कट्टी कर ली थी। इसलिए उनके शामिल होने का तो सवाल ही नहीं उठता। सच कहें तो इफ्तार ने बिहार में एनडीए की नयी रूपरेखा तय कर दी है तो महागठबंधन मिशन 24 के लिए इसे अनुकूल मौका मान रहा है। इफ्तार पार्टियां अगर वोटरों में भी कोई लकीर खींच दें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

इफ्तारी की क्या है राबड़ी आवास पर तैयारी

हर साल की भांति पूर्व सीएम राबड़ी देवी के पटना आवास पर आज दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया गया है। पहले इसकी तारीख 13 अप्रैल मुकर्रर थी। शनिवार को तारीख में तब्दीली की गई। नयी तारीख के साथ इफ्तार के न्यौते भी बांटे जा चुके हैं। न्यौते के कार्ड पर निवेदक के रूप में आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, एमएलसी राबड़ी देवी, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और मंत्री तेज प्रताप यादव के नाम छपे हैं। शाम 6 बजे दावत-ए-इफ्तार का आयोजन होना है। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। तेजस्वी यादव ने इफ्तार की तैयारी का जायजा लेने के बाद निर्देश दिया है कि रोजेदारों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। तैयारी में अब्दुल बारी सिद्दीकी, तनवीर हसन, मंत्री आलोक मेहता, इसराइल मंसूरी, विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन, अली अशरफ सिद्दीकी, युसूफ सलाउद्दीन सहित पूर्व विधायक भोला यादव, शक्ति यादव, अनवर आलम, रिजाजुल हक, एजाज अहमद, गुलाम रब्बानी जैसे नेता शनिवार को दिन भर जुटे रहे। आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद के मुताबिक घुघनी, बैगनी, कचड़ी, प्याज के पकौड़े, शरबत, खजूर, क्रीम चॉप, इमिर्ती के अलावा अंगूर, सेव, पपीता, तरबूज आदि का इंतजाम इफ्तारी के लिए किया गया है।

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यादगार बन गई राबड़ी आवास की वह पार्टी

राबड़ी देवी के आवास पर 2022 में हुई इफ्तार पार्टी कई मायनों में यादगार रही थी। अव्वल तो बिहार में सत्ता परिवर्तन की आधारशिला उसी इफ्तार पार्टी में रखी गई थी। एनडीए के सीएम नीतीश कुमार पैदल ही चल कर अपने आवास से राबड़ी आवास तक पहुंचे थे। इसके कुछ ही महीने बाद बिहार में सत्ता बदल गई थी। एनडीए छोड़ नीतीश महागठबंधन के साथ आ गए थे। बीजेपी ताकती रह गई थी। इस बार के दावत-ए-इफ्तार का भी मकसद सद्भाव से अधिक सियासी ही है। इसलिए कि अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। हर दल अपने समीकरण बनाने या बने समीकरण को पुख्ता करने में लगा है। महागठबंधन के निशाने पर तो मुस्लिम वोटर ही है। मुस्लिम आरजेडी के परंपरागत वोटर रहे हैं। खासकर 1990 के बाद। कुछ दिनों के लिए मुस्लिम वोट नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शिफ्ट हो गए थे। अब चूंकि जेडीयू भी आरजेडी के साथ है, इसलिए मुसलमानों के थोक वोट महागठबंधन को सुनिश्चित करने के लिए महागठबंधन के घटक दल इफ्तार के आयोजनों में विशेष रुचि ले रहे हैं।

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ओवैसी की एंट्री ने डरा दिया है महागठबंधन को

मुस्लिम वोटों को लेकर महागठबंधन पहले निश्चिंत था। लेकिन एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी की बिहार में एंट्री ने महागठबंधन के नेताओं को बेचैन कर दिया है। बिहार में मुसलमानों का वोट शेयर तकरीबन 16 फीसदी माना जाता है। लालू यादव के जमाने से उनके M-Y समीकरण के कारण इसका लाभ आरजेडी को मिलता रहा है। कालांतर में मुसलमान नीतीश की पार्टी जेडीयू में शिफ्ट हो गए थे। ओवैसी के कारण मुसल्मि वोटों में बिखराव का खतरा पैदा हो गया है। बिहार के सीमांचल में मुसलमानों की बहुलता है और उसी इलाके में ओवैसी का अधिक प्रभाव भी है। ओवैसी के 5 विधायक सीमांचल से ही चुने गए थे। ओवैसी के असर को कम करने के लिए ही महागठबंधन ने 25 फरवरी को पूर्णिया में बड़ी रैली भी की थी। उसके तुरंत बाद ओवैसी ने सीमांचल का दौरा किया था। ओवैसी से अधिक भय आरजेडी को इसलिए भी है कि उनके चार विधायकों को आरजेडी ने अपने पाले में कर लिया था। ओवैसी इस बात से बेहद खफा हैं।

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महागठबंधन में किसको है इफ्तार पर एतराज

महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस के सीनियर लीडर आजमी बारी ने बीजेपी के ही तर्ज पर दावत-ए-इफ्तार के आयोजनों पर एतराज जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मुसलमानों के जख्मों पर मरहम लगाने की जरूरत है, न कि इफ्तार पार्टी की। उन्होंने बिहार सरकार के इफ्तार के निमंत्रण कार्ड पर बायकाट लिख कर फोटो भी शेयर की थी। आजमी बारी ने स्पष्ट किया है कि विरोधस्वरूप ही वे सीएम नीतीश और जेडीयू की अलग-अलग दिन हुई इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए थे। वे आरजेडी की इफ्तार पार्टी का भी विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि न सिर्फ वे, बल्कि खानकाह और इमारत-ए-शरिया ने भी इफ्तार पार्टी का विरोध किया है।

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क्यों विरोध कर रहे कांग्रेस के नेता आजमी

आजमी बारी का कहना है कि सासाराम और बिहार शरीफ में दंगे हुए। अब भी दंगे की आग पूरी तरह ठंडी नहीं हुई है। धारा 144 के कारण रोजेदार इफ्तार नहीं कर रहे। रोजेदारों को इफ्तार में दिक्कतें पेश आ रही हैं। सरकार का इस पर ध्यान नहीं है। एक तरह रोजेदार रोजा नहीं खोल पा रहे, वहीं पटना में इफ्तार के दावतों की लाइन लगी हुई है। इफ्तार के नाम पर बड़े आयोजन किए रहे हैं। जबकि जिनको जरूरत है, उन्हें इफ्तार पहले मिलना चाहिए। बीजेपी तो पहले से ही दावत-ए-इफ्तार के आयोजन पर एतराज जताती रही है। बीजेपी का भी तर्क वही है, जो कांग्रेस नेता आजमी बारी ने गिनाए हैं। बीजेपी का कहना है कि बिहार दंगों की आग में झुलस रहा है और नीतीश कुमार इफ्तार पार्टी का आयोजन कर रहे हैं। यही वजह है कि अब महागठबंधन के नेता भी सियासी इफ्तार पार्टी का विरोध करने लगे हैं। सरकार को दंगों में पीड़ित लोगों पर मरहम लगाना चाहिए, लेकिन वह राजनीतिक लाभ के लिए इफ्तार की राजनीति कर रही है।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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